एक ओर जहां समुद्री तटों पर रहने वाले जीवों का आवास खतरे में हैं, वहीं कुछ इलाके ऐसे हैं, जहां इन जीवों की संख्या बढ़ रही है। इस नाटकीय वृद्धि को लेकर वैज्ञानिक काफी उत्साहित हैं और जीवों की संख्या बढ़ने के कारण भी वैज्ञानिकों ने बताए हैं।
उल्लेखनीय है कि तटीय इलाकों में अंधाधुंध विकास, प्रदूषण, रही बची कसर जलवायु परिवर्तन और कई अन्य मानवजनित कारणों ने पूरी कर दी हैं। इनकी वजह से मैंग्रोव वनों, खारे दलदलों, समुद्री घास के मैदानों, माइक्रो एल्गी (समुद्री शैवाल) वनों और मूंगे की चट्टानों के बड़े हिस्से नष्ट हो गए हैं। इस तरह हमने दुनिया भर में मूंगे की चट्टानों का 85 फीसदी हिस्सा गंवा दिया है और दुनिया में मूंगा विरंजन हो रहा है।
लेकिन यदि तटों की बहाली की जाए तो क्या वहां जीवों की संख्या बढ़ सकती है। इसके लिए शोधकर्ताओं ने दुनिया भर की 160 तटीय बहाली परियोजनाओं का विश्लेषण किया और 5,000 से अधिक आंकड़े जुटाए।
सेल पत्रिका में प्रकाशित शोध के मुताबिक यदि समुद्री तटों को नष्ट होने से बचाकर उन्हें फिर से बहाल किया जाए तो नष्ट होते तटों के मुकाबले इन इलाकों में जीवों की संख्या में 61 फीसदी की वृद्धि रिपोर्ट की गई।
शोध रिपोर्ट बताती है कि कुछ परियोजनाओं में तो काफी नाटकीय वृद्धि हुई। जैसे कि क्वींसलैंड के प्यूमिसस्टोन पैसेज में सीप की चट्टानों को बहाल करने के बाद मछलियों की संख्या में दस गुना से अधिक की वृद्धि हुई, जबकि मछलियों की प्रजातियों की संख्या में लगभग चार गुना वृद्धि हुई।
इसी तरह एडिलेड के तट पर समुद्री घास को बहाल करने से अकशेरुकी जीव वापस आ गए, जो कई मछली प्रजातियों का भोजन हैं जिन्हें ऑस्ट्रेलियाई लोग पकड़ना पसंद करते हैं, जैसे कि ऑस्ट्रेलियन स्नैपर। यहां अकशेरुकी की संख्या आस-पास के प्राकृतिक समुद्री घास के मैदानों के बराबर थी।
तटों की बहाली कारगर तो साबित हो रही है, लेकिन जानवरों के लिए परिणाम हर परियोजना में अलग-अलग होते हैं। सभी परियोजनाएं सफल नहीं होती हैं। कई परियोजनाओं में संसाधन बर्बाद हो गए, लेकिन वांछित परिणाम नहीं मिले।
कुछ बहाली स्थल ऐसे स्थानों पर थे, जिसे जीव आसानी से नहीं ढूंढ़ सकते हैं। ऐसा हो सकता है कि जानवर बहाल किए गए आवासों में वापस लौट रहे हों, लेकिन शोधकर्ता सही से निगरानी नहीं कर पा रहे हों, इसलिए शोधकर्ता अभी भी इस चीज को लेकर काम कर रहे हैं कि तटरेखाओं को प्रभावी ढंग से कैसे बहाल किया जाए।
ऐसे में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और पर्यावरण डीएनए (ईडीएनए) जैसी नई तकनीकों का इस्तेमाल करने की सिफारिश रिपोर्ट में की गई है। एआई का उपयोग पानी के नीचे के कैमरों से जानकारी निकालने के लिए किया जा सकता है। कम लागत पर अधिक बार, अधिक स्थानों पर जानवरों की निगरानी की जा सकती है।
रिपोर्ट मे कहा गया है कि स्वस्थ तटीय आवास मत्स्य पालन में अहम भूमिका निभा सकते हैंं। ये तट शार्क, डुगोंग, समुद्री मेगाफौना की 100 से ज्यादा प्रजातियों का घर हैं। वे कार्बन को इकट्ठा करते हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन को धीमा करने में मदद मिलती है।
स्वस्थ तटीय आवास एक ऐसे उपहार हैं जो हमेशा कुछ न कुछ देते ही रहते हैं। हमें उन्हें फिर से बहाल करना चाहिए। उदाहरण के लिए, हम मैंग्रोव लगा सकते हैं, नई शेलफिश रीफ बना सकते हैं और समुद्री घास को वापस उगाने में मदद करने के लिए प्रदूषण को कम कर सकते हैं।