घातक बीमारियों को फैलाने वाले आक्रामक मच्छरों की निगरानी के लिए लॉन्च हुआ डैशबोर्ड

डैशबोर्ड तीन ऐप के आंकड़ों को जोड़ता है, मॉस्किटो अलर्ट, ग्लोब ऑब्जर्वर और आईनेचुरलिस्ट, जहां दुनिया भर के लोग अपने स्मार्टफोन का उपयोग करके मच्छरों की तस्वीरें भेजते हैं।
घातक बीमारियों को फैलाने वाले आक्रामक मच्छरों की निगरानी के लिए लॉन्च हुआ डैशबोर्ड
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दुनिया भर में हर साल मच्छर लगभग 70 करोड़ संक्रमण और 10 लाख से अधिक मौतों के लिए जिम्मेवार हैं, जिससे मच्छर पृथ्वी पर सबसे घातक जीव बन जाते हैं। क्योंकि मच्छरों की प्रजातियों का केवल एक छोटा सा हिस्सा ही बीमारियों का संचार करता है, इसलिए सामुदायिक सुरक्षा में व्यापक निगरानी और सटीक पहचान महत्वपूर्ण है।

उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए अब दुनिया भर में मच्छर जनित बीमारियों से हो रहे खतरे से निपटने के लिए, दक्षिण फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने लोगों द्वारा संचालित एक मच्छरों की निगरानी करने वाला डैशबोर्ड लॉन्च किया है।

ग्लोबल मॉस्किटो ऑब्जर्वेशन डैशबोर्ड स्वतः मच्छर की पहचान करने के साथ इनसे होने वाली बीमारियों की वैश्विक निगरानी करने की बड़े परियोजना का हिस्सा है।

डैशबोर्ड तीन तरह के ऐप के आंकड़ों को जोड़ता है, मॉस्किटो अलर्ट, नासा का ग्लोब ऑब्जर्वर और आईनेचुरलिस्ट। प्रत्येक ऐप लोगों के द्वारा भेजे गए तस्वीरों का उपयोग करता है, जहां दुनिया भर के रोजमर्रा लोग अपने स्मार्टफोन का उपयोग करके मच्छरों की तस्वीरें भेजते हैं।

अंतरराष्ट्रीय आंकड़ों के साथ, कंप्यूटर ब्राउजर या मोबाइल डिवाइस के माध्यम से सुलभ डैशबोर्ड में आवृत्ति और भौगोलिक रिज़ॉल्यूशन पर आंकड़े प्रदान करने की क्षमता होती है, अन्यथा यह काम लागत और अन्य बाधाओं के कारण असंभव होता है।

जीव विज्ञान के सहायक प्रोफेसर तथा प्रमुख अध्ययनकर्ता रयान कार्नी ने कहा यह डैशबोर्ड मच्छरों की निगरानी और नियंत्रण के लिए दुनिया भर के लोगों को एक साथ जोड़ता है। यह उपकरण मच्छर नियंत्रण कर्मियों को आक्रामक प्रजातियों को खोजने और उन्हें नष्ट करने में मदद करेगा।

उन्होंने कहा यह डैशबोर्ड क्षेत्र के आधार पर कंप्यूटरों के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मच्छर जनित बीमारियों की निगरानी करेगा। 

टीकों और इलाज की सामान्य कमी को देखते हुए, दुनिया भर में मच्छरों की निगरानी और आवास शमन को बढ़ाने और निरंतर बनाए रखने की आवश्यकता है। इस डैशबोर्ड पर उपलब्ध रीयल-टाइम डेटा शोधकर्ताओं, मच्छर नियंत्रण कर्मियों और नीति निर्माताओं को मच्छर जनित बीमारियों का जल्द पता लगाने में मदद करेगा।

मच्छरों की निगरानी के लिए लोगों की मदद या नागरिक विज्ञान की प्रभावशीलता का परीक्षण करने के लिए, कार्नी और तीन यूएसएफ छात्रों की एक टीम ने नागरिक वैज्ञानिकों से जीका, पीला बुखार, डेंगू और चिकनगुनिया पर गौर करने के लिए कहा।

नागरिक वैज्ञानिक न केवल रोग फैलाने वालों का पता लगाने में सफल हुए, बल्कि उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप अमेरिका में एडीज स्कैपुलरिस के पहले आईनेचुरलिस्ट द्वारा अवलोकन की गई, एक ऐसी आक्रामक प्रजाति जो पीले बुखार के लिए जिम्मेदार है। 

यह अध्ययन “इंसेक्ट्स पत्रिका” के एक विशेष संस्करण में प्रकाशित हुआ है, यह भविष्य की योजना और नागरिक विज्ञान परियोजनाओं को पूरा करने के लिए एक संदर्भ के रूप में काम करेगा।

यूएसएफ इंजीनियरिंग प्रोफेसर श्रीराम चेलप्पन एक छवि पहचानने वाले सॉफ्टवेयर को बनाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता एल्गोरिदम को प्रशिक्षित और परीक्षण करने के प्रयासों का नेतृत्व करेंगे। इस सब को लॉन्च करने के लिए तैयार किए गए सॉफ्टवेयर का उपयोग लोगों द्वारा अपलोड की गई छवियों में मच्छर की प्रजातियों की पहचान करने के लिए किया जाएगा।

चेलप्पन ने कहा प्रजातियों की पहचान के लिए हमारे एल्गोरिदम में मच्छरों का पता सटीकता से लगाया जा सकता है। यह बीमारियों से निपटने के लिए नागरिक सहायता प्राप्त निगरानी के लिए मूल्यवान उपकरण साबित साबित होगा।

उन्होंने बताया कि एल्गोरिदम का परीक्षण एक नए अभियान के दौरान किया जाएगा जो अफ्रीका में आक्रामक शहरी मलेरिया फैलाने वाले एनोफिलीज स्टेफेन्सी की निगरानी करने के लिए रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों के सहयोग से शुरू किया गया था। अफ्रीका में नागरिक वैज्ञानिकों को मच्छरों का पता लगाने में सहायता के लिए मच्छरों की तस्वीरें मॉस्क्वीटोएस इन अफ्रीका.ऑर्ग पर साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

शोधकर्ता कार्लीन रिवेरा ने कहा जैसा कि यह काम अफ्रीका को अधिक ध्यान में रखते हुए किया गया है, परियोजना अतिसंवेदनशील आबादी में मच्छर जनित बीमारी की रोकथाम में मदद कर सकती है और घातक प्रकोप को रोक सकती है। इस परियोजना का कृत्रिम बुद्धि और रोग की रोकथाम में मदद करने के लिए दुनिया में प्रमुख प्रभाव है।

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