शोधकर्ताओं ने अगली पीढ़ी की दवाओं की खोज में मदद करने वाला नया एआई फ्रेमवर्क विकसित किया

शोधकर्ता के अनुसार, यह फ्रेमवर्क दवा अनुसंधान में शुरुआती चरण की खोज के लिए एक गेम-चेंजर है, जिसमें दवा प्रतिरोध और हेपेटोटॉक्सिसिटी जैसी समस्याओं के सामने वैकल्पिक (और अधिक प्रभावी) दवा उम्मीदवारों की पहचान करने की क्षमता है
शोधकर्ताओं ने अगली पीढ़ी की दवाओं की खोज में मदद करने वाला नया एआई फ्रेमवर्क विकसित किया
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सारांश
  • यह प्रणाली दवा विकास के शुरुआती चरणों में लगने वाले समय और लागत को काफी कम करने का वादा करती है जो वर्तमान में एक अरब डॉलर और लगभग एक दशक लंबी प्रक्रिया होती है

    • इस नए फ्रेमवर्क का नाम प्योर यानी (पॉलिसी गाइडेड अनबायस्ड रिप्रजेंटेशंस) फॉर स्ट्रक्चर-कॉन्सट्रेंट मॉलेक्यूलर जेनेरेशन रखा गया है

    • प्योर को क्यूईडी (ड्रग लाइकनेस), डीआरडी 2 (डोपामाइन रिसेप्टर एक्टीविटी) और सोल्यूबिलिटी टेस्ट जैसे व्यापक रूप से स्वीकृत मापदंडों पर परखा गया

आईआईटी मद्रास के वाधवानी स्कूल ऑफ डेटा साइंस एंड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (डब्ल्यूएसएआई) और अमेरिका की ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक क्रांतिकारी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) फ्रेमवर्क विकसित किया है, जो वास्तविक प्रयोगशाला परिस्थितियों में आसानी से संश्लेषित की जा सकने वाली दवा-समान अणुओं (मोलेक्यूल्स) को तेजी से उत्पन्न कर सकता है।
यह प्रणाली दवा विकास के शुरुआती चरणों में लगने वाले समय और लागत को काफी कम करने का वादा करती है जो वर्तमान में एक अरब डॉलर और लगभग एक दशक लंबी प्रक्रिया होती है। साथ ही यह और कैंसर तथा संक्रामक रोगों में दवा प्रतिरोध  की समस्या से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

इस नए फ्रेमवर्क का नाम प्योर यानी (पॉलिसी गाइडेड अनबायस्ड रिप्रजेंटेशंस) फॉर स्ट्रक्चर-कॉन्सट्रेंट मॉलेक्यूलर जेनेरेशन रखा गया है। यह मौजूदा मॉलिक्यूल-जनरेशन एआई टूल्स से अलग है, जो कठोर स्कोरिंग मैकेनिजम या सांख्यिकीय अनुकूलन पर निर्भर करते हैं।

प्योर को क्यूईडी (ड्रग लाइकनेस), डीआरडी 2 (डोपामाइन रिसेप्टर एक्टीविटी) और सोल्यूबिलिटी टेस्ट जैसे व्यापक रूप से स्वीकृत मापदंडों पर परखा गया। इसने उत्पन्न अणुओं में अधिक विविधता और नवीनता दिखाई, साथ ही संभावित सिंथेटिक रूट्स (संश्लेषण मार्ग) भी उत्पन्न किए, वह भी बिना उन विशिष्ट स्कोरिंग मेट्रिक्स पर प्रशिक्षित हुए।
यह प्योर को एक जनरल पर्पज एआई इंजन बनाता है, जो एक ही प्रशिक्षित मॉडल के माध्यम से कई बीमारियों और गुणों के लिए काम कर सकता है। यह शोध प्रतिष्ठित जर्नल ऑफ केमिनफॉर्मेटिक्स में प्रकाशित हुआ है।

डब्ल्यूएसएआई के प्रमुख व शोध के लेखक बी रविंद्रन के अनुसार, “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यह बदल रहा है कि हम खोज के बारे में कैसे सोचते हैं और ड्रग डिजाइन इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है। प्योर की विशिष्टता यह है कि यह रिइन्फॉर्सेमेंट लर्निंग का उपयोग केवल कुछ मेट्रिक्स को अनुकूलित करने के लिए नहीं करता, बल्कि यह सीखता है कि अणु कैसे परिवर्तित होते हैं। रासायनिक डिजाइन को वास्तविक प्रतिक्रिया नियमों से मार्गदर्शित क्रियाओं के अनुक्रम के रूप में देखते हुए प्योर हमें ऐसे एआई सिस्टम के करीब लाता है जो एक रसायनज्ञ की तरह संश्लेषण के चरणों को समझ सकता है।”

शोध के अन्य प्रमुख लेखक कार्तिक रमन के अनुसार, “प्योर रासायनिक स्थान की मैपिंग के लिए एक नया दृष्टिकोण अपनाता है, जो किसी विशिष्ट मेट्रिक की ओर पक्षपाती नहीं है जो मौजूदा टूल्स की एक आम कमी है। इसके अलावा यह एक नवीन रिएक्शन रूल बेस्ड अप्रोज के माध्यम से प्रयोगशाला में संश्लेषण योग्य अणुओं का निर्माण करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि उत्पन्न अणु लैब सिंथेसाइजेबल हों।”

ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी के एक अन्य लेखक श्रीनिवासन पार्थसारथी ने कहा कि प्योर दवा अनुसंधान में शुरुआती चरण की खोज के लिए एक गेम-चेंजर है, जिसमें दवा प्रतिरोध और हेपेटोटॉक्सिसिटी जैसी समस्याओं के सामने वैकल्पिक (और अधिक प्रभावी) दवा उम्मीदवारों की पहचान करने की क्षमता है। यह सेल्फ सुपरवाइज लर्निंग और पॉलिसी बेस्ट रीइन्फॉर्समेंट लर्निंग को मिलाता है, जो टेम्पलेट-आधारित मोलेक्यूलर स्टीमुलेशंस का उपयोग करके जटिल आणविक खोज क्षेत्र में नेविगेट करता है। साथ ही मेट्रिक लीकेज को कम करता है।
उन्होंने कहा कि दवा खोज के अलावा प्योर फ्रेमवर्क नए पदार्थों की खोज को तेज करने के लिए भी एक आशाजनक आधार प्रदान करता है। यह भविष्य के अनुसंधान का एक महत्वपूर्ण दिशा है।

प्योर की प्रेरणा प्रयोगशालाओं में वास्तविक दवा संश्लेषण की प्रक्रिया से ली गई है। यह वास्तविक रासायनिक प्रतिक्रियाओं से टेंपलेट्स का उपयोग करते हुए अणुओं के चरण-दर-चरण परिवर्तन का अनुकरण करता है।

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