आकाशगंगा में पहली बार हुआ रेडियो विस्फोट

यह तेज रेडियो ब्लास्ट (एफआरबी) एक सेकंड के लिए होता है, लेकिन सूरज की तुलना में यह 10 करोड़ गुणा अधिक शक्तिशाली हो सकता है
An artist's impression of a magnetar. Photo: Wikimedia Commons
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एक नए अध्ययन में कहा गया है कि आकाशगंगा में रेडियो ऊर्जा के रहस्यमय तीव्र विस्फोटों के बारे में पता चला है। वैज्ञानिकों ने पहली बार इसका पता लगाने में कामयाबी हासिल की है।

यह तेज रेडियो ब्लास्ट (एफआरबी) एक सेकंड के लिए होता है, लेकिन सूरज की तुलना में यह 10 करोड़ गुणा अधिक शक्तिशाली हो सकता है। खगोल वैज्ञानिकों के मुताबिक, इतनी तीव्रता के बावजूद उनकी उत्पत्ति काफी हद तक अज्ञात है।

खगोलविदों के समूह ने आकाशगंगा के भीतर से आने वाली रेडियो तरंगों के छोटे और शक्तिशाली विस्फोट को देखा। नेचर नामक जर्नल में प्रकाशित तीन अध्ययनों में, वैज्ञानिकों के अंतरराष्ट्रीय समूह ने विस्फोट को एफआरबी के रूप में पहचाना और पाया कि पहली बार आकाशगंगा के भीतर से यह विस्फोट हुआ, जबकि इससे पहले ये विस्फोट आकाशगंगा के बाहर से होते थे।

इन अध्ययनों में वैज्ञानिकों ने पाया कि कम से कम एक स्रोत एक्जोटिक स्टेलर वस्तु है, जिसे मैग्नेटर कहा जाता है, यह एक प्रकार का जवान न्यूट्रॉन स्टार है, जो विस्फोट के बाद बहुत सारे स्टार छोड़ देता है, जिसमें एक अत्यंत शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र होता है।

अध्ययन टीम के प्रमुख क्रिस्टोफर बोचनेक बताते हैं कि जब उन्हें पहली बार इस बारे में पता चला तो उत्सुकता के चलते मैं अपने होश में नहीं रह पाया।

ब्रह्माण्ड में एफआरबी कौतूहल पैदा करने वाले रहस्यों में से एक हैं। लाखों प्रकाशवर्ष दूर पैदा होने वाली ये बहुत ही शक्तिशाली रेडियो तरंगे होती हैं। इनमें से कुछ 50 करोड़ सूर्यों से भी ज्यादा ऊर्जा उत्सर्जित करते हैं। इसके बाद भी इनका समय कुछ ही मिली सेकेंड का ही होता है। इनमें से ज्यादातर का दोहराव नहीं होता इसलिए इन्हें पकड़ना और समझना बहुत ही मुश्किल है।

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