खोज: जहरीली कार्बन मोनोऑक्साइड से बनाई रबड़, प्लास्टिक बनाने वाली एथिलीन

कार्बन-मोनोऑक्साइड (सीओ) को एथिलीन में बदलने से वातावरण में प्रदूषण फैलने से रोका जा सकता है। इस तकनीक से सीओ को एथिलीन में बदलने के लिए बहुत कम ऊर्जा लगती है
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एथिलीन या एथीन रासायनिक उद्योग के लिए पहला कच्चा माल है। इससे प्लास्टिक के विभिन्न प्रकार की सामग्री तैयार की जा सकती है। वैज्ञानिकों ने कार्बन मोनोऑक्साइड को एथिलीन में बदलने की एक नई तकनीक बनाई है। इस तकनीक से एथिलीन को कम ऊर्जा का उपयोग कर प्राप्त किया जा सकता है। कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ) एक जहरीली गैस है। यह गैसोलीन, केरोसिन, तेल, प्रोपेन, कोयला, या लकड़ी के जलने से उत्पन्न होती है।

कार्बन मोनोऑक्साइड लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती है। कार्बन मोनोऑक्साइड की अधिकता वाले वातावरण में सांस लेने से शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती हैं। इसके कारण महत्वपूर्ण अंग, जैसे कि मस्तिष्क, तंत्रिका ऊतक और हृदय, को ठीक से काम करने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। इसके सबसे आम लक्षण सिरदर्द, चक्कर आना, कमजोरी, पेट खराब होना, उल्टी, सीने में दर्द और भ्रम होना है।  

कार्बन-मोनोऑक्साइड (सीओ) को एथिलीन में बदलने से वातावरण में प्रदूषण फैलने से रोका जा सकता है। इस तकनीक से सीओ को एथिलीन में बदलने के लिए बहुत कम ऊर्जा लगती है। एथिलीन आमतौर पर पेट्रोलियम रिफाइनरियों से प्राप्त नेफ्था की भाप के द्वारा निर्मित होता है। इस प्रक्रिया मे अधिक समय लग जाता है, जिसमें हाइड्रोकार्बन को 800 से 900 डिग्री सेल्सियस के ताप पर छोटी श्रृंखलाओं में विभाजित किया जाता है। इस शोध को जर्मन केमिकल सोसायटी के जर्नल अंगवंदते कैमी में प्रकाशित किया गया है।

फिशर-ट्रोप्स प्रक्रिया का उपयोग एथिलीन सहित हाइड्रोकार्बन के मिश्रण में गैस को परिवर्तित करने के लिए किया जा सकता है। इस विधि में बहुत अधिक ऊर्जा लगती है, इसे 200 से 250 डिग्री सेल्सियस तक गर्म किया जाता है, 5 से 50 बार गैस पर दबाव बढ़ाया जाता है। इस प्रक्रिया में बहुमूल्य हाइड्रोजन की खपत बहुत अधिक होती है। इस विधि में एथिलीन को अलग करने की प्रक्रिया जटिल है, और इससे 30-50 फीसदी सीओ2 का उत्पादन भी हो जाता है, जो एक अनचाहा उत्सर्जन है।

चाइनीज़ एकेडमी ऑफ़ साइंसेज, डालियान इंस्टीट्यूट ऑफ़ केमिकल फ़िज़िक्स के शोधकर्ताओं ने अब एथिलीन के उत्पादन के लिए इलेक्ट्रोकैटलिटिक प्रक्रिया के तहत नई तकनीक इजाद की है। इस विधि में, कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ) को उत्प्रेरक पर डाला जाता है, साथ ही इस पर विद्युत प्रवाह का उपयोग किया जाता है।

सीओ को एथिलीन में बदलने के लिए, शोधकर्ताओं द्वारा इलेक्ट्रोड पर गैस डाली गई। इसमें उत्प्रेरक सक्रिय रूप में कार्य करता है। यह इलेक्ट्रोड में सीओ के मिश्रण को बढ़ाता है और कार्बन परमाणुओं के बीच इक युग्मन (कपलिंग) बढ़ाता है। इस प्रतिक्रिया के उत्पाद, इथेनॉल, एन-प्रोपेनोल और एसिटिक एसिड, जैसे तरल पदार्थ होते हैं, जिसमें से गैसीय एथिलीन को आसानी से अलग किया जा सकता है।

इस तरह शोधकर्ताओं ने बिना सीओ2 उत्सर्जन के, बहुत कम ऊर्जा के उपयोग से कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ) को एथिलीन में बदल दिया।

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