मेडिसिन क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार 2020 की घोषणा 5 अक्टूबर को की गई। यह पुरस्कार हार्वे अल्टर, माइकल हॉफटन और चार्ल्स राइस को दिया गया। हेपटाइटिस सी वायरस की खोज के लिए यह पुरस्कार तीनों वैज्ञानिकों को दिया गया।
अल्टर अमेरिका की नेशनल इंस्टिट्यूट ऑप हेल्थ से जुड़े हैं, जबकि राइस रॉकफिलर यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर दी स्टडी ऑफ हेपेटाइटिस सी के कार्यकारी निदेशक हैं। वहीं माइकल हॉफटन ब्रिटेन के रहने वाले हैं और ली का शिंग अपलाइड वायरोलॉजी इंस्टिट्यूट से जुड़े हैं।
नोबेल पुरस्कार देने वाली कमेटी ने कहा कि यह पुरस्कार रक्त से पैदा होने वाले हेपटाइटिस से लड़ाई में योगदान के लिए दिया गया है। इस हेपटाइटिस से दुनियाभर में बड़ी तादात में लोगों को सिरोसिस और लीवर कैंसर होता है। तीनों ही वैज्ञानिकों ने एक नोवल वायरस की खोज की, जिससे हेपटाइटिस सी की पहचान हो सकी।
इन वैज्ञानिकों को करीब 11 लाख 20 हजार डॉलर की धनराशि दी जाएगी। नोबेल पुरस्कार की धनराशि तीनों वैज्ञानिकों में बराबर बांट जाएगी। उल्लेखनीय है कि नोबेल पुरस्कारों की घोषणा हर साल की जाती है। यह कार्यक्रम स्वीडन के स्टॉकहोम शहर में होता है। इसके बाद अब अन्य नोबेल पुरस्कारों की घोषणा की जाएगी।
आने वाले दिनों में फिजिक्स, केमिस्ट्री, साहित्य और शांति के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कारों की घोषणा की जाएगी। वहीं अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कारों की घोषणा 12 अक्टूबर को की जाएगी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हेपटाइटिस सी की वजह से दुनिया भर में हर साल लगभग 4 लाख लोगों की मौत होती है। जबकि अनुमान है कि लगभग 7.1 करोड़ लोग हेपटाइटिस सी से संक्रमित हैं। 1960 और 1970 के दशक में हेपटाइटिस सी के संक्रमण की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई थी।