दवाओं की तरह सनस्क्रीन पर भी नियंत्रण की जरूरत, एक अध्ययन के बाद उठे सवाल

अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (जेएएमए) के जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में सनस्क्रीन पर गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं।
दवाओं की तरह सनस्क्रीन पर भी नियंत्रण की जरूरत, एक अध्ययन के बाद उठे सवाल
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हालांकि सनस्क्रीन का इस्तेमाल स्किन कैंसर से बचाव के तौर पर किया जाता है, लेकिन एक नए अध्ययन में खुलासा हुआ है कि सनस्क्रीन के इस्तेमाल से अंतःस्राव (एंडोक्राइन), प्रजनन एवं शारीरिक विकास पर असर पड़ सकता है।

अध्ययन में कहा गया है कि सनस्क्रीन में मिले तत्व आपके रक्त प्रवाह में अवशोषित हो सकते हैं। इस अध्ययन के बाद एक बार फिर यह सवाल उठने लगा है कि क्या दवाओं की तरह कास्मेटिक उत्पादों को भी नियंत्रण (रेग्युलेशन) की जरूरत है?

अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (जेएएमए) के जर्नल में यह अध्ययन प्रकाशित किया गया है। अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में चार समूहों द्वारा यह पायलट अध्ययन किया गया। इन समूह में 24 स्वास्थ्य कार्यकर्ता शामिल थे। उन्हें बाजार में उपलब्ध प्रमुख ब्रांड्स की सनस्क्रीन चार दिन तक दिन में चार बार लगाने को कहा गया।

इसके बाद इन कार्यकर्ताओं के रक्त में एवोबेजोन, ऑक्सीबेंजोन, ऑक्टोक्रीन और इकाम्युसल नाम के चार तत्व (अवयव) की मात्रा मापी गई। परीक्षण में पाया गया कि ये सभी चारों तत्वों (अवयव) में प्लाज्मा सांद्रता 0.5 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर (एनजी/एमएल) से अधिक था। जो एफडीए द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक है।

जेएएमए में छपी संपादकीय में रॉबर्ट कैलिफ और कनाडे शिंकाई ने कहा है कि इसका मतलब यह नहीं है कि सनस्क्रीम में पाए तत्व असुरक्षित हैं। लेकिन इस अध्ययन से यह महत्वपूर्ण सवाल खड़ा होता हे कि सनस्क्रीन उद्योग के साथ-साथ विशेषज्ञ संस्थानों और विनियामक संस्थाओं को इन तत्वों के फायदे या नुकसान का आकलन करना चाहिए।  

अल्ट्रा वायलेट किरणों को प्रतिबिंबित, अवशोषित, या बिखेर कर त्वचा को नुकसान से बचाने के लिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका सहित कई देशों में दवाओं या दवाओं के रूप में सनस्क्रीन को विनियमित किया जाता है और सनस्क्रीन के इस्तेमाल से पहले उसका आकलन किया जाता है कि इससे किसी तरह का नुकसान तो नहीं होगा।  

संपादकीय में कहा गया है कि सबसे पहले 1997 में सनस्क्रीन का अध्ययन के संकेत दिए गए थे। लेकिन 2008 में रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों ने एक अध्ययन किया गया और पाया कि सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने वालों के मूत्र में 97 फीसदी नमूनों में ऑक्सीबेनजोन पाया गया।

हालांकि ऐसी कोई ठोस व्यवस्था नहीं है कि सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने वाले लोगों के रक्त सैंपल लेकर तत्वों की जांच की जाए।

हालांकि उपयोगकर्ता यह मानते हैं कि सनस्क्रीन बनाने और बेचने वाली कंपनियों ने अपने उत्पादों की सुरक्षा और असर के लिए आवश्यक कदम उठाए है, लेकिन, सनस्क्रीन को अभी तक मानक दवा सुरक्षा परीक्षण के अधीन नहीं किया गया है। इसके अलावा, कई दशकों से सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने वालों और डॉक्टरों के बीच आंकड़ों का अभाव है।  

इसके अलावा, सनस्क्रीन के लिए अब तक कोई उपयुक्त परीक्षण की भी व्यवस्था नहीं की गई है।

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