वैज्ञानिकों ने एक ऐसा नया फैब्रिक बनाने में सफलता हासिल की है जो गर्मियों में बिना एसी के भी शरीर को ठंडा रख सकता है। यह कपड़ा गर्मी को शरीर में से निकलने देता है, साथ ही त्वचा से नमी को भी वाष्पित होने देता है। इस कारण त्वचा पर पसीना नहीं रुकता और शरीर ठंडा रहता है। यह शोध जर्नल एसीएस एप्लाइड मैटेरियल्स एंड इंटरफेस में प्रकाशित हुआ है।
दुनियाभर में जिस तरह से तापमान में वृद्धि हो रही है, उसे देखते हुए कूलिंग अब लक्ज़री की जगह सबकी जरूरत बनती जा रही है। साल दर साल लोग ज्यादा से ज्यादा मात्रा में एसी ले रहे हैं। अनुमान है कि दुनियाभर में इस समय घरों और जरूरी सामान ठंडा करने के लिए 360 करोड़ कूलिंग उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह अगले 30 सालों में बढ़कर 1,400 करोड़ हो जाएंगे। इसका असर ऊर्जा की मांग पर भी पड़ पड़ेगा। यदि वर्तमान के आंकड़ों को देखें तो इस समय ऊर्जा की कुल खपत का करीब 10 फीसदी इमारतों को ठंडा रखने के लिए एसी और पंखों पर खर्च हो रहा है।
जिस तरह से आने वाले समय में ऊर्जा की मांग बढ़ रही है और ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ रहा है, उसे देखते हुए पूरी बिल्डिंग को ठंडा करने की जगह शरीर को ठंडा रखना ज्यादा कारगर उपाय है। दुनियाभर में भी अनेक कपड़ों को इस तरह से डिजाइन किया जा रहा है, जिसकी मदद से शरीर को गर्मी में ज्यादा से ज्यादा ठंडा रखा जा सके। लेकिन इनके साथ कई समस्याएं भी हैं, जैसे इनके निर्माण में बहुत ज्यादा वक्त लगता है, कारखाने ज्यादा बिजली लेते हैं, साथ ही उनकी कूलिंग क्षमता भी उतनी ज्यादा नहीं होती। ऊपर से यह बहुत महंगे होते हैं जिस वजह से एक विशिष्ट वर्ग ही इन्हें खरीद पाता है। इसी कारण शोधकर्ता यांग सी, बिन डिंग और उनके साथी एक ऐसा कपड़ा बनाना चाहते थे, जो कुशलता से शरीर की गर्मी को बाहर निकल सके, हवादार हो, पसीने को सोख सके और जिसको बनाना भी आसान हो।
शोधकर्ताओं ने यह कपड़ा पॉलीमर से बनाया है जिसे इलेक्ट्रोसपिनिंग के जरिए पॉलीयूरेथेन में बदल दिया गया है। इस पॉलीयूरेथेन के पानी को हटाने की क्षमता वाले कपड़े को फ्लुओरिनटेड पॉलीयूरेथेन कहते हैं। इसके नैनोफाइबर्स मेमब्रेन्स में बोरोन नाइट्राइड नैनोशीट्स को रखा गया है जो ऊष्मा को अपने में से आने-जाने देते हैं। यह मेमब्रेन्स बाहर से आने वाले पानी को तो रोक देते हैं पर इनके अंदर पर्याप्त बड़े छिद्र होते हैं, जो इसे हवादार बनाते हैं और पसीने को शरीर से वाष्पित हो जाने देते हैं। इसमें इन पॉलिमर नैनोफाइबर्स पर बोरॉन नाइट्राइड नैनोशीट को लगाया जाता है जो एक तरह के नेटवर्क का निर्माण करती है। इसकी मदद से शरीर की गर्मी हवा के माध्यम से कपड़े के बाहर निकल जाती है और शरीर ठंडा रहता है।
जब इस कपड़े पर टेस्ट किए गए तो यह कई अन्य पारंपरिक और उच्च तकनीक से बने कपड़ों की तुलना में कहीं बेहतर तरीके से गर्मी को बाहर कर देने में सक्षम पाया गया है। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि यह तकनीक न केवल शरीर को ठंडा रखने में कारगर है, बल्कि साथ ही यह इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, सौर ऊर्जा और समुद्री जल को साफ करने में भी मददगार हो सकती है।