जानिए क्यों फूलों पर उर्वरकों के छिड़काव के बाद घट जाती है भवरों के बैठने की सम्भावना

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि परागणकर्ता फूलों के चारों ओर विद्युत क्षेत्र में आने वाले बदलावों का पता लगा सकते हैं जो कीटनाशकों के कारण प्रभावित होते हैं
जानिए क्यों फूलों पर उर्वरकों के छिड़काव के बाद घट जाती है भवरों के बैठने की सम्भावना
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क्या आप जानते हैं कि जिन फूलों पर रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का छिड़काव किया जाता हैं उन पर भवरों और अन्य परागणकर्ताओं के उतरने की सम्भावना घट जाती है। जो न केवल इन परागणकर्ताओं के लिए बल्कि साथ ही फसलों के लिए भी नुकसानदेह है। इस बारे में यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल द्वारा किया अध्ययन जर्नल पनास नेक्सस में प्रकाशित हुआ है।

शोधकर्ताओं के अनुसार ऐसा इसलिए होता है क्योंकि परागणकर्ता फूलों के चारों ओर विद्युत क्षेत्र में आने वाले बदलावों का पता लगा सकते हैं। रिसर्च से पता चला है कि रासायनिक कीटनाशक छिड़काव के बाद संपर्क में आने वाले फूलों के आसपास के विद्युत क्षेत्र को 25 मिनट तक के लिए बदल देते हैं।

देखा जाए तो यह प्रभाव प्राकृतिक उतार-चढ़ाव जैसे हवा आदि के कारण आने वाले बदलावों की तुलना में काफी अधिक समय तक रहता है। ब्रिस्टल स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेज से जुड़े डॉक्टर एलार्ड हंटिंग और उनकी टीम का इस बारे में कहना है कि इन उर्वरकों ने परागणकर्ताओं की दृष्टि और गंध को प्रभावित नहीं किया था।

इसकी वजह से केवल फूलों के आसपास इलेक्ट्रिक फील्ड में बदलाव किया था। पता चला है कि भौंरें रसायनों के कारण विद्युत क्षेत्र में आने वाले छोटे और गतिशील परिवर्तनों का पता लगाने और उनकी पहचान करने में सक्षम थे।

कैसे पौधों और परागणकों के बीच होने वाले आपसी संपर्क को प्रभावित करते हैं उर्वरक

इस बारे में शोधकर्ता एलार्ड हंटिंग का कहना है कि, “हम जानते हैं कि केमिकल जहरीले होते हैं, लेकिन हम इस बारे में बहुत कम जानते हैं कि वे पौधों और परागणकों के बीच तत्काल होने वाले आपसी संपर्क को कैसे प्रभावित करते हैं।“

उन्होंने आगे बताया कि “फूलों में कई प्रकार के संकेत होते हैं जो मधुमक्खियों, भंवरों को रिझाने और परागण को बढ़ावा देने के लिए आकर्षित करते हैं। उदाहरण के लिए, मधुमक्खियां इसके लिए फूलों की गंध और रंग जैसे संकेतों का उपयोग करती हैं, लेकिन साथ ही वो पौधों की पहचान के लिए विद्युत क्षेत्रों का भी उपयोग करती हैं।“

ऐसे में उनका कहना है कि इसे जुड़ा एक बड़ा मुद्दा यह है कि कृषि में होता रसायनों का उपयोग, फूलों के इन संकेतों को प्रभावित कर सकता है। साथ ही यह मधुमखियों जैसे परागणकर्ता के व्यवहार में बदलाव कर सकता है।

साथ ही इसके अलावा कई अन्य वायुजनित कण जैसे नैनोकण, गैसें, नैनो-प्लास्टिक और वायरल पार्टिकल भी इसी तरह उनको प्रभावित कर सकते हैं। यह सभी कण विद्युत क्षेत्रों का उपयोग करने वाले जीवों की एक विस्तृत श्रंखला को प्रभावित कर सकते हैं। जो पर्यावरण में करीब-करीब हर जगह मौजूद हैं।

इस बारे में शोधकर्ता एलार्ड हंटिंग ने बताया कि तथ्य यह है कि उर्वरक एक जीव के भौतिक वातावरण को समझने के तरीकेों में हस्तक्षेप करके परागणकों के व्यवहार को प्रभावित करते हैं। उनके अनुसार यह अध्ययन इस पर एक नया दृष्टिकोण प्रदान करता है कि कैसे मानव निर्मित रसायन प्राकृतिक वातावरण को प्रभावित कर रहे हैं।

इस बारे में शोधकर्ता सैम इंग्लैंड ने बताया कि यह मोटरबोट के शोर की तरह है जो मछली की अपने शिकारियों का पता लगाने की क्षमता को प्रभावित कर देता है, या रात में उस कृत्रिम प्रकाश की तरह जो पतंगों को भ्रमित कर देता है। फूलों के विद्युत संकेतों का पता लगाने की कोशिश कर रही मधुमक्खियों के लिए भी यह उर्वरक 'शोर' का एक स्रोत हैं।

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