जानिए आखिर क्यों मंगल ग्रह बन गया है सबसे व्यस्ततम ग्रह ?

कोरोनाकाल में घरों से निकलना सीमित और मना है लेकिन मंगल ग्रह पर जाने की होड़ पूरी दुनिया में दिख रही है। अपने विस्तार का इरादा रखने वाली यह दुनिया अपना अगला ठिकाना मंगल पर चाहती है।
Image Credit : Nasa
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मंगल ग्रह इस वक्त सबसे व्यस्तम ग्रहों में से एक है। कोरोनाकाल में घरों से कम निकलने की हिदायत भले ही दी जा रही हो लेकिन पृथ्वी से मंगल ग्रह जाने की होड़ चल पड़ी है। दुनिया के कई देशों की नुमाइंदगी यहां है या होने वाली है। जल और जीवन की खोज में इंसानी सोच इन दिनोें मंगल ग्रह पर चहलकदमी कर रही है। 

फ्लोरिडा स्पेस तट से 30 जुलाई, 2021 को नासा के पर्सिवियरेंस रोवर को लांच किया गया था। इसके लैंडिंग टीम की अगुवाई भारतीय मूल की वैज्ञानिक स्वाति मोहन कर रही थीं। वहीं, दूसरी तरफ इसी फरवरी, 2021 में ही दो और देशों के ऑर्बिटर मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचे हैं। इनमें अरब देशों से पहली बार संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का अंतरिक्षयान होप और चीन का ऑर्बिटर तियानवेन-1 शामिल है। तियानवेन का अर्थ है होता है स्वर्ग से सवाल। मंगल की कक्षा से लेकर सतह तक यह मशीन एक दूसरे का स्वागत कर रहे हैं। लेकिन सवाल है कि फरवरी, 2021 में ही मंगल ग्रह पर इतनी हलचल क्यों हुई?

हर 26 महीने में ऐसा अवसर ऐसा आता है जब मंगल और पृथ्वी के बीच की सामान्य दूरी काफी कम हो जाती है। इस मौके का फायदा उठाकर ही पृथ्वी से मंगल की ओर अंतरिक्षयान को भेजना फायदेमंद माना जाता है ताकि कम दूरी और कम समय में लक्ष्य तक अंतरिक्ष यानों को पहुंचाया जा सके। पृथ्वी और मंगल ग्रह एक अंडाकार मार्ग पर सूर्य की परिक्रमा करते हैं। साथ ही ये दोनों ग्रह अपने-अपने ग्रहपथों पर कुछ डिग्री झुके हुए हैं। इन वजहों से दोनों ग्रहों के बीच की दूरी कम और ज्यादा होती रहती है। लेकिन जब ये दूरी बिल्कुल कम हो जाती है तब सूर्य पृथ्वी और मंगल ग्रह बिल्कुल एक सीध में दिखाई देते हैं। इसे विज्ञान की भाषा में ‘मार्स एट अपोजिशन’ कहा जाता है। अब 18 दिसंबर, 2022 को ऐसा मौका आएगा जब पृथ्वी और मंगल के बीच की दूरी सामान्य से कम होगी।

यूएई का होप ऑर्बिटर मंगल की सबसे वृहत कक्षा में है और वह मंगल के मौसम और जलवायु व्यवस्था की विस्तार से खोज-खबर लेगा। होप ऑर्बिटर मंगल की वृहत कक्षा में चक्कर काटते हुए यह जानने की कोशिश करेगा कि यह ग्रह कितना गर्म था और फिर कैसे ठंडा हुआ। वहीं चीन के तियानवेन ने मंगल की कक्षा से पहली एचडी तस्वीर धरती पर भेजी है। यह रडार के जरिए मंगल की सतह की मैपिंग और वहां के मिट्टी के गुणों व बर्फ की जानकारी जुटाने की कोशिश करेगा। चीन का हाईटेक रोवर भी मंगल की सतह पर मई, 2021 के दौरान उतर सकता है।  

यहां देखिए मंगल ग्रह पर कितनी है भीड़ 

मंगल ग्रह के ऑर्बिट में सक्रिय अंतरिक्ष यान

नासा के सक्रिय ऑर्बिटर

  • मार्स रीकॉनिसेंस आर्बिटर 2006
  • मार्स ओडिसी 2006
     
  • - मावेन 2013

ईएसए के सक्रिय ऑर्बिटर

  • ईएसए रीकॉस्मोस एक्सोमार्स 2016
  • ईएसए मार्स एक्सप्रेस 2003

 भारतीय इसरो का सक्रिय ऑर्बिटर : (मार्स ऑर्बिटर मिशन) मंगलयान 2014

मंगल पर अरब देश का पहला अंतरिक्ष यान  : यूएई का अंतरिक्षयान होप फरवरी, 2021

चीन का ताइनवैन-1 फरवरी, 2021  

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मंगल ग्रह के सतह पर सक्रिय रोवर और लैंडर्स

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नासा क्यूरोसिटी रोवर अगस्त, 2012

नासा इनसाइट लैंडर नवंबर, 2018

नासा प्रिजर्वेंस रोवर फरवरी, 2021

चीन ताइनवैन-1 रोवर प्रत्याशित मई-जुलाई, 2021

ईएसए और रूस का संयुक्त रोवर एक्सोमार्स जून, 2023 तक प्रत्याशित 

मंगल सतह पर असक्रिय रोवर और लैंडर्स :

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मार्स 3 (लैंडर), दिसंबर 1971

वाइकिंग–1 (लैंडर), जुलाई, 1976- नवंबर 1982

वाइकिंग -2 (लैंडर) , सितंबर 1976-अप्रैल 1980

पाथपाइंडर (सोजर्नर रोवर के साथ) जुलाई 1997 से सितंबर,1997

बीगल-2 लैंडर, लैंडिंग दिसंबर 2003- 2004 में विफल घोषित

स्प्रिट (रोवर) जनवरी, जनवरी 2004 से मार्च 2010 तक

फोनिक्स (लैंडर), अगस्त 2008 से मई 2008  

सिचियापरेल्ली (अक्तूबर, 2016) सतह पर नष्ट

नासा ऑप्युरचिनिटी (जनवरी 2004-2018)

  • मंगल की सतह पर नासा का प्रिजर्वेंस 9वां ऐसा स्पेसक्राफ्ट है जो लैंडिंग के बाद वहां से सफल तरीके से सूचनाएं भेज सका। यूरोप और रूस संयुक्त तौर पर व चीन का रोवर अभी उतरना बाकी है जो सतह पर 10वा और 11वा होगा।  

स्रोत – नासा, ईएसए, वीएसएससी, सीएनएसए

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