जानिए पहली बार मंगल ग्रह पर हेलीकॉप्टर लेकर पहुंचे पर्सिवियरेंस रोवर ने दुनिया से क्या कहा?

तैयारियां पूरी हैं मंगल ग्रह पर दुनिया का पहला हेलीकॉप्टर उड़ाने भरने ही वाला है। पर्सिवियरेंस रोवर दुनिया को एक खास देश की भाषा में संदेश पहुंचा रहा है, जिसे डिकोड करना बेहद कठिन है।
Image Credit : Nasa : Perseverance Rover
Image Credit : Nasa : Perseverance Rover
Published on

"हेलो ! दुनिया वालों यह मेरे हमेशा के लिए रहने वाले घर की पहली झलक है। 'जजीरो क्रेटर' पर आपका स्वागत है।" अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के रोवर पर्सिवियरेंस ने मंगल ग्रह की सतह से 19 फरवरी, 2021 को ट्विटर के जरिए कोरोना महामारी के बीच दुनिया को यह संदेश दिया है।

करीब 7 महीने से नासा के वैज्ञानिकों और दुनिया को इसी संदेश का इंतजार था। फ्लोरिडा स्पेस तट से 30 जुलाई, 2021 को इसी उम्मीद के साथ इस रोवर को लांच किया गया था। इसके लैंडिंग टीम की अगुवाई भारतीय मूल की वैज्ञानिक स्वाति मोहन कर रही थीं। वहीं, दूसरी तरफ इसी फरवरी, 2021 में ही दो और देशों के ऑर्बिटर मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचे हैं। इनमें अरब देशों से पहली बार संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का अंतरिक्षयान होप और चीन का ऑर्बिटर तियानवेन-1 शामिल है। तियानवेन का अर्थ है होता है स्वर्ग से सवाल। मंगल की कक्षा से लेकर सतह तक यह मशीन एक दूसरे का स्वागत कर रहे हैं। लेकिन सवाल है कि फरवरी, 2021 में ही मंगल ग्रह पर इतनी हलचल क्यों हुई?

हर 26 महीने में ऐसा अवसर ऐसा आता है जब मंगल और पृथ्वी के बीच की सामान्य दूरी काफी कम हो जाती है। इस मौके का फायदा उठाकर ही पृथ्वी से मंगल की ओर अंतरिक्षयान को भेजना फायदेमंद माना जाता है ताकि कम दूरी और कम समय में लक्ष्य तक अंतरिक्ष यानों को पहुंचाया जा सके। पृथ्वी और मंगल ग्रह एक अंडाकार मार्ग पर सूर्य की परिक्रमा करते हैं। साथ ही ये दोनों ग्रह अपने-अपने ग्रहपथों पर कुछ डिग्री झुके हुए हैं। इन वजहों से दोनों ग्रहों के बीच की दूरी कम और ज्यादा होती रहती है। लेकिन जब ये दूरी बिल्कुल कम हो जाती है तब सूर्य पृथ्वी और मंगल ग्रह बिल्कुल एक सीध में दिखाई देते हैं। इसे विज्ञान की भाषा में ‘मार्स एट अपोजिशन’ कहा जाता है। अब 18 दिसंबर, 2022 को ऐसा मौका आएगा जब पृथ्वी और मंगल के बीच की दूरी सामान्य से कम होगी।

यूएई का होप ऑर्बिटर मंगल की सबसे वृहत कक्षा में है और वह मंगल के मौसम और जलवायु व्यवस्था की विस्तार से खोज-खबर लेगा। होप ऑर्बिटर मंगल की वृहत कक्षा में चक्कर काटते हुए यह जानने की कोशिश करेगा कि यह ग्रह कितना गर्म था और फिर कैसे ठंडा हुआ। वहीं चीन के तियानवेन ने मंगल की कक्षा से पहली एचडी तस्वीर धरती पर भेजी है। यह रडार के जरिए मंगल की सतह की मैपिंग और वहां के मिट्टी के गुणों व बर्फ की जानकारी जुटाने की कोशिश करेगा। चीन का हाईटेक रोवर भी मंगल की सतह पर मई, 2021 के दौरान उतर सकता है।    

वहीं, 46 किलोमीटर व्यास वाली सूखी झील जजीरो क्रेटर पर नासा के पर्सिवियरेंसकी चहलकदमी जारी है। वहां की हवा के थपेड़ों और सतह पर दिखाई देने वाली चीजों की अहम सूचनाएं वह ट्वीट के जरिए नवाहो भाषा में पृथ्वी को देना शुरु कर चुका है। यह ऐसे ही अगले दो साल तक जानकारी जुटाता रहेगा। पर्सिवियरेंसरोवर ने 12 मार्च, 2021 को नवाहो भाषा में लिखा माज (मार्स) में स्वागत है। साथ ही सतह पर लाल पत्थर और बालू का जिक्र भी किया।  

संयुक्त राज्य अमेरिका की भौगोलिक सीमा में नवाजो नेशन है और वहां की कुछ भौगोलिक स्थितियां मंगल ग्रह से मिलती-जुलती हैं। अमेरिकी मूल के आदिवासी यहां रहते हैं। यहां की भाषा को नवाहो कहते हैं। फिलहाल नवाहो सरकार परसेरवेंस की सूचनाओं को डिकोड करने में सहायता कर रही है। इस भाषा का इस्तेमाल द्वितीय विश्वयुद्ध में कूटभाषा के तौर पर इस्तेमाल किया गया था। 

मार्स मिशन 2020 के तहत मंगल की सतह पर उतरने वाला पर्सिवियरेंस ऐसा पहला रोवर है जो कुछ बेहतरीन इंसानी गुण भी रखता है। देखने और सुनने के अलावा यह मंगल की रेतीली और चट्टानी सतह पर सैंपल भी एकत्र कर सकता है। इतना ही नहीं इस रोवर के साथ पहली बार इंज्युनिटी हेलीकॉप्टर भी पहुंचा है। यह पहली बार होगा कि किसी दूसरे ग्रह पर पृथ्वी का हेलीकॉप्टर उड़ सकेगा।

नासा की ताजा सूचनाओं के मुताबिक मंगल की सतह पर यह हेलीकॉप्टर उड़ने की तैयारी में है।

लेकिन मंगल का वातावरण  कैसा है और वहां क्या संभावनाएं हैं पढिए अगली कड़ी...  

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in