मंगल ग्रह यानी लाल ग्रह हमारी जिज्ञासाओं में हमेशा खास स्थान रखता रहा है। यह हमारा करीबी ग्रह है जो पृथ्वी के प्रतिनिधियों की मेजबानी में बेहद व्यवस्त हो चुका है। मंगल पर पृथ्वी के भेजी हुई मशीनें जल और जीवन खोजने में व्यस्त हैं। यह इंसानी क्षमता रखने वाली मशीनें हैं। वैज्ञानिकों को ऐसा लगता है कि यहां कभी जल-जीवन था और आगे भी जीवन संभव है। दिवंगत वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने कहा था कि पृथ्वी वासियों को सुरक्षित बने रहने के लिए किसी दूसरे ग्रह पर अपना डेरा डालना होगा। क्या यह सच होने जा रहा है। अमेरिकी अंतरिक्ष नासा का सबसे आधुनिकतम रोवर पर्सिवियरेंस मंगल ग्रह की सतह पर हाल ही में उतर गया है जो वहां अपना काम भी शुरू कर चुका है। खगोल जीव की खोज में गए इस रोवर के बारे में मुंबई स्थित इंडियन एस्ट्रोबायोलॉजी रिसर्च फाउंडेशन के प्रमुख वैज्ञानिक पुष्कर गणेश वैद्य ने डाउन टू अर्थ के विवेक मिश्रा को दिए साक्षात्कार में कुछ रहस्यों से पर्दा खोला है:
सवाल : मंगल की सतह पर 18 फरवरी को उतरने वाला नासा का ताजा रोवर पर्सिवियरेंस का मुख्य विषय खगोलीय जीवविज्ञान (एस्ट्रोबायोलॉजी) है। ऐसे में यदि यह रोवर मंगल पर यह खोजने में सफल होता है कि वहां कभी जीवन था या जीवन है तो इसके पृथ्वी के लिए क्या मायने और यह जानकारी मानवजाति के लिए कितनी महत्वपूर्ण होगी ?
पुष्कर गणेश वैद्य : यदि पर्सिवियरेंस रोवर मंगल ग्रह पर सूक्ष्मजीवों के के बारे में कोई जानकारी खोजने में सफल होता है तो हमें यह महसूस करने में काफी मदद होगी कि वास्तविकता में जीवन एक ब्रह्मांडीय अवाधरणा है। पूर्वी सभ्यताओं, खासतौर से भारतीय सभ्यता में यह मान्यता है कि जीवन एक ब्रह्मांडीय अवधारणा है। इसलिए मैं यह अंदाजा लगाता हूं कि ऐसी अवधारणा रखने वालों के लिए मंगल पर जीवन का होना कोई हैरानी का विषय नहीं होगा। हालांकि, पश्चिमी सभ्यताओं में खासतौर से जहां आधुनिक अवतार हैं और जो जीवन को एक ब्रह्मांडीय अवधारणा नहीं मानते हैं, ऐसी सभ्यताओं के लिए यह एक नया टर्म होगा।
सवाल : क्या ऐसा संभव है कि पृथ्वी के शुरुआती सूक्ष्म जीवों के पूर्वज (एनसेस्टर्स) मंगल से आए हों ?
पुष्कर गणेश वैद्य : बिल्कुल, यह सिर्फ संभव नहीं है बल्कि बहुत हद तक यह माना जा सकता है कि पृथ्वी पर जीवन मंगल ग्रह के जरिए बीजारोपित हुआ है। हम जानते हैं कि मंगल ग्रह भौगोलिक तौर पर पृथ्वी से पुरानी है। और हम यह भी जानते हैं कि मंगल ग्रह पर कुछ निश्चित जैविक अणु हैं जो कि जीवन पैदा कर सकने वाली जैव रसायन को सहयोग करते हैं। अब नासा का पर्सिवियरेंस रोवर यदि कुछ खोजने में सफल हो पाता है या नहीं, जो भी परिणाम होंगे बेहद उत्साहित करने वाले होंगे क्योंकि जो भी जानकारी होगी वह पूरे ब्रह्मांड पर लागू होगी।
सवाल : क्या एक ग्रह से दूसरे ग्रह पर जीवन का जाना संभव है?
पुष्कर गणेश वैद्य : सूक्ष्म जीव चट्टानों के जरिए एक ग्रह से दूसरे ग्रह पर जा सकते हैं। इस प्रक्रिया को ट्रांसपर्मिया कहते हैं। ऐसा कुछ पर्सिवियरेंस रोवर के जरिए खोजा जाता है तो यह एक अच्छी खबर होगी क्योंकि इससे एक ग्रह से दूसरे ग्रह पर जीवन के जाने की अवधारणा की पुष्टि होगी। इसका यह भी मतलब होगा कि दूसरे सौर ग्रहों पर जीवन की संभावना है। नासा का पर्सिवियरेंस रोवर किसी भी रूप में मंगल पर जीवन को खोज सकता है। यह बुनियादी तौर पर जैवरासायनिक रंगरूप से भिन्न भी हो सकता है। यह स्वतंत्र तौर पर जीवन की उत्पत्ति के बारे में भी बता सकता है जो कि और भी ज्यादा शानदार खबर होगी क्योंकि इससे यह कहा जा सकता है कि जीवन आसानी से पनप सकता है। और हमें अपने ब्रह्मांडीय गणनाओं को दोबारा लिखकर दूसरे ग्रहों पर जीवन खोजने की ओर बढ़ना होगा। इसके इतर यदि रोवर कुछ नहीं खोजा पाता है, मसलन जीवन तो हमें यह मानना पड़ेगा कि सूक्ष्म जीवों की अवधारणा ब्रह्मांडीय नहीं है और ट्रांसपर्मिया की अवधारणा भी वैध नहीं है।
सवाल ः क्या मंगल ग्रह पर कॉर्बन डाई ऑक्साइड को ऑक्सीजन में तब्दील किया जा सकता है ?
पुष्कर गणेश वैद्य : नासा का पर्सिवियरेंस रोवर अपने साथ एक एक्सपरीमेंट लेकर पहुंचा है। इसे मॉक्सी कहते हैं। यानी मार्स ऑक्सीजन इन सीटू एक्सपरीमेंट। यह एक प्रयास है जो इलेक्ट्रोलाइसिस प्रक्रिया का इस्तेमाल करेगा। जिससे हम मंगल पर उपलब्ध सीओटू को भी ऑक्सीजन में बदलने में सक्षम हो सकते हैं। मॉक्सी ऐसा कई बार कर चुका है। मंगल ग्रह के वातावरण में 0.1 फीसदी ऑक्सीजन और 96 फीसदी कॉर्बन डाई ऑक्साइड है। हमें यह अभी देखने की जरूरत है कि यह कैसे होगा।
सवाल ः कई देशों की मंगल ग्रह पर जीवन को खोजने की रुचि बढ़ रही है, इसे कैसे देखते हैं ?
पुष्कर गणेश वैद्य : मंगल ग्रह ही सिर्फ एक ऐसा विकल्प है जहां अतंरिक्ष कार्यक्रमों की चलहकदमी हो सकती है। जहां भविष्य में जाने के बारे में सोचा जा सकता है। बुध और शुक्र ग्रह अभी हमारी पहुंच से काफी बाहर हैं और वह विकल्प भी नहीं नहैं। अन्य संभावित विकल्पों में यूरोपा यानी बृह्स्पति ग्रह का उपग्रह शामिल है। लेकिन वह बहुत दूर है और अंजाना भी। यदि एक देश मंगल ग्रह पर जाने का विकल्प रखता है तो दूसरे देशों को भी जरूर जाना चाहिए।