सूखते कपड़ों से पैदा हुई बिजली, आईआईटी खड़गपुर की खोज

शोधकर्ताओं ने एक खाली जगह में एक साथ कई कपड़े सुखाते हुए यह बिजली पैदा की है
सूखते कपड़ों से पैदा हुई बिजली, आईआईटी खड़गपुर की खोज
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कल्पना कीजिए कि खुले वातावरण में कपड़े सुखाने से आप बिजली भी पैदा कर सकते हैं। यह कोई कोरी कल्पना नहीं है, बल्कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड़गपुर के शोधकर्ताओं ने खोज की है। इससे दूरदराज के इलाकों में बिजली की जरूरत को पूरा किया जा सकता है।

आईआईटी, खड़गपुर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर सुमन चक्रवर्ती के नेतृत्व में बनी टीम ने कपड़े की आंतरिक सतह में नैनोकैनल्स का इस्तेमाल किया, जबकि कृत्रिम रूप से इंजीनियर बिजली उत्पादन उपकरणों को बाहरी पंपिंग संसाधनों की आवश्यकता होती है। चक्रवर्ती ने कहा कि इस मामले में  केशिका क्रिया द्वारा सेल्यूलोज से बने कपड़ों में जिल्द रेशेदार नैनो-स्केल नेटवर्क के माध्यम से नमक आयनों को गति दी जाती है, जिससे विद्युत क्षमता हासिल होती है।

हाल ही में नैनो लेटर्स में प्रकाशित किया गया है। शोधकर्ताओं ने इसके लिए एक दूरदराज का गांव चुना, जहां लगभग 3000 वर्ग मीटर क्षेत्र में बड़ी संख्या (लगभग 50) कपड़ों को सुखाया गया। कपड़े एक कमर्शियल सुपर-कैपेसिटर से जुड़े थे। डिवाइस ने प्राकृतिक वाष्पीकरण के माध्यम से नमक आयनों को एक गति प्रदान की और बड़ी तादात में वाष्पोत्सर्जन सतह तक पहुंच गई।

इस प्रक्रिया से लगभग 24 घंटे में 10 वोल्ट तक की बिजली को स्टोर किया गया, जो एक घंटे से अधिक समय तक सफेद एलईडी को चमकाने के लिए पर्याप्त है। जबकि ऊर्जा संचयन के मौजूदा तरीके जटिल संसाधनों का उपयोग करते हैं,  क्योंकि इनमें बाहरी पंपिंग संसाधनों की आवश्यकता होती है, शोधकर्ताओं ने कपड़े की आंतरिक सतह ऊर्जा का उपयोग करके प्राकृतिक वातावरण में बिजली उत्पन्न की।

शोधकर्ताओं ने कहा कि एक गर्म और शुष्क वातावरण में बिजली उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है, जहां प्राकृतिक वाष्पीकरण सहज रूप से बढ़ जाता है। इस प्रकार, यह पृथ्वी के भौगोलिक रूप से गर्म और शुष्क क्षेत्रों में बहुत प्रभावी हो सकता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि इसे नियमित रूप से पहनने योग्य कपड़ों के एक सेट को सूरज की रोशनी में सुखाने से भी बढ़ाया जा सकता है।

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