मानव विकास की कहानी 70 लाख पहले तब से शुरू होती है जब हमारे पूर्वज अफ्रीका में विचरण करते थे। तब होमोनिन यानी मानव पूर्वजों के समूह ने सीधा चलना शुरू ही किया था। 20 लाख साल पहले मानव-सी दिखने वाली होमोनिन की होमो इरेक्टस प्रजाति अस्तित्व में आई। हमारी प्रजाति यानी होमो सेपियंस का प्रादुर्भाव अफ्रीका में 2 लाख साल पहले हुआ। होमो सेपियंस को छोड़कर अन्य मानव प्रजातियां धीरे-धीरे विलुप्त हो गईं। लेकिन हमारी प्रजाति का लगातार विकास होता है और वह पर्यावरण अनुकूलित होती गई। मानव प्रजाति का विकास कैसे हुआ? वे कौन से कारण रहे जिससे होमो सेपियंस प्रजाति बची रही जबकि अन्य विलुप्त हो गईं? भविष्य में मानव कैसा दिखेगा? इन तमाम मुद्दों पर रोहिणी कृष्णामूर्ति ने न्यूयॉर्क सिटी यूनिवर्सिटी के जॉन जे कॉलेज में जीवविज्ञान के प्रोफेसर नैथन एच लेंट्स से बात की:
क्या आप मानव विकास के महत्वपूर्ण पड़ावों पर रोशनी डाल सकते हैं?
पहला महत्वपूर्ण पड़ाव वह था जब हमारे पूर्वजों ने अपने दोनों पैरों पर सीधा चलना सीखा। वह गर्मी का दौर था। तब अफ्रीका में वर्षावन सिकुड़ रहे थे और चाराभूमि फैल रही थी। हमारे वानर पूर्वज 40 से 50 लाख साल पहले पेड़ों पर रहना छोड़ रहे थे। दूसरा पड़ाव तब आया जब हमारे पूर्वजों ने पत्थर के सामान्य औजार बनाने सीखे। यह 30 लाख साल पहले हुआ और इस घटना ने हमें एक नए रास्ते पर मोड़ दिया। हमारे पूर्वजों ने म्यूटेशन और जैविक विकास की प्रतीक्षा करने के बजाय हथियारों के साथ अपनी पारिस्थितिकी से आगे बढ़ने लगे। इससे असीमित संभावनाओं के द्वार खुल गए जो अब तक जारी है।
एक अन्य महत्वपूर्ण पड़ाव होमो इरेक्टस का आगमन था। 20 लाख साल पहले यह हमारे सबसे सफल पूर्वज थे। इनका शरीर हमसे एकदम अलग था और यह अफ्रीका से निकलकल मध्य पूर्व, एशिया और यहां तक कि प्रशांत के द्वीपों में फैल गए। हमारी खुद की होमो सेपियंस प्रजाति का प्रादुर्भाव 5 लाख साल पहले और यह मौजूदा स्वरूप में 2 लाख साल पहले आई। मानव सांस्कृतिक और अफ्रीका से बाहर निकलकर खुद को लगातार आधुनिक और विकसित करता रहा। इसी कारण 65 हजार साल पहले जटिल भाषाओं का उदय हुआ। साथ ही 10 से 15 हजार साल पहले दुनियाभर में कृषि, शहरों का उदय हुआ। इसके बाद जो हुआ वह इतिहास है।
अन्य मानव प्रजातियों के विलुप्त होने का क्या कारण हो सकता है? होमो सेपियंस को जीवित रहने में किसने सक्षम बनाया?
हमारे सामने कई मानव प्रजातियां रही हैं और वे सभी विलुप्त हो गईं। ज्यादातर मामलों में आबादी छोटी थी। उनका दायरा एक सीमित क्षेत्र तक था। हमें पूरी स्पष्टता से नहीं पता कि उनका क्या हुआ। लेकिन इतना स्पष्ट प्रतीत होता है कि आधुनिक मनुष्यों के साथ प्रतिस्पर्धा ने निश्चित रूप से उनकी विलुप्ति में एक भूमिका निभाई है। जैसे-जैसे अधिक उन्नत आबादी को अधिक आदिम लोगों का सामना करना पड़ा, उन्होंने उनकी जगह ले ली। शायद समान संसाधनों और आवास के लिए प्रतिस्पर्धा ने उन्हें खत्म कर दिया। अविश्वसनीय रूप से अधिक उन्नत मनुष्य अफ्रीका से निकला और पूरी दुनिया में फैल गया। इस उन्नत मनुष्य ने बाहर पहले से मौजूद प्रजातियों को प्रतिस्थापित कर दिया और उनके साथ अंत: क्रिया की। एक बार जब पूरी तरह से विकसित मनुष्य आ गए तो ऐसा लगा कि दुनिया एक से अधिक मानव प्रजातियों के लिए पर्याप्त नहीं है।
अतीत में जलवायु परिवर्तन ने मानव विकास को कैसे आकार दिया है और जलवायु परिवर्तन के साथ मनुष्यों के कैसे विकसित होने की संभावना है?
जलवायु परिवर्तन हमेशा प्रजातियों को अनुकूलन के लिए मजबूर करते हैं। वास्तव में, यह एक गर्म और शुष्क अवधि थी जिसने हमारी प्रजातियों को सिकुड़ते वर्षावन से बाहर और खुले घास के मैदानों की ओर धकेल दिया, जिसने हमारे अद्वितीय विकास की शुरुआत की। हालांकि, जलवायु परिवर्तन की वर्तमान गति चिंताजनक है क्योंकि अधिकांश प्रजातियां पर्याप्त तेजी से अनुकूलन में सक्षम नहीं होंगी। नुकसान को कम करने के लिए मनुष्य उद्योग और प्रौद्योगिकी का उपयोग करेगा, लेकिन संपन्न पारिस्थितिकी तंत्र के बिना हमारी जीवन शैली वर्तमान में टिकाऊ नहीं है।
क्या आप भविष्य में इंसानों के विलुप्त होने की उम्मीद करते हैं?
मानव प्रजाति बहुत चालाक और अनुकूलनीय है, लेकिन हमारे पास संसाधनों के सतत उपयोग के बारे में दीर्घकालिक सोच की कमी है। मानव इतिहास और पूर्व-इतिहास ऐसे समाजों के उदाहरणों से भरा पड़ा है जिन्होंने अपने संसाधनों का बुद्धिमानी से प्रबंधन नहीं किया और परिणामस्वरूप पतन और विनाशकारी गिरावट का सामना करना पड़ा। मुझे आशा है कि हमने अतीत से सबक सीखा है, लेकिन वर्तमान में, ऐसा प्रतीत नहीं होता है। नहीं, मुझे नहीं लगता कि इंसान विलुप्त हो जाएंगे। मुझे लगता है कि किसी प्रकार के पतन की संभावना बढ़ रही है, लेकिन कोई नहीं जानता कि यह कितना विनाशकारी होगा। मौजूदा समय में मनुष्य दुनिया के सभी कोनों में फैल गया है, इसलिए यह कल्पना करना बहुत कठिन है कि पूरी आबादी खत्म हो जाएगी। हम लोग यहां ठहरने के लिए हैं।
भविष्य में मनुष्य कैसे विकसित होंगे? आप क्या बदलाव देखने की उम्मीद करते हैं?
अब हम पूरी तरह से जैविक विकास के बजाय सांस्कृतिक विकास के दायरे में हैं और यह अत्यधिक अप्रत्याशित है। हम जीन संपादन (एक ऐसी तकनीक जो वैज्ञानिकों को जीवों के डीएनए को बदलने की अनुमति देती है) और मानव वृद्धि के अन्य रूपों के माध्यम से अपने जैविक भाग्य को नियंत्रित करना शुरू कर रहे हैं। हम अपनी चिकित्सा और अनुवांशिक समस्याओं को हल करना जारी रखेंगे और उम्मीद है कि कम पीड़ा वाले भविष्य की ओर बढ़ेंगे। लेकिन यह देखा जाना बाकी है कि क्या हम अपने संसाधनों का प्रबंधन और वितरण इस तरह से कर सकते हैं जिससे दीर्घकालिक स्थिरता और सद्भाव को बढ़ावा मिले। दुर्भाग्य से मैं राजनीति और सार्वजनिक नीति को जीव विज्ञान की तुलना में हमारे भविष्य के अधिक निर्धारकों के रूप में देखता हूं। हम अपने इतिहास में एक महत्वपूर्ण बिंदु पर हैं।
प्रौद्योगिकी हमारे भविष्य के विकास का प्राथमिक इंजन होगी। लेकिन ये कोई नई बात नहीं है। जब से पहला पत्थर का औजार बनाया गया था, तब से इंसानों ने शरीर के काम को बढ़ाने या उतारने के लिए तकनीक बना ली है। कपड़ों से लेकर आग, औजारों और कंप्यूटरों तक हम क्या कर सकते हैं और हम कैसे जी सकते हैं, इसकी संभावनाओं का विस्तार करने के लिए इंसानों ने तकनीक का इस्तेमाल किया है। निकट भविष्य में मनुष्य आनुवंशिक रोगों का इलाज कर रहे होंगे और अपनी जीव विज्ञान और आनुवंशिकी को बढ़ाएंगे। ब्रेन-मशीन इंटरफेस जल्द ही हमें पक्षाघात को ठीक करने और खोए हुए अंगों को बदलने की अनुमति देगा। हम अपनी खुद की इंद्रियों को भी बढ़ाने में सक्षम हो सकते हैं जो बहुत पहले चश्मे और श्रवण यंत्रों से शुरू हुई थी। अत: कह सकते हैं कि भविष्य असीमित है!