गर्मी-सूखा और कीड़े जैसे तनावों का सामना करने के लिए पौधे खुद के लिए बनाते हैं एस्पिरिन

शोधकर्ताओं के अनुसार यह खोज पौधों को जलवायु परिवर्तन के खतरे से सुरक्षित रखने में मददगार हो सकती है
फोटो: क्रिस क्विंटाना/ आईआरआरआई
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क्या आप जानते हैं कि गर्मी, सूखा और कीड़े जैसे खतरों से बचने के लिए पौधे सैलिसिलिक एसिड का उत्पादन करते हैं, जिसे एस्पिरिन भी कहा जाता है। शोधकर्ताओं के अनुसार इस बारे में बेहतर समझ पौधों को जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते तनाव से सुरक्षित रखने में मददगार हो सकती है।

इस बारे में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, रिवरसाइड द्वारा की गई यह रिसर्च जर्नल साइंस एडवांसेज में प्रकाशित हुई है। इस रिसर्च में शोधकर्ताओं ने जानकारी दी है कि कैसे पौधे सैलिसिलिक एसिड के उत्पादन को नियंत्रित करते हैं। गौरतलब है कि अपनी इस रिसर्च में शोधकर्ताओं ने अरबीडॉप्सिस नामक पौधे पर अध्ययन किया है।

हालांकि उन्हें उम्मीद है कि इस पौधे की कोशिकाओं में तनाव प्रतिक्रियाओं के बारे में उन्होंने जो जानकारी हासिल की है उसे भोजन के लिए उगाए जाने वाले पौधों पर भी लागू किया जा सकता है। इस बारे में यूसीआर में प्लांट जेनेटिसिस्ट और अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता जिन-झेंग वांग का कहना है कि, हम प्राप्त जानकारी का उपयोग फसलों में खतरों के प्रति प्रतिरोध में सुधार के लिए करना चाहते हैं। जो तेजी से गर्म होती दुनिया में खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक पर्यावरण सम्बन्धी तनावों के कारण सभी जीवों में रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पीशीज या आरओएस का निर्माण होता है। उदाहरण के लिए धूप के समय यदि सनस्क्रीन न लगाएं तो इंसानी त्वचा आरओएस उत्पन्न करती है। जो झाईयों और जलन का कारण बनता है। हालांकि पौधों में आरओएस का उच्च स्तर घातक हो सकता है।

क्या है पौधे के सुरक्षा तंत्र का विज्ञान

कई अन्य पदार्थों की तरह ही यदि जहर भी एक निश्चित मात्रा में हो तो वो दवा का काम करता है। ऐसे है कम मात्रा में पादप कोशिकाओं में मौजूद आरओएस भी महत्वपूर्ण काम करता है। इस बारे में वांग ने बताया कि गैर घातक स्तर पर यह आरओएस पौधों के लिए एमर्जेन्सी कॉल की तरह होता है, जो खतरे की स्थिति में पौधों में सैलिसिलिक एसिड जैसे सुरक्षात्मक हार्मोन के उत्पादन को प्रेरित करता है। 

शोधकर्ताओं के अनुसार गर्मी, धूप और सूखे की स्थिति में पौधों की कोशिकाएं में मौजूद शुगर उत्पन्न करने वाला सिस्टम एक शुरुआती अलार्म देने वाला मॉलिक्यूल पैदा करता है, जिसे एमईसीपीपी के रुप में जाना जाता है।

शोधकर्ता इस मॉलिक्यूल के बारे में और ज्यादा जानना चाहते हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी की यह अणु बैक्टीरिया और मलेरिया परजीवी जैसे जीवों में भी उत्पन्न होता है। वहीं पौधों में इस अणु 'एमईसीपीपी' के जमा होने से वो सैलिसिलिक एसिड के उत्पादन को ट्रिगर करता है, जो बदले में पादप कोशिकाओं में सुरक्षा प्रक्रिया की एक पूरी शृंखला को शुरू कर देता है।

इस बारे में यूसीआर प्लांट बायोलॉजिस्ट और अध्ययन से जुड़े अन्य शोधकर्ता विल्हेल्मिना वैन डे वेन का कहना है कि, "यह ऐसा ही है जैसे पौधे दर्द के लिए दर्द निवारक दवा का उपयोग करते हैं।" वैज्ञानिकों के मुताबिक यह एसिड पौधों के क्लोरोप्लास्ट की रक्षा करता है, जो प्रकाश संश्लेषण में मददगार होता है। गौरतलब है कि प्रकाश संश्लेषण पौधों द्वारा प्रकाश की मदद से पानी और कार्बन डाइऑक्साइड को शर्करा में परिवर्तित करने की प्रक्रिया है जो ऊर्जा पैदा करती है। 

वैज्ञानिकों के अनुसार सैलिसिलिक एसिड पौधों को जलवायु परिवर्तन, सूखा, कीड़ों के साथ-साथ अन्य तनावों का सामना करने में मददगार होता है। साथ ही इसकी वजह से पौधे तनाव की स्थिति में भी उत्पादन बरकरार रख पाते हैं।

देखा जाए तो यह मुद्दा सिर्फ खाद्य उत्पादन से ही जुड़ा नहीं है। इसके प्रभाव उससे कहीं ज्यादा हैं। पौधे कार्बन डाइऑक्साइड को सोखकर हमारी हवा को साफ करते हैं। वो हमें छाया प्रदान करने के साथ-साथ कई जानवरों को आवास प्रदान करते हैं। ऐसे में इनके अस्तित्व की रक्षा कहीं ज्यादा मायने रखती है।

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