मंगल की मिट्टी में कैसे बढ़ सकती है सब्जियों की पैदावार, वैज्ञानिकों ने सुझाया रास्ता

रिसर्च में इस बात के प्रमाण मिले हैं कि मंगल ग्रह पर विभिन्न किस्मों की फसलें एक साथ उगाने से पैदावार में इजाफा हो सकता है
टमाटर और मटर को एक साथ उगाने से उनकी पैदावार में इजाफा देखा गया; फोटो: प्लोस वन
टमाटर और मटर को एक साथ उगाने से उनकी पैदावार में इजाफा देखा गया; फोटो: प्लोस वन
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अंतरिक्ष में मानव बस्तियों को आबाद करना एक ऐसा सपना है, जिसे इंसान सदियों से देख रहा है। हालांकि यह तभी मुमकिन हो सकता है, जब इसके लिए वहां पर्याप्त मात्रा में भोजन, पानी और ऑक्सीजन उपलब्ध हो। इसी कड़ी में वैज्ञानिकों ने अपने एक नए अध्ययन में जांच की है कि कैसे मंगल ग्रह पर सब्जियों की पैदावार में इजाफा किया जा सकता है।

अध्ययन में वैज्ञानिकों को इस बात के प्रमाण मिले हैं कि मंगल ग्रह पर एक साथ कई किस्मों की फसलें उगाने से सब्जियों की पैदावार बढ़ सकती है। यह अध्ययन नीदरलैंड की वैगनिंगन यूनिवर्सिटी एंड रिसर्च से जुड़े शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है, जिसके नतीजे ओपन-एक्सेस जर्नल प्लोस वन में प्रकशित हुए हैं।

इसमें कोई शक नहीं कि यदि इंसान को मंगल ग्रह पर बसना है तो उसे अपना अधिकांश भोजन वहीं उगाना होगा। इसके लिए वहां की मिट्टी का उपजाऊ होना भी जरूरी है, लेकिन पृथ्वी से मिट्टी या उर्वरक ले जाना कोई बेहतर विकल्प नहीं है। ऐसे में अध्ययन में शोधकर्ताओं ने फसलों की पैदावार को बढ़ाने के लिए ‘इंटरक्रॉपिंग’ पद्दति का उपयोग किया है। ‘इंटरक्रॉपिंग’ एक ऐसी पद्दति है जिसमें एक दूसरे के लिए फायदेमंद अलग-अलग फसलों को एक साथ आसपास उगाया जाता है।

उनका मकसद यह जानना था कि क्या अलग-अलग फसलों को एक साथ उगाने से मंगल ग्रह पर अधिक सब्जियां पैदा करने में मदद मिल सकती है और वो कौन सी ऐसी फसलें हैं जिन्हें एक साथ उगाया जा सकता है। हालांकि यह परीक्षण धरती पर किया गया था, लेकिन इस दौरान शोधकर्ताओं ने ग्रीनहाउस के अंदर मंगल पर मिलने वाली मिट्टी के समान संरचना में पौधे लगाए थे।

साथ-साथ बोए जाने पर कौन सी फसल रही कामयाब

इस अध्ययन के दौरान उन्होंने गमलों में मंगल ग्रह से मिलती जुलती और कुछ में धरती पर मिलने वाली आम मिट्टी भर दी। इसके बाद इन गमलों को ग्रीनहाउस में रख दिया। इन गमलों में टमाटर, गाजर, और हरी मटर लगाई गई थी। पिछले शोधों से भी पता चला है की यह तीनों ही फसलें मंगल ग्रह की मिट्टी में उग सकती हैं।

इनमें से कुछ गमलों में केवल एक ही प्रकार के पौधे थे, जबकि अन्य में यह देखने के लिए एक से अधिक किस्में लगाई गई, कि वे पौधे एक तरह की मिट्टी में एक साथ कितनी अच्छी तरह विकसित होंगे।

इन पौधों को वैज्ञानिकों ने एक जैसी देखभाल दी। जैसा कि अपेक्षित था, उन्होंने पाया कि उनके ग्रीनहाउस में तीनों प्रकार के पौधे अच्छी तरह विकसित हुए। उन्हें यह भी पता चला कि जिन गमलों में टमाटर और मटर के पौधे एक साथ लगाए गए थे, वो अकेले बोए गए पौधों की तुलना में बेहतर विकसित हुए थे।

ऐसा इसलिए है क्योंकि टमाटर के पौधों के पास हरी मटर उगाने से टमाटर और मटर दोनों को बेहतर तरीके से बढ़ने में मदद मिलती है। यही वजह है कि जिन गमलों में टमाटर और मटर के पौधों को साथ बोया गया उसमे लगे टमाटर आकार में बड़े थे और उनमें पोटैशियम भी अधिक था।

ऐसा क्यों हुआ? रिसर्च में इस बात का भी जवाब दिया है, शोधकर्ताओं के मुताबिक हरी मटर हवा से नाइट्रोजन सोख कर, उसे अमोनिया में बदल देती है, जो टमाटर के पौधों के लिए प्राकृतिक उर्वरक की तरह काम करती है। नतीजन उसने टमाटर की पैदावार को बढ़ाने में मदद दी। शोधकर्ताओं को यह भी पता चला कि कुछ गमलों में मिट्टी के साथ रेत डालने से उपज में वृद्धि हुई।

हालांकि दूसरी तरफ जब शोधकर्ताओं ने मटर और गाजर को एक साथ बोया, तो वे उतने बड़े नहीं हुए और उनकी पैदावार घट गई। इसका मतलब है कि यह दोनों साथ-साथ उगने की जगह अकेले कहीं बेहतर पैदावार देते हैं।

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