महत्वपूर्ण केमिकल एथिलीन में बदल जाएगी ग्रीनहाउस गैस, इंजीनियरों ने खोजा तरीका

दुनिया भर में एथिलीन एक अहम केमिकल है, लेकिन इसके उत्पादन के लिए पारंपरिक भाप-क्रैकिंग प्रक्रिया भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित करती है
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड को मूल्यवान उत्पादों में बदलने का एक किफायती और कुशल तरीका खोजा गया, फोटो साभार : आईसटॉक
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड को मूल्यवान उत्पादों में बदलने का एक किफायती और कुशल तरीका खोजा गया, फोटो साभार : आईसटॉक
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अमेरिका स्थित सिनसिनाटी विश्वविद्यालय के इंजीनियरों ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड को मूल्यवान उत्पादों में बदलने का एक किफायती और कुशल तरीका खोज निकाला है।

शोध में कहा गया है कि सिनसिनाटी विश्वविद्यालय (यूसी) के केमिकल इंजीनियरिंग लैब में, एसोसिएट प्रोफेसर जिंगजी वू और उनकी टीम ने एक संशोधित तांबे के उत्प्रेरक की मदद से कार्बन डाइऑक्साइड के इलेक्ट्रोकेमिकल में बदलाव कर इसे एथिलीन में बदल दिया है। 

एथिलीन को दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण केमिकल या रसायन माना गया है। यह निश्चित रूप से सबसे अधिक उत्पादित रसायनों में से एक है, जिसका उपयोग वस्त्रों, एंटीफ्रीज से लेकर विनाइल तक हर चीज में किया जाता है। केमिकल उद्योग ने 2022 में 22.5 करोड़ मीट्रिक टन एथिलीन का उत्पादन किया।

शोध के हवाले से वू ने कहा कि यह प्रक्रिया जीवाश्म ईंधन के बजाय ग्रीन ऊर्जा के माध्यम से एथिलीन का उत्पादन करती है। साथ ही इससे वायुमंडल से कार्बन हटाने का अतिरिक्त फायदा भी मिलता है।

नेचर केमिकल इंजीनियरिंग पत्रिका में प्रकाशित शोध के मुताबिक, दुनिया भर में एथिलीन एक अहम केमिकल है, लेकिन इसके उत्पादन के लिए पारंपरिक भाप-क्रैकिंग प्रक्रिया भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित करती है।

शोध में कहा गया है कि जीवाश्म ईंधन पर निर्भर रहने के बजाय कार्बन डाइऑक्साइड को फीडस्टॉक के रूप में उपयोग करके, प्रभावी ढंग से कार्बन डाइऑक्साइड की रीसाइक्लिंग की जा सकती है।

यहां बताते चलें कि किसी मशीन या औद्योगिक प्रक्रिया की आपूर्ति या ईंधन के लिए कच्चे माल को फीडस्टॉक के रूप में जाना जाता है।

कार्बन डाइऑक्साइड के इलेक्ट्रोकैटलिटिक रूपांतरण के पहले कार्बनिक उत्पाद, एथिलीन और इथेनॉल उत्पन्न होते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि संशोधित तांबे के उत्प्रेरक का उपयोग करने से अधिक एथिलीन उत्पन्न होती है।

मुख्य शोधकर्ता ली ने कहा, हमारा शोध इलेक्ट्रोकेमिकल सीओ2 कटौती के दौरान एथिलीन और इथेनॉल के बीच अंतर पर अहम जानकारी प्रदान करता है।

वू ने कहा, इससे एथिलीन में 50 फीसदी की वृद्धि होती है। उन्होंने आगे कहा हमारा लक्ष्य कई उत्पादों के बजाय एक ही उत्पाद का उत्पादन करना है।

ली ने बताया कि अगला कदम प्रक्रिया को और अधिक व्यावसायिक रूप से कुशल बनाना है। कुछ समय बाद एथिलीन में बदलने की प्रणाली कुशलता खो देती है क्योंकि प्रतिक्रिया के अन्य उत्पाद जैसे पोटेशियम हाइड्रोक्साइड तांबे के उत्प्रेरक पर बनने लगते हैं।

ली ने कहा, व्यावसायिक तौर पर उपयोग के लिए इलेक्ट्रोड स्थिरता में सुधार किया जाना चाहिए। हमारा अगला लक्ष्य स्थिरता को बढ़ाना और इसके संचालन को 1,000 से 1,00,000 घंटे तक बढ़ाना है।

वू ने कहा कि ये नई तकनीकें रासायनिक उद्योग को ग्रीन और अधिक ऊर्जा कुशल बनाने में मदद करेंगी।

वू ने बताया, हमारा मुख्य उद्देश्य नवीकरणीय बिजली और टिकाऊ फीडस्टॉक का उपयोग करके रासायनिक उत्पादन को डीकार्बोनाइज्ड करना है। कार्बन डाइऑक्साइड को एथिलीन में विद्युतीकृत करना रासायनिक क्षेत्र को डीकार्बोनाइजिंग करने में एक महत्वपूर्ण प्रगति के रूप में देखा जा सकता है।

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