खगोलविदों ने आकाशगंगाओं में पहले बुलबुले की खोज की है, जो लगभग कल्पना से बाहर विशाल ब्रह्मांडीय संरचना है। इसे हमारे आकाशगंगा के पीछे महा विस्फोट वाली जगह या बिग बैंग के ठीक बाद का जीवाश्म अवशेष माना जाता है।
खोजा गया यह बुलबुला एक अरब प्रकाश वर्ष तक फैला हुआ है, जो दूधिया आकाशगंगा से 10,000 गुना अधिक चौड़ा है।
फिर भी यह विशाल बुलबुला, जिसे नग्न आंखों से नहीं देखा जा सकता है, हमारी घरेलू आकाशगंगा से अपेक्षाकृत करीब 82 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर है, जिसे खगोलशास्त्री निकटवर्ती ब्रह्मांड कहते हैं।
यहां बताते चलें कि, एक प्रकाश-वर्ष, लंबाई की एक इकाई है जिसका उपयोग खगोलीय दूरियों का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है और यह लगभग 9.46 ट्रिलियन किलोमीटर के बराबर होता है।
फ्रांस के परमाणु ऊर्जा आयोग के खगोलशास्त्री डैनियल पोमारेडे ने शोध के हवाले से बताया कि, बुलबुले की दिल वाला एक गोलाकार खोल में कल्पना की जा सकती है।
उस हृदय के अंदर आकाशगंगाओं का एक समूह जो स्वयं समूहों के रूप में होता है जिसे बूट्स सुपरक्लस्टर के नाम से जाना जाता है, जो एक विशाल शून्य से घिरा हुआ है जिसे कभी-कभी विशाल होने पर भी कुछ नहीं या द ग्रेट नथिंग कहा जाता है।
खोल में विज्ञान के लिए पहले से ही ज्ञात कई अन्य आकाशगंगा सुपरक्लस्टर शामिल हैं, जिसमें स्लोअन ग्रेट वॉल के नाम से ज्ञात विशाल संरचना भी शामिल है।
शोधकर्ता पोमारेडे ने कहा कि बुलबुले की खोज, जिसका वर्णन शोध में किया गया है, जो इस सप्ताह द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ है, यह एक बहुत लंबी वैज्ञानिक प्रक्रिया का हिस्सा रहा है।
यह उस घटना की पुष्टि करता है जिसका वर्णन पहली बार 1970 में अमेरिकी ब्रह्मांड विज्ञानी और भविष्य के भौतिकी नोबेल विजेता जिम पीबल्स ने किया था।
उन्होंने एक सिद्धांत के तहत आदिम ब्रह्मांड में तब गर्म प्लाज्मा का एक विचित्र गुरुत्वाकर्षण और विकिरण के मंथन से ध्वनि तरंगें पैदा हुई जिन्हें बैरियन ध्वनिक दोलन (बीएओ) कहा जाता है।
जैसे ही ध्वनि तरंगें प्लाज्मा के माध्यम से तरंगित हुई, उन्होंने बुलबुले बनाए। बिग बैंग के लगभग 3,80,000 साल बाद यह प्रक्रिया रुक गई क्योंकि ब्रह्मांड ठंडा हो गया था, जिससे बुलबुले का आकार जम गया।
जैसे-जैसे ब्रह्मांड का विस्तार हुआ, बुलबुले बड़े होते गए, बिग बैंग के बाद के समय के अन्य जीवाश्म अवशेषों के समान हो गए।
खगोलविदों ने इससे पहले 2005 में आस-पास की आकाशगंगाओं के आंकड़ों को देखते समय बीएओ के संकेतों का पता लगाया।
शोधकर्ताओं के अनुसार, नया खोजा गया बुलबुला पहला ज्ञात एकल बेरियन ध्वनिक दोलन है।
खगोलविदों ने उनके बुलबुले को होओलेइलाना कहा हलचल की बड़बड़ाहट भेजी यह नाम हवाईयन सृजन मंत्र से लिया गया है। यह नाम अध्ययन के प्रमुख अध्ययनकर्ता तथा हवाई विश्वविद्यालय के खगोलशास्त्री ब्रेंट टुली, के नाम से लिया गया है।
खगोलविदों ने बताया कि, आकाशगंगाओं की नई खोज में शोधकर्ता टुली के काम के हिस्से के रूप में, बुलबुले की खोज संयोग से हुई थी। शोधकर्ता ने बताया कि, यह कुछ अप्रत्याशित था।
टुली ने कहा कि बुलबुला इतना विशाल है कि यह आकाश के उस क्षेत्र के किनारों तक फैल गया है जिसका हम विश्लेषण कर रहे थे।
पोमारेडे ने कहा, इस जोड़ी ने ऑस्ट्रेलियाई ब्रह्मांडविज्ञानी और बीएओ विशेषज्ञ कलन हॉवलेट की मदद ली, जिन्होंने गणितीय रूप से गोलाकार संरचना का निर्धारण किया जो प्रदान किए गए आंकड़ों के लिए सबसे उपयुक्त था।
इससे तीनों को होओलेइलाना के त्रि-आयामी आकार और उसके अंदर आकाशगंगाओं के द्वीपसमूह की स्थिति की कल्पना करने में मदद मिली।
उन्होने कहा, यह पहला है, लेकिन जल्द ही ब्रह्मांड में और बुलबुले देखे जा सकते हैं।
यूरोप का यूक्लिड अंतरिक्ष दूरबीन, जिसे जुलाई में लॉन्च किया गया था, ब्रह्मांड की व्यापक तस्वीरें लेता है, यह कुछ और बुलबुले पकड़ने में सफल हो सकता है।
पोमारेडे ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में बनाए जा रहे स्क्वायर किलोमीटर एरे नामक विशाल रेडियो टेलीस्कोप भी दक्षिणी गोलार्ध के आकाशगंगाओं की एक नई छवि सामने ला सकते हैं।