दक्षिण फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर ने पेड़ पर बिजली गिरने के बाद नए फास्फोरस पदार्थ के निर्माण होने की जानकारी दी है। धरती में पहली बार यह ठोस रूप में एक चट्टान में पाया गया और इसे एक नए खनिज समूह के रूप में रखा गया।
सामान्यतया, फास्फोरस एक खनिज है जो स्वाभाविक रूप से कई खाद्य पदार्थों में होता है और सप्लीमेंट के रूप में भी उपलब्ध होता है। यह शरीर में कई भूमिकाएं निभाता है। यह हड्डियों, दांतों और कोशिका झिल्लियों का एक प्रमुख तत्व है। यह एंजाइमों को सक्रिय करने में मदद करता है और खून में पीएच की मात्रा को सामान्य बनाए रखता है।
भूवैज्ञानिक मैथ्यू पासेक ने बताया कि, इस नए पदार्थ को पृथ्वी में प्राकृतिक रूप से कभी भी नहीं देखा गया है। उन्होंने कहा इसके समान खनिज उल्कापिंडों और अंतरिक्ष में मिल सकते हैं, लेकिन हमने कभी भी इस पदार्थ को कहीं नहीं देखा।
अध्ययन में, पसेक ने पता लगाया कि कैसे भारी ऊर्जा वाली घटनाएं, जैसे कि आकाशीय बिजली गिरना, अनोखे रासायनिक चीजें पैदा कर सकती हैं। इस उदाहरण में, एक नई सामग्री का प्रमाण मिला है, जिसकी अंतरिक्ष के खनिजों और पृथ्वी पर पाये जाने वाले खनिजों के बीच अदला-बदली होती है।
पासेक ने बताया, जब बिजली एक पेड़ से टकराती है, तो जमीन आम तौर पर फट जाती है और आसपास की घास नष्ट हो जाती है, एक निशान बन जाता है और पास की चट्टान, मिट्टी और रेत के माध्यम से बिजली निकल जाती है। जिससे फुलगुराइट्स बनते हैं, जिन्हें 'जीवाश्म बिजली' भी कहा जाता है।
जब वैज्ञानिकों ने आकाशीय बिजली गिरने के निशान की खोज की, तो उन्हें एक फुलगुराइट मिला। यहां बताते चलें कि फुलगुराइट, रेत या अन्य तलछट से बनी कांच की सामग्री है जो बिजली से जुड़ी होती है। उन्होंने इटली के फ्लोरेंस विश्वविद्यालय में खनिज विज्ञान और क्रिस्टलोग्राफी के प्रोफेसर लुका बिंदी के साथ मिलकर फुलगुराइट की जांच पड़ताल शुरू की।
साथ में, टीम ने भयंकर ऊर्जा वाली घटनाओं को बेहतर ढंग से समझने के लिए असामान्य खनिजों की जांच की, यह तत्व फास्फोरस था, जो विशेष रूप से आकाशीय बिजली गिरने के बाद जमा हो गया था।
पासेक ने कहा, यह समझना महत्वपूर्ण है कि आकाशीय बिजली में कितनी ऊर्जा होती है क्योंकि तब हम जान पाएंगे कि बिजली गिरने से औसतन कितना नुकसान हो सकता है और यह कितना खतरनाक है।
दुनिया भर में सबसे अधिक आकाशीय बिजली फ्लोरिडा में गिरती है और इससे सुरक्षा करना बहुत जरूरी है। अगर बिजली चट्टान को पिघला सकती है, तो यह निश्चित रूप से लोगों को भी पिघलाना आसान है।
पसेक ने बताया कि, गीले वातावरण में पेड़ों की जड़ों के आसा-पास लगे लोहे तक को आकाशीय बिजली ने जला दिया, बल्कि इसने पेड़ में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले कार्बन को भी जला दिया। दो तत्वों ने एक रासायनिक प्रतिक्रिया की भूमिका निभाई जिसने एक फुलगुराइट बनाया जो धातु 'ग्लोब' जैसा दिखता था।
फुलगुराइट के अंदर, एक रंगीन, स्फटिक जैसे पदार्थ ने एक ऐसी सामग्री का खुलासा किया जिसकी खोज पहले कभी नहीं की गई थी।
यूएसएफ के भूविज्ञान कार्यक्रम के शोधकर्ता तियान फेंग ने एक प्रयोगशाला में सामग्री को फिर से बनाने का प्रयास किया। प्रयोग असफल रहा और इससे पता चलता है कि सामग्री सटीक परिस्थितियों में जल्दी से बनती है और अगर बहुत देर तक गर्म की जाती है, तो यह उल्कापिंडों में पाए जाने वाले खनिज में बदल जाती है।
फेंग ने कहा कि, पिछले शोधकर्ताओं ने बताया है कि फॉस्फेट की बिजली की कमी शुरुआती पृथ्वी पर एक भारी घटना रही है। हालांकि, पृथ्वी में पर्यावरणीय फास्फाइड के संग्रह से इस ठोस फास्फाइड सामग्री को फिर से बहाल करना कठिन है।
फेंग का कहना है कि इस शोध से खनिजों के अन्य रूपों का पता चल सकता है जो महत्वपूर्ण हैं और पृथ्वी पर जीवन के विकास को लेकर अहम जानकारी दे सकते हैं।
पासेक के मुताबिक, इस बात की संभावना नहीं है कि इस सामग्री को अन्य फॉस्फेट जैसे उर्वरक के समान उपयोग के लिए खनन किया जा सकता है, इसकी दुर्लभता स्वाभाविक रूप से होती है।
हालांकि, पसेक और बिंदी ने यह निर्धारित करने के लिए सामग्री की और जांच करने की योजना बनाई है कि क्या इसे आधिकारिक तौर पर खनिज घोषित किया जा सकता है और वैज्ञानिक समुदाय के लिए अतिरिक्त जानकारी प्रदान कर सकता है। यह शोध कम्युनिकेशंस अर्थ एंड एनवायरमेंट नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।