वैज्ञानिकों को दुनिया भर में इस्तेमाल होने वाली फूड पैकेजिंग में 68 'फॉरएवर केमिकल्स' की मौजूदगी के सबूत मिले हैं। इस बारे में ज्यूरिख स्थित फूड पैकेजिंग फोरम फाउंडेशन से जुड़े पर्यावरण वैज्ञानिकों द्वारा एक नया अध्ययन किया गया है, जिसके नतीजे जर्नल एनवायर्नमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी में प्रकाशित हुए हैं।
गौरतलब है कि पर-एंड पॉली-फ्लोरो अल्काइल सब्स्टेंसेस (पीएफएएस) मानव निर्मित रासायनिक यौगिकों का एक समूह है, जो बहुत धीमी गति से पर्यावरण में विघटित होते हैं। इसकी वजह से यह केमिकल्स पर्यावरण में बेहद लम्बे समय तक बने रहते हैं।
यही वजह है कि इन्हें 'फॉरएवर केमिकल्स' के नाम से भी जाना जाता है। अब तक विभिन्न तरह के 12,000 से ज्यादा पीएफएएस के मौजूद होने की पुष्टि हो चुकी है। देखा जाए तो यह ऐसे केमिकल्स हैं, जो पर्यावरण और स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं। यहां तक की बहुत ज्यादा समय तक इनके संपर्क में रहने से कैंसर तक हो सकता है।
इन रसायनों में जल प्रतिरोधी गुण होता है, जिसकी वजह से तेल, पानी, आग जैसी चीजें इनपर नहीं ठहरती। इनके इसी गुण के चलते दशकों पहले इनका उपयोग शुरू कर दिया गया था। आमतौर पर इनका उपयोग नॉनस्टिक कुकवेयर, फूड पैकेजिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, अग्निशमन फोम, कालीन, कपड़ों, सौंदर्य प्रसाधनों जैसे उत्पादों में किया जाता है।
लेकिन जहां इसके फायदे हैं वहीं नुकसान भी कम नहीं, हाल के दशकों में वैज्ञानिकों को इस बात के प्रमाण मिले हैं कि यह पीएफएएस, इंसानों और जानवरों के स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं। साथ ही वातावरण में इनकी मौजूदगी पर्यावरण के लिहाज से भी नुकसानदेह है। इसको देखते हुए इनमें से कई केमिकल्स को दुनिया भर में प्रतिबंधित कर दिया गया है।
फूड पैकेजिंग में इनकी मौजूदगी स्वास्थ्य पर मंडराते खतरे की ओर करती है इशारा
इन्हीं प्रभावों को ध्यान में रखते हुए अध्ययन से जुड़े शोधकर्ताओं ने वैश्विक स्तर पर खाद्य पदार्थों की पैकेजिंग में उपयोग होने वाले 'फॉरएवर केमिकल्स' पर ध्यान दिया है। हालिया शोध से पता चला है कि यह यौगिक भोजन में भी पहुंच सकते हैं। फूड पैकेजिंग मैटेरियल में इनकी पहचान के लिए वैज्ञानिकों एफसीसी मिगेक्स डेटाबेस का उपयोग किया है।
अध्ययन में शोधकर्ताओं को फूड पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाले पेपर, प्लास्टिक और कोटेड मेटल में 68 'फॉरएवर केमिकल्स' (पीएफएएस) का पता चला है। इनमें से 61 केमिकल्स ऐसे हैं जिनके पैकेजिंग में उपयोग को विशेष रूप से प्रतिबंधित किया गया है। हालांकि साथ ही वैज्ञानिक यह निर्धारित नहीं कर सके कि ये केमिकल्स वहां कैसे और क्यों पहुंचे। अध्ययन में यह भी सामने आया है कि फूड पैकेजिंग में पहचाने गए पीएफएएस में से केवल 57 फीसदी के संभावित खतरों के बारे में जानकारी उपलब्ध है।
इनमें से कई केमिकल्स ऐसे हैं जो स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं। रिसर्च में यह भी सामने आया है कि इनमें से करीब 87 फीसदी पीएफएएस, पेरफ्लूरोकार्बोक्सिलिक एसिड और फ्लोरोटेलॉमर-आधारित यौगिकों की श्रेणियों में आते हैं। इनके उपयोग को सीमित करने के वैश्विक प्रयासों के बावजूद, अब भी पर-एंड पॉली-फ्लोरो अल्काइल एसिड की मौजूदगी के सबूत सामने आ रहे हैं।
ऐसे में शोधकर्ताओं ने पर्यावरण और स्वास्थ्य से जुड़े दुष्प्रभावों और सीमित जानकारी को देखते हुए खाद्य पदार्थों की पैकेजिंग में पीएफएएस के वैश्विक उपयोग को सीमित करने का आह्वान किया है।
गौरतलब है कि 'फॉरएवर केमिकल्स' से जुड़े खतरों को देखते हुए हाल ही में न्यूजीलैंड सरकार ने कॉस्मेटिक उत्पादों में इनके उपयोग को प्रतिबंधित करने का फैसला किया था। 31 दिसंबर, 2026 से न्यूजीलैंड में पीएफएएस को प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।