इंजीनियरों ने पानी में हानिकारक सूक्ष्मजीवों का पता लगाने के लिए विकसित किया आसान तरीका

पानी में हानिकारक सूक्ष्म जीवों के बारे में पता लगाने वाली यह प्रणाली केवल ढाई घंटे में परिणाम बता देती है, मामूली सुधार करके यह कोविड-19 का पता लगा सकती है।
फोटो : विकिमीडिया कॉमन्स, पानी में क्रिप्टो स्पोरिडियम पार्वम नामक हानिकारक सूक्ष्म जीव
फोटो : विकिमीडिया कॉमन्स, पानी में क्रिप्टो स्पोरिडियम पार्वम नामक हानिकारक सूक्ष्म जीव
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दूषित पानी पीने से डायरिया, हैजा, पेचिश, टाइफाइड और पोलियो जैसी बीमारियां फैल सकती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक दूषित पानी पीने से हर साल डायरिया से लगभग 4,85,000 मौतें हो जाती हैं।

दूषित पानी से निपटने के लिए अब यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स (यूएनएसडब्ल्यू) के इंजीनियरों ने पानी में हानिकारक सूक्ष्म जीवों का पता लगाने के लिए एक नई सरल विधि विकसित की है। इस विधि की मदद से गंदे पानी पीने से स्वास्थ्य को होने वाले खतरे और मृत्यु को रोका जा सकता है।

यह शोध यूएनएसडब्ल्यू के ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर ईवा गोल्डिस और उनकी टीम द्वारा किया गया है। शोध से पता चलता है कि अल्ट्रासेंसिटिव सीआरएसपीआर तकनीक साइट पर नमूनों में और साधारण उपकरणों का उपयोग करके क्रिप्टो स्पोरिडियम पार्वम जैसे खतरनाक सूक्ष्मजीवों की उपस्थिति की पहचान कर सकती है।

क्रिप्टो स्पोरिडियम पार्वम कई खतरनाक सूक्ष्मजीवों प्रजातियों में से एक है जो क्रिप्टो स्पोरिडियोसिस का कारण बनता है। मुख्य रूप से यह स्तनधारियों के आंतों में रहने वाला परजीवी रोग है। सी. पार्वम संक्रमण के प्राथमिक लक्षण तीव्र दस्त होना हैं। यह सूक्ष्म परजीवी विशेष रूप से उन स्थानों में अधिकतर पाया जाता है जो जल स्रोत जंगली और घरेलू दोनों जानवरों द्वारा दूषित किए जाते हैं।

नई तकनीक में अन्य बैक्टीरिया और वायरस का पता लगाने में सुधार करने की क्षमता भी है, जिसमें अपशिष्ट जल के नमूनों में कोविड-19 की संभावित पहचान भी शामिल है।

सस्ती, तेज, आसान विधि

अब तक क्रिप्टो स्पोरिडियम का पता लगाने के लिए आमतौर पर महंगे प्रयोगशाला उपकरण, विशेष तरह के सूक्ष्मदर्शी और पानी के नमूने में सूक्ष्म जीव की पहचान करने के लिए कुशल प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। लेकिन प्रोफेसर गोल्डिस द्वारा एक नई विधि विकसित की गई है जो सस्ती, आसान है और परीक्षण के परिणाम बहुत कम समय में आ जाते है। इस तरह के परीक्षण को करने के लिए कोई विशेष तकनीक या प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं है।

ऐसा इसलिए है क्योंकि क्रिप्टो स्पोरिडियम पाए जाने पर, इस प्रणाली द्वारा पानी के नमूने में एक विशिष्ट फ्लोरोसेंट चमक पैदा होती है। शोध से पता चलता है कि किसी दिए गए नमूने में एक भी सूक्ष्मजीव की पहचान करना संभव है।

प्रो. गोल्डिस ने कहा यह नई विधि पानी के परीक्षण की लागत को कम करती है और इसे अधिक व्यापक रूप से उपलब्ध कराती है। हमें उम्मीद है कि पानी का परीक्षण बहुत तेज और बहुत सस्ता होगा। यह हर किसी के लिए एक लाभदायक है, चाहे वह दुनिया में कहीं भी हो, क्योंकि यह तकनीक को अधिक व्यापक रूप से सुलभ बनाता है।

इसके अलावा, हमारा मानना है कि इस तकनीक को कोविड-19 का पता लगाने के लिए उपयोग किया जा सकता है, जो वर्तमान में अपशिष्ट जल के नमूनों से परिणाम प्राप्त करने में 11 घंटे तक का समय लेता है। जिनमें से अधिकांश नमूनों को प्रयोगशाला में जहां सभी विशेष उपकरण होते है वहां तक पहुंचाने में अक्सर समय लग जाता है।

शोधकर्ता ने बताया कि हमारा सिस्टम क्रिप्टो स्पोरिडियम संबंधी परिणाम केवल ढाई घंटे में देता है और हमें उम्मीद है कि इस नई तकनीक को आसानी से उस जगह में उपयोग किया जा सकता है जहां से पानी के नमूने लिए जा रहे हैं। इसे कोविड-19 का पता लगाने लायक भी बनाया जा सकता है।

प्रो. गोल्डिस और उनकी टीम ने इस काम के लिए सीआरआईएसपीआर तकनीक का उपयोग किया है जो क्रिप्टो स्पोरिडियम माइक्रोब की सतह पर विशिष्ट प्रोटीन का पता लगाकर उस पर लगाम लगा सकता है। जब एक फ्लोरोसेंट एजेंट को प्रतिक्रिया करने वाले मिश्रण में मिलाया जाता है, जिसके बाद इसमें पानी के नमूनों को डाला जाता है, परिणाम को एक मानक प्लेट रीडर द्वारा पता लगाया जा सकता है।

ये प्लेट रीडर एक साथ कई नमूनों की बड़े पैमाने पर स्क्रीनिंग के लिए उपयुक्त हैं, जिससे पता लगाने की प्रक्रिया तेज और अधिक कुशल हो जाती है। सीआरआईएसपीआर/सीएएस12ए-आधारित प्रणाली जिसमें प्रति मिली लीटर एक क्रिप्टो स्पोरिडियम ओसाइट तक अधिकतम संवेदनशीलता पर लगभग 2.5 घंटे में परिणाम दे सकता है।

प्रो. गोल्डिस कहते हैं कि हालांकि पानी में रोग फैलाने वाले बहुत कम हो सकते हैं, फिर भी यह बहुत खतरनाक है क्योंकि बस कुछ ही खाने से आप बीमार हो सकते हैं। मौजूदा माइक्रोस्कोपी का उपयोग करने वाली वर्तमान प्रणाली बहुत मुश्किल है और बहुत समय लेने वाली भी है। यह नई विधि इसे तेज और आसान बनाती है।

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