हेयर स्टाइलिंग उत्पादों के साथ गर्मी का मेल स्वास्थ्य के लिए हो सकता है खतरनाक

शोधकर्ताओं के मुताबिक हेयर स्टाइलिंग उत्पादों में आमतौर पर ऐसे तत्व होते हैं जो आसानी से भाप बन सांस के जरिए शरीर में पहुंच सकते हैं
बाथरूम में अपने बालों को सीधा करती महिला; फोटो: आईस्टॉक
बाथरूम में अपने बालों को सीधा करती महिला; फोटो: आईस्टॉक
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रिसर्च से पता चला है कि हेयर स्टाइलिंग उत्पादों के साथ गर्मी का मेल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक हेयर स्टाइलिंग उत्पादों में आमतौर पर ऐसे तत्व होते हैं जो आसानी से भाप बन सकते हैं। ऐसे में जब महिलाएं बालों की स्ट्रेटनिंग और कर्लिंग आदि के लिए इन उत्पादों का उपयोग करती हैं तो यह केमिकल उनके शरीर में पहुंच सकते हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है।

अपने अध्ययन में शोधकर्ताओं ने इन आसानी से वाष्पित होने वाले यौगिकों के उत्सर्जन की जांच की है, जिन्हें वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (वीओसी) के रूप में जाना जाता है। इनमें बालों में चमक लाने और उन्हें स्मूथ बनाने के लिए उपयोग किया जाने वाले सिलोक्सेन भी शामिल है।

अध्ययन से पता चला है कि बालों की देखभाल (हेयर केयर) में इस्तेमाल होने वाले इन उत्पादों के उपयोग से घर या सैलून के भीतर हवा की संरचना में तेजी से बदलाव आ सकता है। इसके अतिरिक्त, सामान्य हीट स्टाइलिंग तकनीकें जैसे स्ट्रेटनिंग और कर्लिंग, वीओसी के स्तर को और बढ़ा देती हैं। इस रिसर्च के नतीजे एसीएस जर्नल एनवायर्नमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी में प्रकाशित हुए हैं।

गौरतलब है कि इससे पहले के शोधों में भी व्यक्तिगत देखभाल में इस्तेमाल होने वाले उत्पादों में सिलोक्सेन की मात्रा पर ध्यान किया गया था। हालांकि, इनमें से अधिकांश अध्ययन इस्तेमाल के बाद धोने के लिए बने उत्पादों जैसे स्किन क्लीन्जर्स आदि पर केंद्रित थे। लेकिन देखा जाए तो यह उत्पाद बालों पर बने रहने के लिए बने उत्पादों, जैसे क्रीम या तेल, से अलग व्यवहार कर सकते हैं।

इसके अलावा, सिलोक्सेन उत्सर्जन पर पहले के अधिकांश अध्ययनों में घरों के भीतर हवा की संरचना में रियल टाइम में तेजी से होने वाले बदलावों पर ध्यान नहीं दिया गया। जो तब हो सकता है जब लोग सक्रिय रूप से अपने बालों को स्टाइल दे रहे हों।

इस अध्ययन में शोधकर्ताओं का लक्ष्य हेयर प्रोडक्ट्स से निकलने वाले वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (वीओसी) के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करना था। विशेष तौर पर जब इन उत्पादों को बाथरूम जैसी छोटी जगहों पर उपयोग किया जाता है।

हवा की रासायनिक संरचना में तेजी से देखा गया बदलाव

यही वजह है कि इसे समझने के लिए शोधकर्ताओं ने एक छोटे हवादार घर में इस बात की जांच की है। इस दौरान अध्ययन में शामिल प्रतिभागियों ने अपने सामान्य हेयर केयर उत्पादों जैसे क्रीम, स्प्रे और तेल के साथ हीटिंग उपकरणों का उपयोग किया था।

हेयर स्टाइलिंग की इस पूरी प्रक्रिया से पहले, उसके दौरान और बाद में भी शोधकर्ताओं ने रियल टाइम में वीओसी के उत्सर्जन को मापा था। इस दौरान शोधकर्ताओं ने चक्रीय वाष्पशील मिथाइल सिलोक्सेन (सीवीएमएस) की मौजूदगी की भी जांच की थी, जिसे आमतौर पर कई हेयर केयर उत्पादों में उपयोग किया जाता है।

मास स्पेक्ट्रोमेट्री आंकड़ों से पता चला कि घर के अंदर हवा की रासायनिक संरचना में तेजी से बदलाव आया था। साथ ही वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (वीओसी) में सीवीएमएस प्रमुख रूप से मौजूद था।

रिसर्च में यह भी सामने आया है कि इस दौरान होने वाला उत्सर्जन, उत्पादों के प्रकार और बाल की लंबाई के साथ-साथ स्टाइलिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले उपकरण और वो कितना गर्म थे, उनपर भी निर्भर करता है। पता चला है कि लंबे बाल और उच्च तापमान की वजह से अधिक मात्रा में वीओसी उत्सर्जित होता है।

अध्ययन के जो नतीजे सामने आए हैं उनके आधार पर शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया है कि एक व्यक्ति हर दिन डी5 की 20 मिलीग्राम तक मात्रा सांस के जरिए ग्रहण कर सकता है। बता दें कि डी5 एक तरह का सीवीएमएस है।

हालांकि रिसर्च के दौरान जब एग्जॉस्ट फैन चालू किया गया तो हेयर स्टाइल करने के 20 मिनट के भीतर ही हवा में मौजूद अधिकांश प्रदूषकों से छुटकारा मिल गया था। लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि यह घनी आबादी वाले वायु गुणवत्ता (आउटडोर एयर क्वालिटी) को प्रभावित कर सकता है। अध्ययन में शोधकर्ताओं ने सिलोक्सेन के संपर्क में आने से लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दीर्घकालिक प्रभावों की जांच पर भी बल दिया है क्योंकि इसकी अधिकांश जांच जानवरों पर की गई है।

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