चंद्रयान-3: सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा, 23 अगस्त को करेगा सॉफ्ट लैंडिंग

मिशन की सफलता के साथ भारत चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर नियंत्रित रूप से "सॉफ्ट लैंडिंग" करने वाला पहला देश बन जाएगा
फोटो: इसरो
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चंद्रयान-3 अपनी सफलता के एक कदम और करीब पहुंच गया है। भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा साझा की गई जानकारी के मुताबिक चंद्रयान-3, पांच अगस्त 2023 को चन्द्रमा की कक्षा में प्रवेश कर चुका है। उस दौरान उसने चंद्रमा की 164 किलोमीटर  x 18,074 किलोमीटर की अंडाकार कक्षा में प्रवेश किया था।

इसका मतलब है कि इस दौरान चंद्रयान-3 की न्यूनतम दूरी 164 किलोमीटर, जबकि अधिकतम दूरी 18,074 किलोमीटर थी। इसके बाद उसने छह अगस्त 2023 को परिक्रमा पथ (आर्बिट) को घटाकर 170  किलोमीटर x 4313 किलोमीटर कर दिया था। इसके बाढ़ आज 09 अगस्त 2023 को दूसरी बार चंद्रयान-3 अपनी कक्षा घटाएगा।

इस बारे में इसरो ने मिशन की जानकारी देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर चंद्रयान-3 का सन्देश साझा करते हुए लिखा कि, "मैं चंद्रयान-3 हूं... मुझे चांद की ग्रैविटी महसूस हो रही है।" बता दें कि 23 अगस्त को लैंडिंग करने से पहले चंद्रयान को कुल चार बार अपने परिक्रमा पथ को कम करना है। वो छह अगस्त को को एक बार ऑर्बिट कम कर चुका है।

इसके बाद अन्वेषण मिशन अपना सबसे महत्वपूर्ण चरण शुरू करेगा, जब अंतरिक्ष यान चंद्रमा के करीब जाना शुरू कर देगा। चंद्रयान-3 अब तक पृथ्वी और चंद्रमा के बीच अंतरिक्ष में तीन लाख किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर चुका है।

इसके बाद चंद्रयान-3 के परिक्रमा पथ को धीरे-धीरे कम किया जाएगा और अगले 10 दिनों में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास एक सटीक लैंडिंग साइट निर्धारित की जाएगी। बाद में कक्षा में रहते हुए ही प्रोपल्शन मॉड्यूल लैंडर से अलग हो जाएगा। इसके बाद, लैंडर कक्षा से नीचे उतरेगा और सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करेगा।


चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर "सॉफ्ट लैंडिंग" करने वाला पहला देश बन जाएगा भारत

चंद्रयान-2 मिशन से प्राप्त चंद्रमा की तस्वीरों का उपयोग इस बार लैंडिंग क्षेत्र को बेहतर तरीके से समझने के लिए किया जा रहा है। यदि यह मिशन सफल रहता है तो भारत चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास नियंत्रित रूप से "सॉफ्ट लैंडिंग" करने वाला पहला देश बन जाएगा, जबकि भारत अमेरिका, सोवियत संघ और चीन के बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश होगा।

इसरों के मुताबिक अब तक सब कुछ ठीक चल रहा है। चंद्रमा पर सूर्योदय जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए इसरो लैंडिंग कार्यक्रम की बारीकी से निगरानी कर रहा है। यदि आवश्यक हुआ तो लैंडिंग को सितंबर के लिए पुनर्निर्धारित किया जा सकता है। इसरो प्रमुख का कहना है कि हालांकि चंद्रयान-2 आंशिक रूप से सफल रहा था, लेकिन उसकी सीख इस मिशन के लिए उपयोगी साबित हो रही है।

गौरतलब है कि चंद्रयान-3 मिशन को एलवीएम-3 रॉकेट के जरिए आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 14 जुलाई 2023 को लॉन्च किया गया था। उस दौरान इसे 170 किलोमीटर x 36,500 किलोमीटर के ऑर्बिट में छोड़ा गया था।

वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि अपनी 3.84 लाख किलोमीटर की यात्रा पूरी कर विक्रम लैंडर 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। बता दें कि यह लगातार तीसरी मौका है जब इसरो ने मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश करने के अलावा अपने अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया है।

Chandrayaan-3 Mission:
“MOX, ISTRAC, this is Chandrayaan-3. I am feeling lunar gravity

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