शनिवार तड़के चंद्रमा की सतह की ओर बढ़ रहे भारत के मून लैंडर विक्रम का संपर्क भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) से टूट गया। इसरो ने खुद ट्विट करके इसकी जानकारी दी है। इसरो ने कहा है कि वे आंकड़ों का विश्नलेषण कर रहा है।
इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने बताया कि संपर्क उस समय टूटा, जब विक्रम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाले स्थान से 2.1 किलोमीटर दूर रह गया था। लैंडर को रात 1 बजकर 38 मिनट पर चांद की सतह पर लाने की प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन चांद पर नीचे की तरफ आते समय 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर जमीनी स्टेशन से इसका संपर्क टूट गया। विक्रम ने रफ ब्रेकिंग और फाइन ब्रेकिंग चरणों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया था, लेकिन सॉफ्ट लैंडिंग से पहले इसरो के स्टेशन से संपर्क टूट गया।
इससे पहले शुक्रवार को इसरो ने जानकारी दी थी कि लैंडिंग के लिए चीजें योजना अनुसार हो रही हैं। इसरो का दावा था कि मध्य रात्रि में 1:30 बजे से 2:30 बजे के बीच 7 सितंबर की तारीख को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अंतरिक्ष यान उतर जाएगा। चंद्रमा के इस जगह पर इससे पहले कोई नहीं गया है। इससे पहले सॉफ्ट लैंडिग करने वाले देशों में रूस, अमेरिका और चीन रहे हैं।
इसरो के चेयरमैन के. सिवन ने कहा था कि लैंडिंग के वक्त 15 मिनट बेहद अहम होंगे। हम सॉफ्ट लैंडिंग को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं। रात का इंतजार है। सॉफ्ट लैंडिगं का मतलब है कि स्पेस के बिना किसी क्षति के लैंडिंग संपन्न हो जाए।
चंद्रयान-1 अक्तूबर, 2008 में लांच किया गया था, जिसने चांद के उत्तरी ध्रुव की यात्रा की थी लेकिन चंद्रयान-2 चांज के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचना था। यहां परछाई बड़ी और ज्यादा है। यानी उत्तरी ध्रुव के मुकाबले यहां अंधेरा ज्यादा है। वैज्ञानिकों का यह कयास भी है कि जहां ऐसी परिस्थिति है वहां पानी मिलने की उम्मीद भी सबसे ज्यादा है। 1,471 किलोग्राम के लैंडर का नाम विक्रम इसरो के संस्थापक और वैज्ञानिक डॉ विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है जबकि चांद पर पहुंच जाने के बाद जानकारी जुटाने वाले रोवर का वजन 27 किलो है जिसे “प्रज्ञान” नाम दिया गया है। प्रज्ञान का अर्थ है अभ्यास, निरीक्षण या अध्ययन से हासिल होने वाली विशेष बुद्धि। भारत ने 1960 में अंतरिक्ष कार्यक्रमों की शुरुआत की थी।