क्या अक्षय ऊर्जा का नया स्रोत बन सकता है बांस, जीवाश्म ईंधन की ले सकता है जगह

बांस की मदद से बायोएनर्जी पैदा की जा सकती है। यह पर्यावरण अनुकूल होने के साथ-साथ अक्षय ऊर्जा का साफ-सुथरा स्रोत भी है
क्या अक्षय ऊर्जा का नया स्रोत बन सकता है बांस, जीवाश्म ईंधन की ले सकता है जगह
Published on

बांस एक ऐसी घास है जो बड़ी तेजी से बढ़ती है। इसे अपने अनगिनत गुणों के लिए जाना जाता है। इसका उपयोग न केवल निर्माण सम्बन्धी कामों में किया जाता है बल्कि साथ ही इसकी मदद से दैनिक उपयोग की अनगिनत चीजे जैसे, कागज, टोकरी, चारपाई, सूप, पंखा, चटाई, फर्नीचर, अगरबत्ती, पेंसिल, माचिस, टूथ-पिक, चापस्टिक्स आदि बनाई जाती हैं।

इतना ही नहीं दुनिया के कई हिस्सों में इसका उपयोग एक खाद्य पदार्थ के तौर पर भी किया जाता है। अब इस फेहरिस्त में एक और चीज जुड़ गई है और वो है ऊर्जा क्षेत्र में इसका उपयोग। शोधकर्ताओं के अनुसार इसकी मदद से बायोएनर्जी का निर्माण भी किया जा सकता है। यह पर्यावरण अनुकूल होने के साथ-साथ अक्षय ऊर्जा का साफ-सुथरा स्रोत भी है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक इसकी मदद से अक्षय ऊर्जा पैदा की जा सकती है। जो आने वाले समय में जीवाश्म ईंधन की जगह ले सकती है। इस अध्ययन के नतीजे 21 जून 2023 को जर्नल जीसीबी बायोएनर्जी में प्रकाशित हुए हैं।

बांस, घास की एक ऐसी प्रजाति है जो बहुत ही जीवट होती है। यह घास खराब या बंजर जमीन पर भी बहुत कम मेहनत से उग सकती है। चूंकि यह घास है, ऐसे में बड़ी तेजी से बढ़ सकती है। इतना ही नहीं यह वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड सोख लेती है, जबकि बदले में बहुत सारी ऑक्सीजन छोड़ती है। अनुमान है कि दुनिया भर में इसकी 1662 प्रजातियां हैं। इनमें से 100 से भी ज्यादा भारत में हैं।

बांस से बनाए जा सकते हैं बायोएथेनॉल, बायोगैस और अन्य बायोएनर्जी उत्पाद

रिसर्च के अनुसार बांस में काफी मात्रा में सेल्युलोज और हेमीसेल्यूलोज होता है, जिसे चीनी के घटक के रूप में बदला जा सकता है। यह बांस को ऊर्जा पैदा करने का एक आदर्श घटक बनाता है।

अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने किण्वन और पायरोलिसिस जैसी विभिन्न विधियों की व्याख्या की है, जिनका उपयोग बांस से प्राप्त कच्चे माल को बायोएथेनॉल, बायोगैस और अन्य बायोएनर्जी उत्पादों में बदलने के लिए किया जा सकता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक बायोएनर्जी के लिए कौन सा बांस सबसे अच्छा होगा इसका चुनाव करने के लिए भी साधन मौजूद है।

इस बारे में हंगेरियन यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड लाइफ साइंसेज और अध्ययन से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता झीवेई लियांग का कहना है कि, "हमने बांस के बायोमास को ऊर्जा में कैसे बदला जाए इसके लिए कई विधियों की समीक्षा की है और इनसे पता चला है कि इससे प्राप्त मुख्य उत्पाद बायोएथेनॉल और बायोचार हैं।"

उनके अनुसार चूंकि बांस की रासायनिक संरचना उसकी अलग-अलग प्रजातियों में अलग-अलग होती है। ऐसे में शोधकर्ताओं का सुझाव है कि भविष्य में इस दिशा में किए जा रहे शोधों में इससे जुड़े संख्यात्मक आंकड़ों को एकत्र करने पर प्राथमिकता देनी चाहिए।

यह आंकड़े बांस की उन बेहतर प्रजातियों का चयन करने में मदद करेंगे जो परिवर्तन से पहले बायोमास तैयार करने के लिए लगने वाले समय और लागत को कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in