नासा के मुताबिक, पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य एक सीध में आकर साल में चार से सात बार सूर्य या चंद्र ग्रहण का अनुभव करते हैं। मार्च में थोड़ा अंधेरा होने के बाद यह चंद्र ग्रहण साल का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण है।
नासा के मुताबिक, पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य एक सीध में आकर साल में चार से सात बार सूर्य या चंद्र ग्रहण का अनुभव करते हैं। मार्च में थोड़ा अंधेरा होने के बाद यह चंद्र ग्रहण साल का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण है।

साल 2024 का आखिरी चंद्र ग्रहण: भारत में दिखाई देगा या नहीं? जानें सब कुछ

आज, यानी 18 सितंबर, 2024 को चंद्रग्रहण के नाम से जाना जाने वाला उपच्छाया चंद्रग्रहण होगा। यह घटना आज लगभग पांच घंटे तक चलेगी
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आज, यानी 18 सितंबर, 2024 को चंद्रग्रहण के नाम से जाना जाने वाला उपच्छाया चंद्रग्रहण होगा। यह घटना आज लगभग पांच घंटे तक चलेगी, जो भारतीय समयानुसार सुबह 6:12 बजे शुरू होगी और 10:17 बजे पर समाप्त होगी। यह भारत में दिखाई नहीं देगा, लेकिन दक्षिण अमेरिका और यूरोप के कुछ हिस्सों में देखा जा सकता है।

चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है जो तब होती है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, जिससे चंद्रमा पर छाया पड़ती है। यह घटना केवल पूर्णिमा के दौरान ही हो सकती है जब तीनों खगोलीय पिंड एक सीधी रेखा में होते हैं।

नासा के मुताबिक, पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य एक सीध में आकर साल में चार से सात बार सूर्य या चंद्र ग्रहण का अनुभव करते हैं। मार्च में थोड़ा अंधेरा होने के बाद यह चंद्र ग्रहण साल का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण है।

यह खगोलीय घटना दुनिया के कई हिस्सों में दिखाई देगी, लेकिन भारत में नहीं दिखाई देगी, क्योंकि इस ब्रह्मांडीय घटना के दौरान चंद्रमा क्षितिज से नीचे होगी। नतीजतन, भारतीय दर्शक आंशिक चंद्र ग्रहण नहीं देख पाएंगे। हालांकि यह खगोलीय घटना पूरे देश में लोगों के लिए धार्मिक महत्व रखती है।

आखिर होता क्या है चंद्र ग्रहण के दौरान?

चंद्र ग्रहण के दौरान, पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है, जिससे सूर्य का प्रकाश चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाता। यह संरेखण केवल पूर्णिमा के दौरान होता है। जैसे-जैसे चंद्रमा पृथ्वी की छाया से गुजरता है, वह धीरे-धीरे काला होता जाता है।

पूर्ण ग्रहण में, पृथ्वी के वायुमंडल से होकर सूर्य के प्रकाश के अपवर्तन के कारण चंद्रमा लाल रंग का हो सकता है, जो प्रकाश की छोटी तरंग दैर्ध्य को बिखेरता है। यह घटना एक आकर्षक दृश्य प्रभाव पैदा करती है, जिससे चंद्रमा पूर्ण रूप से तांबे जैसा या लाल दिखाई देता है। पूरी घटना कई घंटों तक चल सकती है, जिसमें पृथ्वी के रात वाले हिस्से में कहीं से भी अंधेरे के अलग-अलग चरण देखे जा सकते हैं।

आंशिक चंद्रग्रहण को आप कैसे देखते हैं?

चंद्रग्रहण को देखने के लिए आंखों की सुरक्षा हेतु किसी विशेष उपकरण की जरूरत नहीं पड़ती है। दर्शक खुली आंखों से चांद को देख सकते हैं या नजदीक से देखने के लिए दूरबीन और टेलीस्कोप का विकल्प चुन सकते हैं। हालांकि आज जारी चंद्र ग्रहण भारत में नहीं देखा जा सकता है।

अगला ग्रहण कब है?

13 मार्च को अगला चंद्र ग्रहण लग सकता हैं। तब चंद्रमा पृथ्वी की छाया से पूरी तरह से ग्रहणग्रस्त हो जाएगी और पृथ्वी के वायुमंडल से छनकर आने वाली सूर्य की रोशनी के छिटपुट टुकड़ों से लाल रंग में रंग जाएगी।

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