ऑटोमेशन कौशल खत्म करेगा, इंसानी हस्तक्षेप जरूरी : आईएलओ

ग्लोबल कमीशन ऑन द फ्यूचर ऑफ वर्क का कहना है कि ऑटोमेशन और अन्य तकनीक कम दक्ष लोगों को काम से बेदखल कर देंगी
Credit: Pixabay
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अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने 22 जनवरी को ग्लोबल कमीशन ऑन द फ्यूचर ऑफ वर्क रिपोर्ट जारी की। उम्मीद के मुताबिक, इसमें ऑटोमेशन और अन्य तकनीक खोजों के विस्तार के कारण रोजगार के बढ़ते संकट का उल्लेख किया गया है।  

रिपोर्ट के अनुसार, “हम अच्छे काम के सहयोग के लिए तकनीक के इस्तेमाल और मानवीय हस्तक्षेप वाली तकनीक की वकालत करते हैं।”

आईएलओ ने साल 2017 में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा और स्वीडन के प्रधानमंत्री स्टीफन लोफवेन की अध्यक्षता में कमीशन की शुरुआत की थी।

विभिन्न अनुमानों के मुताबिक, विकासशील देशों की दो तिहाई नौकरियां ऑटोमेशन के कारण खतरे में हैं। कमीशन की रिपोर्ट में इन चिंताओं को मान्यता दी गई है। साथ ही यह भी बताया है कि तकनीक का विकास किस तरह किया जाए जिससे रोजगार संकट से निपटा जा सके।

रिपोर्ट कठिन मानवीय श्रम वाले कामों में तकनीक खोजों का पक्ष लेती है, साथ ही यह भी जोर देकर यह भी बताती है कि इससे लोगों की दक्षता खत्म हो जाएगी। रिपोर्ट के अनुसार, “तकनीकी विकास, कृत्रिम बौद्धिकता, ऑटोमेशन और रोबोटिक्स से नई नौकरियां सृजित होंगी लेकिन जो लोग इस बदलाव से नौकरियां गंवाएंगे, उनके लिए नौकरियों के सीमित अवसर होंगे। आज की कुशलता कल की नौकरियों के अनुकूल नहीं होगी और नई दक्षता बहुत जल्द चलन से बाहर हो जाएगी।”

रिपोर्ट के मुताबिक, भविष्य में काम की तकनीक पर चर्चा इसलिए केंद्र में है क्योंकि दुनियाभर में नौकरियों के सृजन का संकट बढ़ रहा है और यह बर्बादी ला रही है। यह तकनीक पुनर्दक्षता की मांग करती है। तकनीक की व्यापक भूमिका में भी मानव केंद्रित एजेंडे की तत्काल जरूरत है।

रिपोर्ट में चेताया गया है कि ऑटोमेशन से कामगारों का नियंत्रण और स्वायत्तता कम हो जाएगी। इसके साथ ही काम की दक्षता प्रभावित होगी जिससे कुशलता का ह्रास होगा। ऑटोमेशन के कारण कामगार की संतुष्टि भी कम हो जाएगी। इसमें कहा गया है कि काम का अंतिम निर्णय मानवीय हो, गणितीय नहीं।

रिपोर्ट में कामगारों की प्रतिष्ठा सुरक्षित रखने की जरूरत बताई गई है। इसके मुताबिक, गणितीय प्रबंधन, सेंसर के जरिए सर्विलांस और नियंत्रण आदि कामगारों की प्रतिष्ठा सुनिश्चित रखने के लिए हो। श्रम कोई वस्तु नहीं है और न ही यह रोबोट है।

लोफवेन का कहना है कि दुनिया भर में काम की प्रकृति में बड़ा बदलाव हो रहा है। बहुत से अवसर और बेहतर नौकरियां सृजित हो रही हैं। लेकिन सरकारों, मजदूर संगठनों और नौकरी देने वालों को मिलकर काम करने की जरूरत है ताकि अर्थव्यवस्था और श्रम बाजार को अधिक समावेशी बनाया जा सके। ऐसी सामाजिक वार्ताएं वैश्विक काम को सभी के लिए उपयोगी बनाने में मददगार होंगी।

ऑटोमेशन और कृत्रिम बौद्धिकता के अधिक प्रयोग से कामगारों की निजी जानकारियों के दुरुपयोग का खतरा रहता है। रिपोर्ट में भी कहा गया है कि नई तकनीक कामगारों का विस्तृत आंकड़ा सृजित करती है। इससे कामगारों की निजता पर संकट का खतरा रहता है। इसके अन्य दुष्परिणाम भी है जो आंकड़ों के इस्तेमाल पर निर्भर करते हैं। नौकरी देने के लिए गणितीय पद्धति का इस्तेमाल भेदभाव और पूर्वाग्रह को भी बढ़ावा देता है। 

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