किस तरह के मास्क का हो उपयोग ताकि कचरा और लागत दोनों कम हो

मास्क को कीटाणुरहित करके उसका पनु: उपयोग करने से इसके लागत और कचरे में कम से कम 75 फीसदी की कमी आ सकती है।
Photo : Wikimedia Commons
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कोविड-19 महामारी शुरू होने के बाद से, लगभग सभी के लिए खासकर स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों के लिए फेस मास्क के साथ-साथ अन्य सुरक्षा उपकरण आवश्यक हो गए हैं। शुरुआती दौर में सार्स-सीओवी-2 के संक्रमण फैलने से रोकने में डिस्पोजेबल एन95 मास्क की सबसे अधिक मांग होना बताया गया है।

फेस मास्क बनाने में लागत तो आती ही है साथ में इसका पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है। कोविड-19 महामारी से हर दिन लगभग 7,200 टन चिकित्सकीय कचरा उत्पन्न होता है, जिसमें से अधिकांश कचरा डिस्पोजेबल मास्क का है। यहां तक कि जब दुनिया के कुछ हिस्सों में महामारी में कमी आ रही है, तब भी स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े कर्मियों से अपेक्षा की जाती है कि वे ज्यादातर समय मास्क पहनकर रखें।

कई अलग-अलग तरह के मास्क के उपयोग पर होने वाला खर्च और पर्यावरणीय लागत की गणना करने के लिए मेसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) ने एक अध्ययन किया है। इसके अनुसार पनु: उपयोग होने वाले मास्क को अपनाकर पैसों और कचरे में कटौती की जा सकती है।

इसमें एन 95 मास्क को नियमित कीटाणुरहित करना शामिल है, ताकि स्वास्थ्य देखभाल कर्मी उन्हें अधिक समय तक पहन सकें। इससे लागत और पर्यावरणीय कचरे में कम से कम 75 फीसदी की गिरावट आ सकती है। जबकि हर एक मरीज को देखने के लिए स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों के द्वारा नए मास्क का उपयोग किया जाता है।

एमआईटी के सहायक प्रोफेसर जियोवानी ट्रैवर्सो ने कहा पनु: उपयोग किए जाने वाले मास्क संबंधी नीतियों को शामिल करने से न केवल लागत में कमी आएगी, बल्कि कचरा भी कम होगा। अध्ययन में यह भी पाया गया कि पूरी तरह से पनु: उपयोग किए जा सकने वाले सिलिकॉन एन 95 मास्क कचरे में और भी अधिक कमी ला सकते हैं। ट्रैवर्सो और उनके सहयोगी अब ऐसे मास्क विकसित करने पर काम कर रहे हैं, जो अभी तक व्यावसायिक रूप से उपलब्ध नहीं हैं।

पुन: उपयोग करके कचरा कम करें

कोविड-19 महामारी के शुरुआती दौर में एन95 मास्क की कमी थी। कई अस्पतालों में, स्वास्थ्य देखभाल करने वाले कर्मचारियों को एक पूरे दिन के लिए एक मास्क पहनने के लिए मजबूर किया जाता था। बजाय इसके कि हर रोगी की देखभाल करने के लिए एक नया मास्क लगाना होता है। बाद में, बोस्टन में एमजीएच और ब्रिघम और महिला अस्पताल सहित कुछ अस्पतालों ने कीटाणुशोधन प्रणालियों का उपयोग करना शुरू किया। जिसमें मास्क को कीटाणुरहित करने के लिए हाइड्रोजन पेरोक्साइड भाप का उपयोग किया जाता है। इससे एक मास्क को कुछ दिनों तक पहना जा सकता है।

पिछले साल, ट्रैवर्सो और उनके सहयोगियों ने एक पुन: उपयोग किया जाने वाला एन95 मास्क विकसित करना शुरू किया जो सिलिकॉन रबर से बना होता है। इसमें एक एन95 फिल्टर होता है जिसे उपयोग के बाद कीटाणुरहित बनाया जा सकता है। मास्क को इसलिए डिजाइन किया गया है ताकि उन्हें गर्मी या ब्लीच से निष्फल किया जा सके और इसका कई बार पुन: उपयोग किया जा सके।

ट्रैवर्सो कहते हैं कि हमारी नजर एक पुन: उपयोग वाली प्रणाली पर थी, जिससे हम लागत को कम कर सकते थे। अधिकांश डिस्पोजेबल मास्क का भी एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय प्रभाव होता है और उन्हें नष्ट होने में बहुत लंबा समय लगता है। महामारी के दौरान, लोगों को वायरस से बचाने की प्राथमिकता होती है और निश्चित रूप से यह प्राथमिकता बनी रहती है। लेकिन लंबी अवधि के लिए हमें इसमें सुधार लाने होंगे ताकि पर्यावरण पर इसका बुरा असर न पड़े।

एमआईटी की टीम ने कई अलग-अलग परिदृश्यों के प्रभावों का मॉडल बनाने का फैसला किया। जिसमें महामारी से पहले और उसके दौरान मास्क के उपयोग के पैटर्न शामिल थे। जिनमें हरेक मरीज को देखने में हर दिन एक एन 95 मास्क का उपयोग हो रहा था। पराबैंगनी परिशोधन का उपयोग करके N95 मास्क का पुन: उपयोग तथा प्रतिदिन एक सर्जिकल मास्क का उपयोग किया जा सकता है।

उन्होंने पुन: उपयोग होने वाले सिलिकॉन मास्क द्वारा उत्पन्न संभावित लागत और अपशिष्ट के लिए भी मॉडल तैयार किया, जिसे वे अब विकसित कर रहे हैं। जिसका उपयोग या तो डिस्पोजेबल या पुन: उपयोग किए जाने वाले एन95 फिल्टर के साथ किया जा सकता है।

उनके विश्लेषण के अनुसार, यदि अमेरिका में प्रत्येक स्वास्थ्य देखभाल कर्मी ने महामारी के पहले छह महीनों के दौरान प्रत्येक रोगी को देखने या उसका सामना करने के लिए एक नए एन95 मास्क का उपयोग किया, तो आवश्यक मास्क की कुल संख्या लगभग 740 करोड़ होगी तथा इनकी लागत यदि 640 करोड़ अमेरिकी डॉलर होगी। इससे 8.4 करोड़ किलोग्राम कचरा निकलेगा जो कि 252 बोइंग तथा 747 हवाई जहाज के बराबर होगा।

उन्होंने यह भी पाया कि किसी भी मास्क के पुन: उपयोग की जाने वाली रणनीति से लागत और उत्पन्न कचरे में उल्लेखनीय कमी आएगी। यदि प्रत्येक स्वास्थ्य देखभाल कर्मी कीटाणुशोधन किए गए एन95 मास्क का पुन: उपयोग करते है, आने वाले छह महीनों में इसकी लागत घट जाएगी और कूड़ा भी बहुत कम हो जाएगा। यह अध्ययन बीएमजे ओपन नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

पर्यावरण पर बोझ

शोधकर्ताओं  ने कहा इस अध्ययन के लिए उपयोग किए गए आंकड़े को अमेरिका में महामारी के पहले छह महीनों (मार्च 2020 से सितंबर 2020 के अंत तक) के दौरान एकत्र किया गया था। उनकी गणना अमेरिका में स्वास्थ्य देखभाल करने वाले कर्मचारियों की कुल संख्या, उस समय कोविड-19 रोगियों की संख्या और अन्य कारकों के साथ प्रति रोगी अस्पताल में रहने की अवधि पर आधारित है। उनकी गणना में आम जनता द्वारा मास्क के उपयोग पर कोई भी आंकड़ा शामिल नहीं है।

ट्रैवर्सो  ने कहा यहां हमारा ध्यान केवल स्वास्थ्य देखभाल करने वाले कर्मचारियों पर था, इसलिए यहां पर कुल लागत और पर्यावरणीय बोझ कम है। जबकि टीकाकरण ने कोविड-19 को फैलने को कम करने में मदद की है। ट्रैवर्सो का मानना ​​​​है कि स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ता संभवतः भविष्य में भी मास्क पहनना जारी रखेंगे, न केवल कोविड -19 बल्कि अन्य श्वसन रोगों जैसे कि इन्फ्लूएंजा आदि से बचाने के लिए।

ट्रैवर्सो ने बताया कि उन्होंने अन्य के साथ मिलकर टील बायो नामक एक कंपनी शुरू की है। जो अब उनके पुन: उपयोग किए जाने वाले सिलिकॉन मास्क का बड़े पैमाने पर निर्माण के तरीकों को विकसित करने पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि मास्क को बार-बार उपयोग किया जा सकता है तथा ये पर्यावरणीय आधार पर संवेदनशील होंगे। 

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