ओडिशा का सेप्टेज उपचार का बुनियादी ढांचा सर्वश्रेष्ठ: सीएसई

सीएसई और ओडिशा के आवास और शहरी विकास विभाग ने कार्यशाला का आयोजन किया
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) और ओडिशा के आवास व शहरी विकास विभाग द्वारा एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। फोोटो- सीएसई
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) और ओडिशा के आवास व शहरी विकास विभाग द्वारा एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। फोोटो- सीएसई
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ओडिशा का सेप्टेज (किसी सेप्टिक टैंक में घरों के अपशिष्ट जल का उप-उत्पाद) उपचार का बुनियादी ढांचा देश में सबसे अच्छा है। यह बात नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) और ओडिशा के आवास व शहरी विकास विभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला में कही गई है। यह कार्यशाला एफएसटीपी और एसटीपी से प्राप्त जैव-ठोस पदार्थों के पुन: उपयोग पर केंद्रित थी।

सीएसई का कहना है कि ये जैव-ठोस भारत में कृषि में उर्वरकों का एक समृद्ध स्रोत हो सकते हैं। मल कीचड़ उपचार संयंत्रों (एफएसटीपी) और सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) द्वारा उत्पन्न मल कीचड़ नाइट्रोजन (एन), फॉस्फोरस (पी) और पोटेशियम (के) तीन का एक समृद्ध स्रोत हो सकता है। ये दुनिया भर में फसल उत्पादन में उपयोग किए जाने वाले आवश्यक पोषक तत्व हैं।

भारत फॉस्फोरस और पोटेशियम की अपनी मांग को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है, जिसका भंडार तेजी से सिमट रहा है। अनुमान बताते हैं कि एसटीपी से हमारी कृषि में प्रति दिन 4,531 टन यूरिया के उपयोग का विकल्प संभव है।

कार्यशाला में सीएसई के जल कार्यक्रम निदेशक दीपिंदर सिंह कपूर ने कहा, “पूरे भारत में 500 से अधिक एफएसटीपी हैं, जो हर दिन अनुमानित 250 टन जैव-ठोस पैदा करते हैं। भारत में मौजूद 1,469 एसटीपी से अन्य 1,04,210 टन जैव-ठोस उत्पन्न होते हैं। ओडिशा 115 शहरों को कवर करते हुए अपने सेप्टेज उपचार बुनियादी ढांचे के साथ देश में अग्रणी है।

सीएसई की शहरी जल कार्यक्रम प्रबंधक डॉ. सुमिता सिंघल ने कार्यशाला के प्रतिभागियों को बताया कि सीएसई ने 2022-23 में दो अध्ययन किए, जिसमें भारत के चार राज्यों में 47 एफएसटीपी को शामिल किया गया। इन अध्ययनों के परिणामस्वरूप दो मौलिक रिपोर्टें आईं। पहला एफएसटीपी के प्रदर्शन का मूल्यांकन था और दूसरा उनके पुन: उपयोग की क्षमता का पता लगाने के लिए जैव-ठोस पदार्थों का मूल्यांकन था। 

कार्यशाला में रिपोर्ट के निष्कर्षों का प्रसार और चर्चा की गई, जिसमें ओडिशा में एफएसटीपी/एसटीपी से प्राप्त जैव-ठोस पदार्थों के सुरक्षित संचालन और पुन: उपयोग के मुद्दे चर्चा की गई। कार्यशाला की अध्यक्षता ओडिशा के प्रमुख सचिव माथी वतनन ने की। सीएसई के विशेषज्ञों के अलावा, भारत के अन्य हिस्सों के विशेषज्ञों और चिकित्सकों ने भी भाग लिया।

कार्यशाला में लगभग 50 नगरपालिका अधिकारियों के अलावा पैरा-स्टेट एजेंसियों के प्रतिनिधियों और ओडिशा के चिकित्सकों ने भाग लिया।

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