भोपाल इज्तिमा में आए तकरीबन 13 लाख लोग, रोजाना चार टन बायो कचरे से बनेगी खाद

देश की सबसे साफ राजधानी भोपाल में हो रहे इज्तिमा में तकरीबन 35 देश से 13 लाख मुस्लिम श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं। इस कार्यक्रम के दौरान साफ-सफाई के विशेष इंतजाम किए गए हैं।
भोपाल में होने वाले इज्तिमा कार्यक्रम के दौरान होने वाले कचरे से निपटने के विशेष इंतजाम किए गए हैं। फोटो: मनीष चंद्र मिश्र
भोपाल में होने वाले इज्तिमा कार्यक्रम के दौरान होने वाले कचरे से निपटने के विशेष इंतजाम किए गए हैं। फोटो: मनीष चंद्र मिश्र
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इस्लाम धर्म का देश का इकलौता इज्तिमा शनिवार से भोपाल में शुरू हो गया। इसमें 35 देशों के तकरीबन 13 लाख लोग शामिल हो रहे हैं। भोपाल के ईंटखेड़ी के घांसीपुरा में इज्तिमा हो रहा है, जो 22 से 25 नवंबर तक चलेगा। इज्तिमा में पूरी दुनिया से इस्लाम के अनुयायी धर्म की शिक्षा हासिल करने और सिखाने आते हैं। इस बार कार्यक्रम को विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन का गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल कराने की कोशिश भी हो रही है। शहर में इस स्तर के आयोजन की वजह से साफ-सफाई करने वाली संस्थाओं का काम कई गुना अधिक बढ़ जाता है। देश के सबसे साफ राजधानी का खिताब रखने वाले भोपाल के लिए कचरे का निपटारा एक चुनौती है। भोपाल में पिछले 72 वर्षों से हर वर्ष इज्तिमा का आयोजन होता है। बीते वर्षों में इज्तिमा स्थल से कई दिनों बाद तक कचरा हटाने का काम होता रहा है। इस कार्यक्रम के लिए नगर निगम भोपाल ने जीरो वेस्ट पॉलिसी अपनाई है।  

इस कार्यक्रम से निकलने वाले बायो कचरे को हाथों-हाथ प्रोसेसिंग कर खाद में बदला जाएगा। नगर निगम के मुताबिक सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट 2016 के अनुसार इस कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई है। इस काम में निगम ने स्वाहा नाम के गैर सरकारी संगठन का सहयोग लिया है। इस संगठन ने इज्तिमा स्थल पर मोबाइल वेस्ट प्रोसेसिंग गाड़ियों को काम पर लगाया गया है। देश के सबसे साफ शहर इंदौर में इस तरह की गाड़िया लगी हुई हैं जिसका काम कुछ ही मिनट में कचरे को खाद बनाना है।

स्वाहा से जुड़े समीर शर्मा कहते हैं कि कार्यक्रम के पहले दिन का अनुभव लोगों में जागरुकता की वजह से अच्छा रहा। कार्यक्रम से कचरा पूरी तरह से गीला और सूखा कचरे में अलग-अलग होकर मिल रहा है जिससे खाद बनाने की प्रक्रिया में आसानी हो रही है। समीर बताते हैं कि उनकी एक गाड़ी की क्षमता 8 घंटे में चार टन कचरे को खाद बनाने की है और इस कार्यक्रम में लगभग एक दिन में 8 घंटे काम करने की जरूरत है। वे बताते हैं कि खाद बनने में 60 दिन का समय लगता है लेकिन इस मशीन की वजह से वे इस काम को कुछ घंटों में कर लेते हैं। इसके बाद 10 से 12 दिन बाद यह खाद उपयोग के लायक हो जाती है।  

दिसंबर में पूरे भोपाल में काम करेगी यह गाड़ी

नगर निगम के मुताबिक इस महीने के अंत तक स्वाहा की गाड़ी खाद बनाने का काम भोपाल में करने लगेगी। हर बड़े आयोजन में, बड़े रेस्टोरेंट, शादी हॉल या होटल में इसका उपयोग किया जाएगा। नगर निगम भोपाल का लक्ष्य अधिक से अधिक कचरे का दोबारा उपयोग करना है। समीर शर्मा बताते हैं कि इन गाड़ियों से प्रोसेस होकर निकले कचरे से या तो खाद बनाया जा सकता है या फिर इसे बायो गैस बनने के लिए भेजा जा सकता है।

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