स्वच्छता की कसौटी पर क्यों विफल हो रहे हैं शहर?

देशभर के 299 शहर ही 2022 में कचरा मुक्त शहर प्रमाणीकरण में उत्तीर्ण हुए
फोटो : आशीष कुमार चौहान/सीएसई
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कचरा मुक्त शहर के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 1 अक्टूबर 2022 को स्वच्छ भारत मिशन 2.0 का शुभारंभ किया गया है। आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय में पूर्व सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा के अनुसार, पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि गार्बेज फ्री सिटी सर्टिफिकेशन के लिए शहरों के मध्य सकारात्मक प्रतिस्पर्धा देखने को मिली है।

डाउन टू अर्थ ने पाया कि वर्ष 2022 तक लगभग 50 प्रतिशत (2,238) शहरी निकायों के द्वारा कचरा मुक्त शहर प्रमाणीकरण में प्रतिभाग किया गया है।  इनमें फाइव स्टार प्राप्त करने वाले 9 शहर, थ्री स्टार प्राप्त करने वाले 143 शहर और एक स्टार पाने वाले 147 शहर शामिल हैं। इन तीनों स्टार कैटेगरी को मिलाकर कुल 299 शहर ही पिछले वर्ष 2022 कचरा मुक्त शहर प्रमाणीकरण में उत्तीर्ण हुए हैं।

भारत सरकार सभी शहरों को कम से कम 3 स्टार गार्बेज फ्री सिटी (जीएफसी) स्टार रेटिंग प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। कूड़े के संग्रहण और पृथक्करण को ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की मुख्य कड़ी समझने के कारण स्टार रेटिंग प्रोटोकॉल ऑफ गार्बेज फ्री सिटी टूल किट 2022 के अनुसार डोर टु डोर कलेक्शन/ घरों से कूड़े के संग्रहण और पृथक्करण पर बल दिया गया है।

किसी भी शहर के खाली स्थान पर कूड़ा, रोड पर कूड़ा, खाली प्लॉट में कूड़ा, नालियों में कूड़ा मिल रहा है तो यह समझ लेना चाहिए कि उस शहर में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन की सेवा सही नहीं है।

छोटे शहरों की तो बात छोड़िए देश की राजधानी दिल्ली जैसे शहर में कूड़े को खुलेआम बीच सड़क पर, डिवाइडर, खाली प्लॉट पार्को और सार्वजनिक स्थानों पर स्थानीय निवासियों द्वारा खुलेआम फेंक दिया जाता है।

डाउन टू अर्थ ने पाया कि इन फेंके हुए कूड़े में प्रायः घरों के निकलने वाले गीले-सूखे कूड़े के अलावा अन्य प्रकार के कूड़े भी मिलते हैं, जैसे-टूटे कांच, हजार्ड्स वेस्ट, मलवा, पुराने फर्नीचर के टूटे हुए अवशेष, फटे पुराने कपड़े, घरों का बचा खाना, धार्मिक सामग्री अवशेष, प्लास्टिक बैनर पोस्टर, कार में लगने वाली पुरानी एसेसरीज डेकोरेटिव आइटम के टुकड़े, टेंडर कोकोनट और अस्थायी ठेला लगाने वाले और छोटी दुकानों से निकलने वाले समस्त प्रकार के पैकेजिंग मैटेरियल इत्यादि।

क्या होती है समस्याएं?

  • मक्खी, मच्छर और संक्रमण की संभावना से शहर में गंभीर बीमारियां होने का खतरा
  • स्थानीय लोगों के बीमार बीमार होना, स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना और इलाज पर होने वाले खर्च को बढ़ावा
  • हानिकारक अपशिष्ट से रिसने वाले हानिकारक द्रव्य/लीचट का बरसात के समय जलीय निकाय में जाकर दूषित करना।
  • शहर की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना,
  • देसी और विदेशी पर्यटक के मन में शहर के नकारात्मक छवि का बनना
  • लोगों को गंदगी करने के लिए मनोबल देना
  • रोड-फुटपाथ और नालों के ऊपर अतिक्रमण की भी संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

क्यों करते हैं ऐसा लोग?

इसकी पड़ताल करने के लिए सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की टीम के द्वारा आगरा सहित भारत के अन्य शहरों का भी भ्रमण किया गया। ग्राउंड रिसर्च एवं निरीक्षण के दौरान मुख्य बिंदु प्रकाश में आए।

  1. संबंधित निकाय के द्वारा शहर के वार्डों में डोर टु डोर सर्विस कवरेज/ घरों से कूड़ा संग्रहण 95 प्रतिशत से कम होना।
  2. वार्डों में स्थित आवासीय एवं वाणिज्य क्षेत्रों में कूड़े के पृथक्करण का स्तर 90 प्रतिशत से कम होना।
  3. कूड़ा इधर-उधर फेंकने और गंदगी फैलाने वालों पर आर्थिक दंड के साथ-साथ विधिक कार्यवाही का अभाव होना।
  4. संबंधित निकाय के कर्मियों द्वारा भी वार्ड की सफाई में लापरवाही बरतना जिसे स्थानीय लोगों में शहरी निकाय के प्रति नकारात्मक छवि बनती है और वे निकाय द्वारा क्रियान्वित कार्यों में अपना सकारात्मक सहयोग प्रदान नहीं करते।

क्या है समाधान?

किसी भी शहर के शहरी परिदृश्य और स्वच्छता के लिए स्थानीय लोगों का सहयोग प्राप्त होना अति आवश्यक है और खासकर जब बात हो शहर में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की। शहरी निकाय अपने शहर को कचरा मुक्त शहर, स्वच्छ शहर बनाने के लिए निम्नलिखित सुझाव पर कार्य कर सकते हैं-

  1. शहर के प्रत्येक वार्ड में शत-प्रतिशत डोर टु डोर कूड़ा कलेक्शन सर्विस को लागू करना।
  2. शहर के सभी वार्डों के आवासीय एवं वाणिज्य सहित अन्य प्रकार के लैंड यूज आधारित क्षेत्रों से निकलने वाले कूड़े का 100 प्रतिशत पृथक्करण करना। यदि निकाय के द्वारा वार्ड में कूड़े के पृथक्करण और संग्रहण के संबंध में जागरूकता अभियान चलाया गया है और फिर भी लोग कूड़ा इधर-उधर फेंक रहे हैं।
  3. सभी वार्डों में कूड़े के संग्रहण एवं पृथक्करण के प्रति लोगों में जागरुकता फैलाना।
  4. गंदगी और कूड़ा फैलाने वालों पर पेनल्टी, स्पॉट फाइन, चालान करना।
  5. नगर के प्रमुख मार्गो, नाले-नालियों और सरकारी भूमि पर कब्जा करने वालों पर कठोर कार्रवाई करना।
  6. शहरी निकाय के समस्त वार्डों में कूड़े के उठान के लिए बनाए गए रूट प्लान का नियमित रूप से सक्षम अधिकारी के द्वारा मॉनिटरिंग करना।
  7. सेकेंडरी पॉइंट, ट्रांसफर स्टेशन सहित संबंधित प्रसंस्करण इकाई/ प्रोसेसिंग प्लांट का नियमित रूप से संचालित होना।
  8. शहर के प्रत्येक वार्ड के कमर्शियल एरिया में रात्रि सफाई/ रोड क्लीनिंग का किया जाना इत्यादि।

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