बजट 2025-26 : जल जीवन मिशन पर फोकस लेकिन बीते वित्त वर्ष में करीब 70 फीसदी हुई कमी

इस बार जल शक्ति मंत्रालय के तहत पेयजल और स्वच्छता पर दो स्कीमों के तहत कुल बजट 74226.02 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है
लोगों को पेयजल उपलब्ध कराना, वो साफ पानी हो बेहद जरूरी है।
लोगों को पेयजल उपलब्ध कराना, वो साफ पानी हो बेहद जरूरी है। फोटो साभार: आईस्टॉक
Published on

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सदन में अपना आठवां बजट पेश करते हुए सरकार के महात्वाकांक्षी जल जीवन मिशन की डेडलाइन 2028 तक के लिए बढा दिया है। उन्होंने दावा किया कि 2019 से लेकर अब तक 15 करोड़ से अधिक परिवारों को नल से पेय जल की सुविधा प्रदान की जा चुकी है। जो कुल ग्रामीण आबादी का 80 फीसदी है।

यानी सरकार के बजट भाषण के मुताबिक अगले चार सालों में बची हुई 20 फीसदी ग्रामीण आबादी तक नल से पेयजल की सुविधा प्रदान की जाएगी और इंफ्रास्ट्रक्चर का रखरखाव भी किया जाएगा।

हालांकि, यह जानना जरूरी है कि वित्त वर्ष 2024-25 में सरकार ने जल जीवन मिशन के तहत राष्ट्रीय ग्रामीण जलापूर्ति के लिए 70162.90 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया जबकि संशोधित अनुमान महज 29916.8 करोड़ रुपए का ही रहा। यानी बजट में 67.36 फीसदी की कमी कर दी गई।

हालांकि, इस बार के केंद्रीय बजट आंकड़ों में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए कुल 67000.00 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। बीते वित्त वर्ष 2024-25 के मुकाबले इस बार जल जीवन मिशन के लिए किया गया प्रावधान 195 फीसदी ज्यादा लग सकता है लेकिन बीते वित्त वर्ष की तरह असल में साल के अंत में वास्तविक बजट क्या होगा, यह सवाल बना रहेगा।  

वित्त मंत्री ने बजट भाषण में कहा कि जल जीवन मिशन का मुख्य ध्यान इंफ्रास्ट्रक्चर की गुणवत्ता और “जन भागीदारी” के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र में पाइप से जल आपूर्ति योजना के ऑपरेशन एंड मेंटनेंस पर होगा। इसके लिए राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के साथ पृथक समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किया जाएगा ताकि इसकी निरंतरता और नागरिक केंद्रित जल सेवा को तय किया जा सके।

बजट भाषण में सार्वधिक ध्यान जिस तरफ था वह ग्रामीण पेयजल आपूर्ति की तरफ ही था। वहीं केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ ड्रिंकिंग वाटर एंड सैनिटेशन को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए कुल 74226.02 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इसमें करीब 90 फीसदी बजट का हिस्सा जल जीवन मिशन के लिए ही है।

यानी ग्रामीण पेयजल को छोड़कर महज 10 फीसदी बजट अन्य ड्रिंकिंग सैनिटेशन कार्यों के लिए है।

बजट के लेखा-जोखा की पड़ताल करने पर यह पता चलता है कि डिपार्टमेंट ऑफ ड्रिंकिग वाटर सैनिटेशन के हिस्से में दूसरा बड़ा मद ग्रामीण स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) के लिए है। सरकार ने बजट के प्रावधानों में कहा है कि इस मद का इस्तेमाल गांवों को स्वच्छ रखने और खुले में शौच से मुक्त रखने के लिए किया जाएगा।

वित्त वर्ष 2025-26 बजट में ग्रामीण स्वच्छ भारत मिशन के लिए 7192.00 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है जो कि बीते वित्त वर्ष के बराबर ही है।

जल शक्ति मंत्रालय के तहत पेयजल और स्वच्छता पर इन्हीं दो स्कीमों के तहत कुल बजट 74226.02 करोड़ रुपए का किया गया है। हालांकि, गौर करने वाली बात यह है कि बीते वित्त वर्ष 2024-25 के संशोधित अनुमान 29916.68 करोड़ रुपए से यह करीब 195 फीसदी ज्यादा है लेकिन बीते वित्त वर्ष 2024-25 के प्रावधान (77390.68 करोड़ रुपए) से देखें तो यह करीब 4 फीसदी कम है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in