तैयार किए गए ये शौचाालय तकनीकी तौर पर इस तरह से बने होने चाहिए कि वे मल का उसी जगह पर निस्तारण करने में सक्षम हों। ग्रामीण भारत में स्वच्छता की स्थिति की थर्ड पार्टी ऑडिट रिपोर्ट, नेशनल एन्युल रूरल सैनिटेशन (नार्स) 2018-19 के सर्वेक्षण के मुताबिक, लगभग 34 फीसद शौचालयों में सोकवे पिट्स वाले सेप्टिक टैंक हैं, जिनमें मल के पानी में घुलने के बाद उसके उचित निस्तारण की व्यवस्था होती है। तीस फीसदी शौचाालय ट्विन लीच पिट वाले हैं, जिनमें शौचाालय में मल के निस्तारण के लिए आसपास दो गड्ढे तैयार किए जाते हैं।