देश में प्रतिदिन 48.5 टन बायोमेडिकल अपशिष्टों का निपटारा बिना उपचार कर दिया जाता है। बिहार की स्थिति देशभर के राज्यों में सबसे बदतर है, जहां 78% बायोमेडिकल कचरे का ट्रीटमेंट नहीं किया जाता है। इसके बाद राजस्थान (28%) और असम (23%) का नंबर आता है। हालांकि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने राज्यों को कोविड-19 से सम्बंधित बायोमेडिकल कचरे के निपटान को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं, फिर भी राज्यों द्वारा इसकी उपेक्षा चिंता का विषय है
बायो मेडिकल अपशिष्ट क्या है:
बायो- मेडिकल वेस्ट के अंतर्गत स्वास्थ्य संस्थानों (जैसे कि अस्पताल, प्रयोगशाला, प्रतिरक्षण कार्य, ब्लड बैंक आदि) में इंसानों और जानवर के शरीर से निकलने वाली बेकार वस्तुएं और इलाज के लिए उपयोग में लाए गए उपकरण आते हैं। हालांकि कुल उत्पादित कचरे में से इसका अनुपात बहुत कम (करीब 1 प्रतिशत) होता है, फिर भी बायो-मेडिकल वेस्ट का वैज्ञानिक तरीके से निपटान जरूरी है, ताकि स्वास्थ्य कर्मियों और वातावरण में इससे कोई इन्फेक्शन फैलने का खतरा कम हो जाए।