
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कागज, कांच और धातु के साथ-साथ सैनिटरी उत्पादों से बनी पैकेजिंग के लिए विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) के लिए एक अधिसूचना जारी की है।
इस अधिसूचना के जारी होने के एक साल पहले ही यानी दिसंबर 2023 में सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) द्वारा इसी प्रकार की एक व्यापक रिपोर्ट जारी की गई थी। इस रिपोर्ट के जारी होने के ठीक एक साल बाद केंद्रीय मंत्रालय ने यह अधिसूचना जारी की है।
सीएसई ने एक साल पहले जारी अपनी रिपोर्ट में आयातित अपशिष्ट कागज पर निर्भरता को कम करने और घरेलू स्तर पर उपलब्ध कच्चे माल के उपयोग को बढ़ाने के लिए कागज के कचरे के लिए ईपीआर दिशानिर्देश विकसित करने की जरूरत बताई थी।
उल्लेखनीय है कि अब तक कागज, कांच और धातु जैसी सामग्रियों से उत्पन्न होने वाले कचरे का प्रबंधन ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमों के दायरे में आता है।
सरकार के नए ईपीआर मसौदे में दिए गए दिशा निर्देश वास्तव में एक नए रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उत्पादक, आयातक और ब्रांड मालिक को उसके द्वारा उत्पन्न पैकेजिंग कचरे को इकट्ठा करने और पुनर्चक्रण करने के लिए जिम्मेदार बनाया गया है। वास्तव में देखा जाए तो इस प्रणाली का मुख्य उद्देश्य लैंडफिल पर बोझ कम करना है।
वतर्मान में सरकार द्वारा दिए गए दिशा-निर्देश मुख्य रूप से पैकेजिंग ग्रेड पेपर पर केंद्रित है, जो कुल पेपर उत्पादन का 60 प्रतिशत है। इस सेगमेंट के लिए एक परिपक्व रीसाइक्लिंग प्रणाली मौजूद है।
हालांकि एक और महत्वपूर्ण सेगमेंट है लेखन और मुद्रण कागज का। यह उत्पादन का 30 प्रतिशत है।
सीएसई ने अपनी रिपोर्ट में इस सेगमेंट को ईपीआर के तहत शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। यह देखते हुए कि नए फाइबर से बने कागज को अपने पूरे जीवन चक्र में कई बार (छह से सात बार) रीसाइकिल किया जा सकता है। इसलिए सीमित दायरा होने से अपशिष्ट पेपर की पूरी क्षमता का लाभ उठाने में विफल रहते हैं और साथ ही यह स्थिति लेखन और मुद्रण कागज के लिए आयातित अपशिष्ट पेपर पर निर्भरता को कम करने के प्रयासों को कमजोर बनाता है।
हालांकि नए दिशा-निर्देशों के मसौदे में इन लक्ष्यों को पैकेजिंग-ग्रेड पेपर तक ही सीमित कर दिया गया है और लकड़ी-आधारित पेपर उद्योगों को बाहर रखा गया है।
वास्तव में यह स्थिति व्यापक अपशिष्ट प्रबंधन के व्यापक लक्ष्य को कमजोर कर सकती है। 2026-27 तक 70 प्रतिशत रिकवरी दर का लक्ष्य रखना अत्यधिक उदार और अनिवार्य रूप से निरर्थक है, क्योंकि यह लक्ष्य पहले ही लगभग प्राप्त हो चुका है।
इसके अलावा सीएसई ने सुझाव दिया है कि आयातित सामग्री के अंश को देखते हुए 2027-28 से 95 प्रतिशत की रिकवरी दर अधिक उपयुक्त है। नई अधिसूचना में अपनी समय सीमा के दौरान केवल 85 प्रतिशत का लक्ष्य रखा गया है।
सीएसई ने अपनी रिपोर्ट में कई सिफारिशों पर प्रकाश डाला है, जिनमें से कुछ को मसौदे में भी शामिल किया गया है, जबकि अन्य को शामिल नहीं किया गया है।
सरकार के इस मसौदे के दिशा निर्देश स्पष्ट रूप से पैकेजिंग कचरे के प्रबंधन की ओर बढ़ने के सरकारी इरादे को प्रदर्शित करता है। हालांकि ईपीआर की पूरी क्षमता का एहसास करने और वास्तव में इस प्रणाली को प्राप्त करने के लिए पर्यावरण और वन मंत्रालय को सीएसई द्वारा उजागर किए गए लापता तत्वों को शामिल करने पर गंभीरता से विचार किए जाने की जरुरत है।
इन बातों को शामिल करने से ईपीआर का ढांचा और मजबूत व प्रभावी होगा। ऐसी हालत में अंतत: घरेलू अपशिष्ट कागज में वृद्धि होगी और साथ ही आयात पर निर्भरता कम होगी इससे पर्यावरणीय स्थिति बेहतर होगी।
भारतीय न्यूजप्रिंट निर्माता संघ (आईएनएमए) के महासचिव विजय कुमार ने कहा कि यह मसौदा वास्तव में सरकार का एक साहसी और सकारात्मक कदम है जो लुगदी और कागज क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगा और भारत के आत्मनिर्भरता के मिशन को आगे बढ़ाएगा।
सीएसई के कार्यक्रम प्रबंधक पार्थ कुमार का कहना कि नए सरकारी दिशा निर्देश कुछ सामग्रियों के लिए अपशिष्ट प्रबंधन को औपचारिक बनाने की दिशा में एक कदम आगे का प्रतिनिधित्व करते हैं। लेकिन उनका सीमित दायरे में रहना चिंता की बात है।
लेखन और मुद्रण कागज (आयातित अपशिष्ट कागज पर बहुत अधिक निर्भर करता है) को ईपीआर की अधिसूचना में शामिल नहीं किया गया है।
उनका कहना है कि सीएसई समावेशी ईपीआर दिशा-निर्देशों की आवश्यकता पर जोर देता है जो सभी कागज श्रेणियों को शामिल करते हैं। ईपीआर लक्ष्यों को घरेलू रीसाइक्लिंग क्षमताओं के साथ जोड़कर और सामग्रियों के व्यापक स्पेक्ट्रम को कवर करके यहनीति अपशिष्ट कागज के आयात को काफी कम कर सकती है और संसाधन दक्षता में सुधार कर सकती है। कुछ महत्वपूर्ण संशोधनों के साथ ईपीआर ढांचे में न केवल अपशिष्ट प्रबंधन को सुव्यवस्थित करने की क्षमता है बल्कि भारत को टिकाऊ रीसाइक्लिंग व्यवस्था में अग्रणी के रूप में स्थापित करने की भी क्षमता है।