यूनिवर्सिटी ऑफ़ न्यू साउथ वेल्स (यूएनएसडब्ल्यू), सिडनी के अध्ययन में दावा किया गया है कि तरल पदार्थ से कार्बन डाईऑक्साइड को कैप्चर किया जा सकता है, पानी की अशुद्धि को दूर किया जा सकता है तथा प्रदूषकों को साफ करके पर्यावरण की समस्याओं को हल किया जा सकता है। इस तरल पदार्थ को बनाने के लिए किसी प्रयोगशाला की जरुरत नहीं, बल्कि आसानी से इसे आप अपने रसोई घर में बना सकते हैं।
नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित इस अध्ययन में यूएनएसडब्ल्यू के केमिकल इंजीनियरों ने तरल धातुओं की जानकारी दी है। यूएनएसडब्ल्यू के स्कूल ऑफ केमिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर कुरोश कलंदर-ज़ैध का कहना है कि अपने रसोई घर में एक प्रकार के बर्तन की मदद से कोई भी इस उत्प्रेरक को बना सकता है।
मिश्र धातुओं में गैलियम, इंडियम, बिस्मथ और टिन जैसी तरल धातुओं के संयोजन का उपयोग करके ऐसा कर सकते हैं जिन्हें कुकटॉप या ओवन में 300 डिग्री सेल्सियस पर पिघलाया जा सकता है।
प्रोफेसर कलंदर-ज़ैध और सहकर्मी डॉ. जियानबो तांग ने बताया कि बिस्मथ और टिन के मिश्र धातु को गर्म करने से, धातु बहुत जल्दी पिघल जाती है जबकि धातु को अलग-अलग गर्म करने पर पिघलने में अधिक समय लगता है। जो पदार्थ इस तरह व्यवहार करते हैं वे गलनक्रांतिक (यूटेटिक विलायक) कहलाते हैं। डॉ. तांग कहते हैं, यूटैक्टिक मिश्र धातु एक विशेष संयोजन में जल्दी पिघल जाते हैं।
उदाहरण के लिए, यदि हम 57 फीसदी बिस्मथ और 43 फीसदी टिन को मिलाते हैं तो यह मिश्रण 139 डिग्री सेंटी ग्रेट पर पिघल जाते हैं। जबकि बिस्मथ और टिन दोनों 200 डिग्री सेंटी ग्रेट से ऊपर के तापमान पर पिघलते हैं, अर्थात इनका गलन बिंदु 200 डिग्री सेंटी ग्रेट से ऊपर है।
प्रोफ़ेसर कलंदर-ज़ैध कहते हैं कि यूटेटिक पदार्थों का विशिष्ट मिश्रण अनुपात नैनो-स्तर पर अधिकतम प्राकृतिक गड़बड़ी पैदा करता है, जिससे यह जल्दी पिघल जाता है। यह प्रक्रिया दूसरे तरीके से भी काम कर सकती है। तरल रूप में पहले से ही यूटेटिक धातु पदार्थ प्रत्येक धातु के सामान्य जमने के स्तर से पहले ही जम सकता है।
तरल धातु और पर्यावरण
तरल मिश्र धातुओं का उपयोग वातावरण में प्रदूषकों को निकालने या बेअसर करने के साथ-साथ सीओ2 के उत्सर्जन में कार्बन को कैप्चर करने के लिए किया जा सकता है। टिन, गैलियम और विस्मुट जब तरल रूप में होते है उन पर इलेक्ट्रोड का उपयोग कर कार्बन डाइऑक्साइड को उपयोगी उत्पाद में परिवर्तित किया जा सकता है। एक अन्य पर्यावरणीय प्रयोग में तरल धातुओं को गर्म करने के बाद ऑक्साइड बनाया जाता है, ऑक्साइड का उपयोग प्रकाश से ऊर्जा को अवशोषित करने के लिए भी किया जा सकता है, जो उन्हें पानी में दूषित पदार्थों को तोड़ने में सक्षम बनाता है।
पर्यावरणीय समस्याओं को हल करने में तरल धातुएं एक आकर्षक विकल्प है, ये कम ऊर्जा और कम तकनीक का उपयोग करके सस्ते में बनाए जा सकते हैं। प्रोफ़ेसर कलंदर-ज़ैध कहते हैं, कि टिन और बिस्मथ जैसी धातुएं दुनिया भर में आसानी से सुलभ हैं।
इसके अतिरिक्त, तरल धातुओं का उपयोग करना अपने आप में अनोखा है। जबकि सबसे प्रसिद्ध तरल धातु पारा है, जो खतरनाक धातु के तौर पर जाना जाता है, गैलियम जैसी एक तरल धातु जो विषैली नहीं हैं, और जो कमरे के तापमान पर या उसके पास पिघल जाती है, जहां हम इसका उपयोग एक सामग्री को दूसरे में बदलने के लिए कर सकते हैं वो भी बहुत कम ऊर्जा के उपयोग से, इस तरह तरल धातुएं बहुत सारी समस्याओं को हल कर सकती हैं जिनसे हम इन दिनों जूझ रहे हैं। इस तरह हम अपने पर्यावरण को बचाने में मदद कर सकते हैं।
पर्यावरण को बचाने वाले इन तरल धातु उत्प्रेरकों को आप अपने घर में बना सकते हैं
एक यूटेटिक मिश्र धातु और पानी का उपयोग कर इसे बनाया जा सकता है-