व्हेल हर राेज निगल रही है लाखों की संख्या में माइक्रोप्लास्टिक

अध्ययन के मुताबिक हर बार जब व्हेल शिकार को पकड़ती हैं तो लगभग 25,000 माइक्रोप्लास्टिक को निगल लेती है।
फोटो : साइंस ऑफ़ द  टोटल एनवायरनमेंट
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एक नए अध्ययन से पता चला है कि व्हेल प्रतिदिन लगभग 30 लाख माइक्रोप्लास्टिक निगल रही है। अध्ययन में पाया गया है कि प्रत्येक व्हेल के प्रति चम्मच मल में औसतन पांच माइक्रोप्लास्टिक होते हैं। यह अध्ययन ऑकलैंड विश्वविद्यालय के नेतृत्व में एक्सेटर विश्वविद्यालय के सहयोग से एक अंतरराष्ट्रीय टीम द्वारा किया गया है।

शोधकर्ताओं ने व्हेल वॉच कंपनी ऑकलैंड व्हेल और डॉल्फिन सफारी के सहयोग से न्यूजीलैंड के सबसे बड़े शहर ऑकलैंड के पास होराकी खाड़ी में ब्रायड और सेई व्हेल का मल एकत्र किया।

शोधकर्ताओं ने कहा अभी तक किए गए अध्ययनों में हर समुद्री वातावरण में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया है। लेकिन हर दिन कितनी मात्रा में जानवरों के द्वारा माइक्रोप्लास्टिक का सामना किया जाता है, इसका अनुमान लगाना कठिन है।

व्हेल, मंटा रे और व्हेल शार्क जैसे समुद्री शिकारी जो खाने को छानते हैं, या बड़ी मात्रा में समुद्र से भोजन निकालते हैं, पर्यावरण और भोजन से माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क को समझने का एक तरीका बताते हैं।

अध्ययनकर्ता लौरा जांटिस ने कहा कि जब व्हेल भोजन करती हैं तो वे अपने पर्यावरण और शिकार दोनों का लगातार नमूना ले रही होती हैं। उन्होंने कहा हम यह समझना चाहते थे कि वे प्रत्येक दिन कितने माइक्रोप्लास्टिक को निगल जाते हैं और क्या वे माइक्रोप्लास्टिक व्हेल के भोजन में थे या भोजन के दौरान निगले गए पानी से थे।

शोध दल ने डीएनए का उपयोग यह पता लगाने के लिए किया कि व्हेल मुख्य रूप से क्रिल जैसे छोटे ज़ोप्लांकटन खा रही थीं। अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि हर बार जब व्हेल शिकार को पकड़ती हैं तो लगभग 25,000 माइक्रोप्लास्टिक को निगल लेती है। 

अध्ययनकर्ता डॉ. एम्मा कैरोल ने कहा कि प्रत्येक निवाले में से अधिकांश 25,000 माइक्रोप्लास्टिक शिकार से आते हैं, जिनमें से 1,000 केवल पानी से आते हैं और इससे पता चलता है कि माइक्रोप्लास्टिक खाद्य श्रृंखला को कैसे प्रभावित करता है।

शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि व्हेल प्रतिदिन 100 से अधिक कौर भोजन खाती हैं। इन सभी को मिलाकर, अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि व्हेल प्रतिदिन लगभग 30 लाख माइक्रोप्लास्टिक की खपत करती हैं।

ज़ांटिस ने कहा माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क में आने से होने वाले खतरे पर, भविष्य के अध्ययनों को इन प्रदूषकों के स्तर को निर्धारित करने के लिए, भोजन के साथ-साथ पानी के नमूने की भूमिका को समझने की आवश्यकता है।

अध्ययनकर्ता बताते हैं कि हमारे निष्कर्ष इस वैश्विक खतरे को बेहतर ढंग से समझने के लिए सभी खाने को छानने वाले जानवरों में माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण को मापने का एक नया तरीका सुझाते हैं।

एसोसिएट प्रोफेसर कॉन्सटेंटाइन ने कहा कि निष्कर्ष होराकी खाड़ी के पर्यावरण को हो रहे नुकसान को उजागर करते हैं। अध्ययन के निष्कर्ष भविष्य में प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के लिए कार्य करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हैं।

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