समुद्र के जल स्तर में वृद्धि होने से भूजल और पानी के स्रोतों में मिल रहा है वेस्ट वाटर

अध्ययन के नतीजे इस बात की पुष्टि करते हैं कि समुद्र तट में मिलने वाली पानी की बरसाती नालियां और भू-जल को वेस्ट वाटर प्रदूषित कर रहा है।
Photo : Wikimedia Commons, Sea‐level rise drives wastewater leakage to coastal waters
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एक वैश्विक अनुमान के अनुसार समुद्र का जल स्तर 2100 तक 0.3-1 मीटर तक बढ़ने के आसार हैं, एक अन्य अनुमान में इसके 2 मीटर या उससे अधिक बढ़ने की आशंका जताई गई है। पेरिगियन स्प्रिंग ज्वार के समुद्र पर खतरनाक असर पड़ने के आसार हैं, जिसमें समुद्र स्तर वृद्धि (एसएलआर) प्रभाव, जैसे बाढ़, समुद्र तट का कटाव और पानी की गुणवत्ता में गिरावट आदि है।

हालांकि समुद्र स्तर में वृद्धि के प्रभावों का पता लगाने वाले अधिकांश अध्ययनों में सतही बाढ़ और समुद्री जल के घुसपैठ पर ध्यान केंद्रित किया गया है, हाल के कुछ अध्ययनों में सतही बाढ़ के प्रभावों पर प्रकाश डाला गया है।

जब हम लोग समुद्र के स्तर में वृद्धि के बारे में बात करते हैं, तो हम आमतौर पर तटीय कटाव के बारे में सोचते हैं। हालांकि, हाल के कंप्यूटर मॉडलिंग अध्ययनों से पता चला है कि तटीय अपशिष्ट जल संरचना, जिसमें सीवर लाइनें और तरल कचरा शामिल हैं, समुद्र के स्तर में वृद्धि होने की वजह से बाढ़ आती है और प्रदूषित जल, भू-जल और अन्य स्रोतों मे मिल जाता है।

यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई (यूएच) में माओना के पृथ्वी वैज्ञानिकों ने एक नया अध्ययन किया है। अध्ययन से पता चलता है कि महासागर के उच्च जल स्तर के कारण अपशिष्ट जल बरसाती नालों और समुद्र के किनारों पर मिलता है। जिसके कारण समुद्र के किनारे के पानी की गुणवत्ता और पारिस्थितिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

इस अध्ययन की अगुवाई पोस्टडॉक्टरल शोधकर्ता ट्रिस्टा मैकेंजी ने किया है और इसमें यूएच सी ग्रांट तटीय भूविज्ञानी शेल्बी हैबेल और यूएच सागर ग्रोसन ओशन एंड अर्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एसओईएसटी) के सलाहकार और एसोसिएट प्रोफेसर हेनरिकेटा दुलाई ने सहयोग दिया है।

टीम ने वसंत में आने वाले ज्वार के दौरान निचले इलाकों में तटीय महासागर के पानी और बरसाती नालों के पानी (स्ट्रोम ड्रेन वाटर) का आकलन किया, जिससे भविष्य के समुद्र स्तर का अनुमान लगाया जा सकता है।

अपशिष्ट जल अवसंरचना (वेस्टवाटर इंफ्रास्ट्रक्चर ), भूजल और तटीय महासागर के बीच संबंध को समझने के लिए, शोधकर्ताओं ने प्रत्येक स्थान पर मौजूद भूजल निकलने की जगह और अपशिष्ट जल का पता लगाने के लिए एक विशेष केमिकल का उपयोग किया।

रेडॉन एक प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली गैस है जो भूजल की उपस्थिति के बारे में जानकारी देती है, जबकि अपशिष्ट जल का पता मानव स्रोतों से विशिष्ट कार्बनिक प्रदूषक जैसे कैफीन और कुछ एंटीबायोटिक दवाओं को मापने से लगाया जा सकता है।

मैकेंजी ने कहा हमारे नतीजे इस बात की पुष्टि करते हैं कि वास्तव में, समुद्र तट में मिलने वाले पानी की बरसाती नालियां (स्टॉर्म ड्रेन) भू-जल को आज अपशिष्ट जल प्रदूषित कर रहा है।

निचले इलाकों के आंतरिक क्षेत्रों में, पानी की बरसाती नालियां (स्टॉर्म ड्रेन) वसंत में आने वाले ज्वार को सैलाब में बदल सकती हैं। इस अध्ययन ने दिखाया कि एक ही समय में अपशिष्ट जल के निपटारे के लिए बनाए गए बुनियादी ढांचे के अलावा बरसाती नालियों (स्टॉर्म ड्रेन) से भी बहने लगता है।   

उच्च ज्वार के दौरान, सड़कों और फुटपाथों पर बहने वाला गंदा, अनुपचारित बरसाती नालों से बहकर समुद्र तक पहुंच जाता है। यह दूषित बाढ़ का पानी आपातकालीन वाहनों की आवाजाही सहित यातायात को बाधित करता है, साथ ही इस पानी से मानव स्वास्थ्य को भी खतरा होता है।

टीम ने सड़कों और फुटपाथों पर बहने वाले पाने में कई तरह के मानव निर्मिति दूषित पदार्थ पाए जो जलीय जीवों के लिए खतरनाक हैं। यह समुद्र के तटीय जीवों के लिए जोखिम भरा है जहां पर भूजल और बरसाती नालियां बह रही हो। यह अध्ययन लिम्नोलॉजी और ओशनोग्राफी लेटर्स नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

मैकेंजी ने कहा कई लोग समुद्र के स्तर में वृद्धि को भविष्य की समस्या के रूप में देखते हैं, लेकिन वास्तव में, हम पहले से ही इन प्रभावों को देख रहे हैं। इसके अलावा, मानव स्वास्थ्य, महासागर पारिस्थितिकी तंत्र और अपशिष्ट जल अवसंरचना के लिए इन खतरों का भविष्य में और भी अधिक भयंकर होने की आशंका है। यह अध्ययन बताता है कि समुद्र के जल स्तर में वृद्धि से तटीय अपशिष्ट जल के बुनियादी ढांचे पर प्रभाव पड़ सकता है। समुद्र के स्तर में वृद्धि के प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाना इस अध्ययन का उद्देश्य है।

मैकेंजी ने कहा समुद्र के तटीय इलाके की नगर पालिकाओं को इससे निपटने की रणनीतियां बनानी चाहिए तथा उन्हें लागू किया जाना चाहिए। उन्हें अपशिष्ट जल अवसंरचना, पीने के पानी के संसाधनों के बीच बढ़ती नजदीगी में भी सुधार करना होगा।

हमें बुनियादी ढांचे पर विचार करने की आवश्यकता है, जिससे बाढ़ कम से कम आए और दूषित पानी के संपर्क से भी बचा जा सके। इससे प्रदूषण फैलाने वाले स्रोतों की संख्या कम हो जाती है, जैसे कि बरसाती नालों के लिए एक तरफ़ा वाल्व लगाना, ताकि उनमें अनुपचारित या प्रदूषित पानी प्रवेश ने कर पाए। खराब सीवर लाइनों में सुधार करना और ऊचे पैदल चलने वाले रास्तों और सड़कों का निर्माण करना आदि।

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