एक अध्ययन में पाया गया कि यातायात से संबंधित वायु प्रदूषण के संपर्क में आने वाले लोगों के मस्तिष्क में अल्जाइमर रोग से संबंधित अमाइलॉइड प्लाक की भारी मात्रा होने के बहुत अधिक आसार होते हैं। अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी के शोधकर्ताओं ने सूक्ष्म कण, पीएम 2.5 को देखा, जो हवा में तैरते 2.5 माइक्रोन से कम व्यास के प्रदूषक कण होते हैं।
हालांकि मेडिकल जर्नल, न्यूरोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन यह साबित नहीं करता है कि वायु प्रदूषण मस्तिष्क में अधिक अमाइलॉइड प्लाक का कारण बनता है, यह केवल एक जुड़ाव को दिखता है।
अध्ययन कर्ताओं का कहना है कि ये परिणाम इस सबूत को जोड़ते हैं कि यातायात से संबंधित वायु प्रदूषण से उत्पन्न सूक्ष्म कण मस्तिष्क में अमाइलॉइड प्लाक की मात्रा पर असर डालते हैं। इसके पीछे के कारणों की जांच के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है। अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने 224 लोगों के मस्तिष्क के ऊतकों की जांच की, जो डिमेंशिया या मनोभ्रंश पर शोध को आगे बढ़ाने के लिए मृत्यु के बाद अपने मस्तिष्क दान करने के लिए सहमत हुए थे। इन लोगों की मृत्यु औसतन 76 वर्ष की आयु में हुई थी।
शोधकर्ताओं ने मृत्यु के समय अटलांटा के इलाकों में लोगों के घर के पते के आधार पर यातायात से संबंधित वायु प्रदूषण के खतरों को देखा। यातायात से संबंधित पीएम 2.5 की मात्रा मेट्रो-अटलांटा क्षेत्र जैसे शहरी क्षेत्रों में परिवेश प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत है जहां अधिकांश दानकर्ता रहते थे।
शोध के मुताबिक, मृत्यु से पहले वर्ष में प्रदूषित कणों के साथ सम्पर्क का औसत स्तर 1.32 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और मृत्यु से पहले के तीन वर्षों में 1.35 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था।
इसके बाद शोधकर्ताओं ने प्रदूषण के खतरों की तुलना मस्तिष्क में अल्जाइमर रोग के लक्षणों के माप से की, जिसमें अमाइलॉइड प्लाक और टाउ टैंगल्स शामिल हैं।
शोधकर्ताओं ने पाया कि मृत्यु से एक और तीन साल पहले वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने वाले लोगों के मस्तिष्क में अमाइलॉइड प्लाक का स्तर अधिक होने की बहुत अधिक आशंका थी।
मृत्यु से पहले वर्ष में 1 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर का भारी पीएम 2.5 के सम्पर्क वाले लोगों में प्लाक के उच्च स्तर होने की आशंका लगभग दोगुनी थी, जबकि मृत्यु से पहले तीन वर्षों में भारी सम्पर्क वाले लोगों में प्लाक के उच्च स्तर होने के आसार 87 फीसदी अधिक थे।
शोधकर्ताओं ने यह भी देखा कि क्या अल्जाइमर रोग से जुड़े मुख्य जीन वैरिएंट, एपीओई ई4 का वायु प्रदूषण और मस्तिष्क में अल्जाइमर के संकेतों के बीच संबंध पर कोई प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने पाया कि वायु प्रदूषण और अल्जाइमर के लक्षणों के बीच सबसे मजबूत संबंध जीन वैरिएंट के बिना उन लोगों में था।
ह्यूल्स ने कहा, इससे पता चलता है कि वायु प्रदूषण जैसे पर्यावरणीय कारण उन रोगियों में अल्जाइमर पैदा करने वाले हो सकते हैं जिनमें बीमारी को आनुवंशिकी द्वारा समझाया नहीं जा सकता है।
अध्ययन की एक सीमा यह है कि वायु प्रदूषण को मापने के लिए शोधकर्ताओं के पास केवल लोगों की मृत्यु के समय उनके घर का पता था, इसलिए यह संभव है कि प्रदूषण के खतरों को गलत तरीके से वर्गीकृत किया गया हो।
शोधकर्ता ने बताया कि अध्ययन में मुख्य रूप से वहां रहने वाले लोग शामिल थे जो शिक्षित थे, इसलिए परिणाम अन्य आबादी पर लागू नहीं हो सकते हैं।