देश में ई-अपशिष्ट प्रबंधन
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान कल संसद की सुरक्षा को लेकर काफी गहमागहमी रही। वहीं आज, सुरक्षा को लेकर विपक्षी पार्टियों ने सदन में जमकर हंगामा काटा। इस बीच सदन में पूछे गए एक प्रश्न का लिखित उत्तर देते हुए आज, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में बताया कि वित्तीय वर्ष 2021 से 22 में 5,27,131.57 टन ई-कचरे का संग्रहण, निराकरण एवं पुनर्चक्रण किया गया।
ग्रेट निकोबार विकास परियोजना के अंतर्गत वृक्षारोपण
वृक्षारोपण को लेकर सदन में पूछे गए एक अन्य सवाल के जवाब में आज, राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में बताया कि केंद्र सरकार ने दिनांक 27 अक्टूबर, 2022 के पत्र के माध्यम से ग्रेट निकोबार द्वीप में सतत विकास के लिए 130.75 वर्ग किमी वन भूमि में बदलाव के लिए पहले चरण की मंजूरी दे दी है। विकास के लिए प्रस्तावित क्षेत्र का रेट निकोबार द्वीप के कुल क्षेत्रफल का केवल लगभग 1.5 फीसदी है।
इसके अलावा भू-बदलाव के लिए प्रस्तावित क्षेत्र का 50 फीसदी से अधिक यानी 65.99 वर्ग किमी हरित विकास के लिए होगा जहां किसी भी पेड़ की कटाई की योजना नहीं है। इसके अलावा, यह उम्मीद की जाती है कि लगभग 15 फीसदी विकास क्षेत्र ग्रीन और खुले स्थानों के रूप में होगा और जरूरत पड़ने पर पेड़ों की कटाई चरणबद्ध तरीके से करने का प्रस्ताव है।
अपशिष्ट संग्रहण, पुनर्चक्रण सुविधाओं में सुधार के लिए निवेश
वहीं, प्रश्नों का सिलसिला सदन में जारी रहा, एक और प्रश्न के लिखित उत्तर में आज, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में बताया कि शहरी स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत 2021 से 2026 तक पांच वर्षों की अवधि में 1,41,678 करोड़ रुपये का कुल वित्तीय आवंटन किया गया है। जिसमें कचरे के स्रोत से इसे अलग-अलग करने, एक बार उपयोग होने वाले प्लास्टिक में कमी, वायु प्रदूषण में कमी पर गौर किया गया है।
निर्माण और विध्वंस गतिविधियों से निकलने वाले कचरे का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करके, सभी पुराने कचरे को जमा करने वाली जगहों का जैव-उपचार करना इसमें शामिल है। स्वच्छ भारत मिशन - ग्रामीण द्वितीय चरण के तहत, पेयजल और स्वच्छता विभाग ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इसके परिचालन संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए हैं जिनमें ग्रामीण स्तर पर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की गतिविधियां भी शामिल की गई हैं।
देश के प्रमुख उद्योगों द्वारा प्रदूषण
सदन में उद्योगों द्वारा प्रदूषण को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में आज, राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्य सभा में बताया कि भारी प्रदूषण वाले उद्योगों की 17 श्रेणियों के अंतर्गत कुल 4,602 इकाइयां दर्ज की गई हैं। नियामक एजेंसियां उद्योगों द्वारा उत्पन्न प्रदूषण और पर्यावरणीय नियमों या विनियमों के अनुपालन के संबंध में लगातार निगरानी और विनियमन करती हैं। ऐसी निगरानी के परिणामस्वरूप, यह पाया गया कि देश में कुल 2,831 भारी प्रदूषणकारी उद्योग हैं।
जिनमें से 2,353 उद्योग चालू हैं, और 478 उद्योग स्वयं बंद कर दिए गए हैं। नियामक एजेंसियों ने 148 औद्योगिक इकाइयों को गैर-अनुपालन के रूप में पाया है और 74 इकाइयों के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं और 55 इकाइयों के खिलाफ बंद करने के निर्देश जारी किए गए हैं। आठ इकाइयों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की गई और 11 इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई प्रक्रियाधीन है।
मृदा स्वास्थ्य में गिरावट
सदन में मृदा स्वास्थ्य में गिरावट को लेकर उठाए गए एक प्रश्न के जवाब में आज, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने आज राज्यसभा में बताया कि अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (इसरो) द्वारा भारत में निम्नीकृत भूमि के मानचित्रण (2018 से 2019) से पता चलता है कि कुल भौगोलिक क्षेत्र का 97.85 मिलियन हेक्टेयर (29.77 फीसदी) क्षेत्र में गिरावट आ गई है।
छोटी नदियों की सफाई
सदन के पटल पर उठे एक प्रश्न के जवाब में आज, जल शक्ति राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने लोकसभा में बताया कि अन्य नदियों में प्रदूषण से निपटने के लिए राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (एनआरसीपी) शुरू की गई। एनआरसीपी ने अब तक 8241.32 करोड़ रुपये की कुल स्वीकृत लागत पर 16 राज्यों में फैले 82 शहरों में 38 नदियों के प्रदूषित हिस्सों को कवर किया है। इनमें सिक्किम में रानी चू, इम्फाल में नंबुल, मणिपुर जैसी नदियां शामिल हैं, उधमपुर, जम्मू में देविका और तवी, ढिफू और धनसिरी, नागालैंड, केरल में पंबा आदि मुला मुथा नदी, जो पुणे में बहती है और भीमा नदी की सहायक नदी है, में 990.26 करोड़ रुपये की लागत से प्रदूषण निवारण कार्य शुरू किए गए हैं। नागपुर से बहने वाली और कन्हान नदी की सहायक नदी नाग नदी में 1926.99 करोड़ रुपये की लागत से प्रदूषण निवारण कार्य शुरू की गई है।
शहरों के लिए जल संचयन
शहरों में जल संचयन लेकर उठाए गए सवाल के जवाब में आज, आवास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री कौशल किशोर ने लोकसभा में बताया कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 35 राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों ने मॉडल बिल्डिंग उप-कानून (एमबीबीएल) 2016 द्वारा सुझाए गए के अनुसार अपने संबंधित भवन उप-नियमों में वर्षा जल संचयन के प्रावधान को अपनाया है।
देश में सीवेज उत्पादन
सदन में पूछे गए एक अन्य प्रश्न के उत्तर में आज, राज्य मंत्री कौशल किशोर ने लोकसभा में जानकारी देते हुए कहा, सात जुलाई 2022 से 11 मई 2023 की अवधि के दौरान सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को दी जानकारी के अनुसार और एनजीटी के दिनांक 22 मई, 2023 के आदेश में परिलक्षित, कुल सीवेज उत्पादन देश में 52,644.003 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) है।