आज संसद में: भारत सरकार ने पुराने वाहनों पर ग्रीन टैक्स घोषित नहीं किया

जंगली इलाकों का लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (एलआईडीएआर) आधारित सर्वेक्षण
आज संसद में: भारत सरकार ने पुराने वाहनों पर ग्रीन टैक्स घोषित नहीं किया
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भारत सरकार ने पुराने वाहनों पर ग्रीन टैक्स अधिसूचित नहीं किया है। हालांकि आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र, दादर और नगर हवेली, उत्तर प्रदेश, झारखंड आदि राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों ने पुराने वाहनों पर कर की उच्च दरें लगाई हैं, जैसा कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन जयराम गडकरी ने राज्य सभा में बताया।

नमामि गंगे कार्यक्रम (एनजीपी) के तहत खर्च किया गया फंड

जल शक्ति और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री प्रहलाद  सिंह पटेल ने राज्यसभा में बताया कि सरकार ने 2014-15 से 2019-20 के दौरान नमामि गंगे कार्यक्रम (एनजीपी) के तहत 20,000/- करोड़ रुपये खर्च करने की मंजूरी दी है।

भारत सरकार कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के तहत धन जारी करती है। इसके बाद, एनएमसीजी द्वारा राज्य सरकारों/राज्य कार्यक्रम प्रबंधन समूहों/सीपीएसयू/अन्य कार्यकारी एजेंसियों को धन जारी किया जाता है। वित्तीय वर्ष 2014-15 से वित्तीय वर्ष 2021-22 (30 जून, 2021 तक) के लिए भारत सरकार द्वारा एनएमसीजी को वास्तविक रिलीज 10,792.02 करोड़ रुपये है। पटेल ने बताया कि इसमें से एनएमसीजी (30 जून, 2021 तक) द्वारा जारी/वितरण 10,248.46 करोड़ रुपये है। 

पटेल ने यह भी कहा कि पिछले कुछ वर्षों में गंगा नदी के पानी की गुणवत्ता में सुधार देखा गया है। नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) के सहयोग से गंगा नदी की जल गुणवत्ता की निगरानी की जा रही है। सांख्यिकीय उपकरण माध्यिका का उपयोग करके जल गुणवत्ता के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया था। 2021 (जनवरी से मई) में सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, गंगा नदी के पानी की गुणवत्ता से पता चलता है कि घुलित ऑक्सीजन जो नदी के स्वास्थ्य का एक संकेत है, इसमें पाया गया है कि अधिसूचित प्राथमिक स्नान जल गुणवत्ता मानदंड की स्वीकार्य सीमा के भीतर और सभी मौसमों में नदी के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए संतोषजनक पाया गया है।

पहाड़ों में बादलों का फटना

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में उठाए गए सवाल "क्या सरकार को पता है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण देश में पहाड़ी क्षेत्र में अक्सर बादल फटते हैं?", के बारे में अश्विनी कुमार चौबे ने बताया कि सरकार मामले से अवगत है।

बादल फटने सहित चरम घटनाओं की घटनाएं विभिन्न वैज्ञानिक आकलनों में प्रतिरूपित और प्रक्षेपित की जाती हैं। हालांकि, इस तरह के बादल फटने की घटनाओं में जलवायु परिवर्तन कितना जिम्मेवार है इस तरह का कोई स्थापित अध्ययन नहीं है। चौबे ने कहा जलवायु परिवर्तन के लिए ऐसी चरम घटनाओं के आरोपण का विज्ञान कहीं अधिक जटिल है और वर्तमान में एक विषय है और भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) और भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के माध्यम से पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) द्वारा बारीकी से अध्ययन किया जा रहा है। 

जंगली इलाकों का लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (एलआईडीएआर) आधारित सर्वेक्षण

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एलआईडीएआर तकनीक का उपयोग करते हुए और मृदा में नमी संरक्षण (एसएमसी) के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के लिए उत्तर प्रदेश सहित 26 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में लगभग 10000 हेक्टेयर में अवक्रमित (डिग्रेडेड) वन क्षेत्र के सर्वेक्षण के लिए एक परियोजना शुरू की है। यह आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में बताया।

असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, नागालैंड और त्रिपुरा राज्यों से संबंधित 10 डीपीआर को अब तक अंतिम रूप दिया जा चुका है।

चौबे ने बताया कि सभी भाग लेने वाले राज्यों को उनके पास उपलब्ध धन के साथ डीपीआर को लागू करने की सलाह दी गई है, जैसे कि राज्य योजना निधि, प्रतिपूरक वनीकरण कोष के तहत राज्य निधि, केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) आदि। चौबे ने कहा कि डीपीआर को एलआईडीएआर तकनीक का उपयोग करके तैयार किया गया है, जिसमें 3-डी (तीन आयामी) डीईएम (डिजिटल एलिवेशन मॉडल) वनस्पति, धाराओं और जलग्रहण के सर्वेक्षण के आधार पर तैयार किया जाता है।

मेघालय में अवैध कोयला खनन

मेघालय सरकार ने जानकारी दी है कि मेघालय राज्य में कोई भी अवैध कोयला खनन नहीं हो रहा है। संसदीय मामलों, कोयला और खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने राज्यसभा में बताया। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 2019 की सिविल अपील संख्या 10720 में मेघालय राज्य बनाम ऑल डिमासा यूनियन, दीमा हसाओ कमेटी और अन्य ने 3 जुलाई, 2019 को घोषित किया कि खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 मेघालय राज्य पर लागू है। हालांकि, अवैध खनन की कुछ छिटपुट घटनाएं राज्य सरकार के संज्ञान में आई हैं। जोशी ने बताया कि अवैध रूप से खनन किये गये कोयले के खनन एवं परिवहन के खिलाफ खान एवं खनिज (विकास एवं नियमन) अधिनियम, 1957 के तहत कानूनी कार्रवाई की गयी है।

जलवायु परिवर्तन के कारण लू की घटनाएं

सरकार हमेशा सभी नागरिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए लू के मामले से अवगत रही है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण लू की घटनाओं में वृद्धि पूरी दुनिया में हुई है, इसका कारण दुनिया भर में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का बढ़ना है। भारत ने किसी भी तरीके से तापमान में वृद्धि नहीं की है। भारत का पूर्व-औद्योगिक अवधि से 2018 तक इन संचयी उत्सर्जन में केवल 4 प्रतिशत का हिस्सा है, यह आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में बताया।

ग्रेट अंडमानी जनजाति

देश में कोरोना वायरस फैलने के कारण ग्रेट अंडमानी जनजाति के लिए उत्पन्न खतरे के प्रति सरकार द्वारा आशंका व्यक्त की गई थी। उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के एक उपाय के रूप में, 56 आबादी वाले ग्रेट अंडमानी जनजाति को स्ट्रेट आइलैंड में उनकी आदिवासी बस्ती में स्थानांतरित कर दिया गया है, जो कि एएंडएन (आदिवासी जनजातियों का संरक्षण) विनियम 1956 और प्रवेश के प्रावधानों के तहत जनजातीय रिजर्व के रूप में घोषित एक निषिद्ध क्षेत्र है। जिसके लिए किसी बाहरी व्यक्ति द्वारा वहां जाना निषिद्ध और दंडनीय है। इसके परिणामस्वरूप ग्रेट अंडमानी जनजाति के बीच कोविड-19 के किसी भी संभावित प्रसार को रोकने में मदद मिली है। इसलिए, ग्रेट अंडमानी जनजाति के भीतर अब तक कोविड-19 महामारी से संबंधित किसी भी गंभीर स्वास्थ्य समस्या के बारे में कोई सबूत नहीं है, यह आज जनजातीय मामलों की राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरुता ने लोकसभा में बताया।

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन द्वारा यह बताया गया है कि 11 ग्रेट अंडमानी आदिवासियों को कोविड-19 महामारी की पहली लहर में हल्के लक्षणों के साथ परीक्षण में पॉजिटिव पाए गए थे। 56 में से जीबी पंत अस्पताल, पोर्ट ब्लेयर में उनका भरपूर एहतियात के तौर पर इलाज किया गया और कुछ को होम आइसोलेशन में रखा गया। अलग रहने की अनिवार्य अवधि के बाद, उनका परीक्षण किया गया जो नेगेटिव निकला और उन्हें छुट्टी दे दी गई। सरुता ने बताया कि अब सभी ग्रेट अंडमानी आदिवासी बेहतर स्वास्थ्य की स्थिति में हैं और उन्हें स्ट्रेट आइलैंड में उनकी बस्ती में भेज दिया गया है।

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