दुनिया भर में पीएम 2.5 वायु प्रदूषण इंसानी स्वास्थ्य के लिए सबसे खतरनाक है। सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन यौगिक जैसे नाइट्रोजन ऑक्साइड (एनओएक्स), जो बिजली संयंत्रों, औद्योगिक भट्टियों या बॉयलरों में जीवाश्म ईंधन के जलने से उत्पन्न होते हैं। वाहनों से होने वाला उत्सर्जन और अमोनिया (एनएच 3) मुख्य रूप से कृषि और प्राकृतिक स्रोतों से उत्सर्जित पीएम 2.5 के मुख्य स्रोत हैं जो वातावरण में जमा हो जाते हैं।
अध्ययन में कहा गया है कि पीएम 2.5 में अमोनिया (एनएच 3) की भूमिका वैश्विक स्तर पर नाइट्रोजन ऑक्साइड (एनओएक्स) से बड़ी है। इसलिए एनएच 3 के उत्सर्जन पर लगाम लगाना जरूरी है।
अब एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में आईआईएएसए - गेन्स मॉडल का उपयोग करके वायु प्रदूषण को कम करने के बारे में पता लगाया गया है। इसकी मदद से नाइट्रोजन यौगिकों, विशेष रूप से अमोनिया के उत्सर्जन से होने वाले प्रदूषण से निपटा जा सकता है।
चीन में झेजियांग विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में एक शोध दल ने पीएम 2.5 में नाइट्रोजन यौगिकों का अनुमान लगाने के लिए 'नाइट्रोजन-शेयर' (एन-शेयर) नामक एक नई मीट्रिक विकसित की है। एन-शेयर के प्रभाव के लिए नाइट्रोजन युक्त यौगिक की भूमिका को व्यक्त करता है। साथ ही अन्य उपकरणों के साथ आईआईएएसए नामक मॉडल का इस्तेमाल भी किया है। साथ ही वायु प्रदूषण और इससे जुड़े स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर का भी अनुमान लगाया है।
अध्ययन में इस पर होने वाले खर्च के विश्लेषण के माध्यम से खुलासा किया कि, अमोनिया से निपटने तथा दुनिया भर में वायु गुणवत्ता और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए सबसे अधिक किफायती तरीकों में से एक है।
शोध दल ने नाइट्रोजन यौगिकों के उत्सर्जन के साथ कुल पीएम2.5 की मात्रा का पता लगाने के लिए तीन वायुमंडलीय रसायन ट्रांसपोर्ट मॉडल का उपयोग किया। आकलन में पाया गया कि अमोनिया (एनएच 3) उत्सर्जन का एनओएक्स उत्सर्जन की तुलना में पीएम2.5 को बढ़ाने के लिए सबसे अधिक जिम्मेवार है। आईआईएएसए द्वारा विकसित गेन्स मॉडल का उपयोग करते हुए, टीम उत्सर्जन को कम करने की क्षमता को निर्धारित कर सकती है।
अध्ययन में पाया गया कि:
पीएम 2.5 में एनएच 3 की भूमिका वैश्विक स्तर पर एनओएक्स से बड़ी है।
दुनिया भर में 1990 से 2013 के बीच नाइट्रोजन यौगिक उत्सर्जन के कारण होने वाले पीएम 2.5 प्रदूषण से जीवन के कुल वर्षों में होने वाली हानि बढ़कर 1.95 से बढ़कर 2.33 करोड़ हो गए।
2013 में नाइट्रोजन यौगिक उत्सर्जन के कारण समय से पहले मृत्यु दर की वैश्विक औसत सीमांत लागत, बढ़ते उत्सर्जन और स्वास्थ्य देखभाल में निवेश करने की इच्छा के कारण 1990 की तुलना में 33 फीसदी अधिक थी।
अध्ययन में एनएच 3 और एनओएक्स उत्सर्जन में कमी की लागत और इससे होने वाले फायदों का आकलन किया और पाया कि एनएच 3 उत्सर्जन को कम करने के लिए अमेरिकी डॉलर में वैश्विक औसत लागत (एनएच 3-एन का 1.5 डॉलर प्रति किलोग्राम) वैश्विक स्वास्थ्य को होने वाले फायदे (एनएच3-एन के 6.9 डॉलर प्रति किलोग्राम) से चार गुना कम है।
लेकिन एनओएक्स उत्सर्जन (एनओएक्स-एन का 16 डॉलर प्रति किलो) की कमी लागत वैश्विक स्वास्थ्य को होने वाले फायदों (7.3 डॉलर प्रति किलो एनओएक्स-एन) की तुलना में दो गुना अधिक है। इसका प्रभावी रूप से मतलब है कि अमोनिया उत्सर्जन में कमी की सीमांत वैश्विक लागत नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन में कमी का केवल 10 फीसदी है, जिसका अर्थ है कि अमोनिया पर लगाम लगाने का सस्ता और अधिक प्रभावी तरीका है।
आईआईएएसए के शोधकर्ता शाओहुई झांग ने कहा गेन्स मॉडल वायु प्रदूषण को कम करने के लिए लगने वाले लागत और प्रभावों को संरेखित करने का एक बहुत अच्छा उपकरण है। उन्होंने कहा कि इससे प्रभावी नीतिगत सिफारिशों को लागू किया जा सकता है। आईआईएएसए के शोधकर्ता, विल्फ्रेड विनिवार्टर ने कहा कि एन-शेयर दृष्टिकोण का प्रभाव अध्ययनों में व्यापक रूप से उपयोग की वजह से बहुत महत्वपूर्ण है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि हमने एन यौगिकों को देखना शुरू कर दिया है क्योंकि वे नए विचारों को एक से अधिक पहलुओं में पर्यावरण को लाभ पहुंचाने वाले उपायों की पहचान करने में मदद करते हैं। अब हम जैव विविधता या जलवायु परिवर्तन सहित प्रदूषण संबंधी प्रभावों को अधिक आसानी से देख सकते हैं जो नाइट्रोजन यौगिकों द्वारा गंभीर रूप से प्रभावित हैं।
कई पैमानों पर नाइट्रोजन चक्र आईआईएएसए गतिविधियों की एक श्रृंखला पर ध्यान केन्द्रित करता है, क्योंकि जांच किए गए यौगिकों से अलग-अलग तरह से संबंधित समस्याओं को समझने में मदद मिलती है। इसके आधार पर एक साथ पर्यावरणीय प्रभावों के समाधानों को एक साथ लागू किया जा सकता है।