सोलर पैनलों से हो रहा है कितना कचरा, नहीं जानती सरकार

संसद में आज सोलर पैनलों के कचरे के बारे में सरकार से जानकारी मांगी गई
मध्य प्रदेश के रीवा स्थित सोलर पावर प्लांट, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। फाइल फोटो: twitter @hexanovate
मध्य प्रदेश के रीवा स्थित सोलर पावर प्लांट, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। फाइल फोटो: twitter @hexanovate
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संसद का मानसून सत्र जारी है, इसी बीच सौर पैनल के कचरे को लेकर उठाए गए एक सवाल के जवाब में आज, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने लोकसभा में बताया कि देश में 2030 तक सौर पैनल के कचरे के उत्पादन के संबंध में अभी तक कोई प्रामाणिक अनुमान उपलब्ध नहीं है।

उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने ई-अपशिष्ट (प्रबंधन) नियम, 2016 को व्यापक रूप से संशोधित किया है और नवंबर, 2022 में ई-अपशिष्ट (प्रबंधन) नियम, 2022 को अधिसूचित किया है और ये एक अप्रैल, 2023 से लागू हैं।

ये नए नियम सौर फोटोवोल्टिक (पीवी) मॉड्यूल या पैनल या सेल सहित ई-अपशिष्ट के पर्यावरणीय रूप से सुरक्षित प्रबंधन और ई-अपशिष्ट पुनर्चक्रण के लिए एक बेहतर विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) व्यवस्था लागू करने का प्रावधान करते हैं, जिसके तहत सभी निर्माता, उत्पादक, नवीनीकरण कर्ता और पुनर्चक्रण कर्ता को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा विकसित पोर्टल पर पंजीकरण कराना आवश्यक है।

सिंह ने कहा कि नए प्रावधान अनौपचारिक क्षेत्र को व्यवसाय करने और पर्यावरणीय रूप से सुरक्षित तरीके से ई-अपशिष्ट के पुनर्चक्रण को सुनिश्चित करने के लिए औपचारिक क्षेत्र में सुगम और चैनलाइज करते हैं। पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति और सत्यापन एवं लेखा परीक्षा के प्रावधान भी पेश किए गए हैं। ये नियम ईपीआर व्यवस्था और ई-कचरे के वैज्ञानिक पुनर्चक्रण व निपटान के माध्यम से चक्रीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देते हैं।

राष्ट्रीय विद्युत योजना 2032

सदन में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में आज, विद्युत मंत्रालय में राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने राज्यसभा में राष्ट्रीय विद्युत योजना (संचरण) का हवाला दिया। जिसमें में कहा कि 2022-32 की अवधि के लिए, 2031-32 तक अखिल भारतीय अधिकतम विद्युत मांग 388 गीगावाट होने का अनुमान है। नाइक ने कहा भारत सरकार को विश्वास है कि वह बिना किसी कमी के इस अनुमानित विद्युत मांग को पूरा कर लेगी।

एथेनॉल की आपूर्ति में वृद्धि

एथेनॉलकी आपूर्ति को लेकर सदन में उठाए गए एक सवाल का जवाब देते हुए आज, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय में राज्य मंत्री सुरेश गोपी ने राज्यसभा में कहा कि सरकार एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम के तहत पेट्रोल में एथेनॉल के मिश्रण को बढ़ावा दे रही है। जिसके तहत सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) पेट्रोल में इथेनॉल मिलाकर बेचती हैं।

गोपी ने बताया कि ईबीपी कार्यक्रम के तहत, पेट्रोल में इथेनॉल का मिश्रण एथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2019-20 में 173 करोड़ लीटर से बढ़कर ईएसवाई 2023-24 में 700 करोड़ लीटर से अधिक हो गया और इसी अनुपात में मिश्रण प्रतिशत भी ईएसवाई 2019-20 में पांच फीसदी से बढ़कर ईएसवाई 2023-24 में लगभग 14.6 फीसदी हो गया।

इसके अलावा चालू एथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2024-25 के लिए, 30 जून, 2025 तक, पेट्रोल के साथ कुल 661.06 करोड़ लीटर एथेनॉल मिश्रित किया जा चुका है, जिससे 18.93 फीसदी का सम्मिश्रण प्रतिशत हासिल किया है।

देश में रिवर लिंकिंग या नदी जोड़ो परियोजना

सदन में पूछे गए एक प्रश्न का उत्तर देते हुए आज, जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने राज्यसभा में बताया कि भारत सरकार ने नदियों को आपस में जोड़ने (आईएलआर) कार्यक्रम के लिए राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (एनपीपी) तैयार की है, ताकि अतिरिक्त पानी के स्रोतों से पानी की कमी वाले क्षेत्रों और घाटियों में पानी का पहुंचाने को आसान बनाया जा सके।

चौधरी ने कहा कि राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी (एनडब्ल्यूडीए) को एनपीपी ढांचे के अंतर्गत आईएलआर परियोजनाओं के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी सौंपी गई है। कुल 30 आईएलआर परियोजनाओं की पहचान की गई है, जिनमें दो प्रमुख रूप से शामिल - हिमालयी इलाकों से 14 जोड़ने की परियोजनाएं हैं और प्रायद्वीपीय हिस्से जिसमें 16 जोड़ने की परियोजनाएं हैं।

जुलाई 2025 तक, सभी 30 परियोजनाओं के लिए पूर्व-व्यवहार्यता रिपोर्ट (पीएफआर), 26 परियोजनाओं के लिए व्यवहार्यता रिपोर्ट (एफआर) और 11 जोड़ने की परियोजनाओं के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) पूरी हो चुकी हैं।

हिमाचल प्रदेश में शोंगटोंग-करछम जलविद्युत परियोजना का द्वितीय-चरण

सदन में उठाए गए एक और सवाल के जवाब में आज, जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने राज्यसभा में कहा कि हिमाचल प्रदेश में, शोंगटोंग-करछम जलविद्युत परियोजना के निर्माण हेतु उपयोग की गई कुल भूमि 78.8443 हेक्टेयर है। शोंगटोंग-करछम जल विद्युत परियोजना के लिए 70.8737 हेक्टेयर वन भूमि के परिवर्तन हेतु केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की मंजूरी दो चरणों में हासिल की गई।

पहले चरण में, 14 दिसंबर, 2012 को केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की मंजूरी से 63.5015 हेक्टेयर वन भूमि का परिवर्तन किया गया। दूसरे चरण में, वन संरक्षण अधिनियम की धारा-2 के अंतर्गत 29.जुलाई, 2024 को 7.3722 हेक्टेयर वन भूमि के लिए केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की मंजूरी प्रदान की गई। परियोजना से कुल अनुमानित विद्युत उत्पादन क्षमता 450 मेगावाट है।

गुजरात में पार्क और यातायात के लिए अमृत परियोजनाएं

सदन मे पूछे गए एक प्रश्न का उत्तर देते हुए आज, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री तोखन साहू ने राज्यसभा में राज्य सरकार द्वारा दी गई जानकारी का हवाला दिया। जिसमें कहा गया है कि गुजरात में अटल कायाकल्प और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) के अंतर्गत 98.23 करोड़ रुपये की लागत की 124 हरित क्षेत्र (ग्रीन एरिया) और पार्क परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं और ये सभी पूरी हो चुकी हैं।

साहू ने कहा कि अमृत के अंतर्गत, जैसा कि राज्य द्वारा अमृत पोर्टल पर बताया गया है, गुजरात में 180.43 करोड़ रुपये की लागत की 61 बिना मोटर चालित शहरी परिवहन परियोजनाएं स्वीकृत की गई और ये सभी पूरी हो चुकी हैं। पंचमहल जिले के गोधरा शहर में 4.97 करोड़ रुपये की लागत की शहरी यातायात की एक परियोजना शुरू की गई थी, जो पूरी हो चुकी है।

स्वच्छता ग्रीन लीफ रेटिंग पहल

सदन में उठे एक सवाल के जवाब में आज, पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने लोकसभा में कहा कि पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने पर्यटन मंत्रालय के सहयोग से आतिथ्य सुविधाओं के लिए 'स्वच्छता ग्रीन लीफ रेटिंग प्रणाली' (एसजीएलआर) शुरू की है।

स्वच्छता ग्रीन लीफ रेटिंग प्रणाली (एसजीएलआर) आतिथ्य प्रतिष्ठानों को स्वच्छता के लिए बेहतर तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती है ताकि वे अपनी सुविधाओं को स्वच्छता ग्रीन लीफ रेटिंग प्रणाली (एसजीएलआर) के अनुरूप बना सकें और एक पत्ती से पांच पत्ती तक स्वच्छता ग्रीन रेटिंग हासिल कर सकें। यह पर्यटकों के लिए विश्व स्तरीय स्वच्छता और सफाई सुविधाएं प्रदान करने पर जोर देने के साथ-साथ स्वच्छ और अधिक टिकाऊ पर्यटन प्रथाओं की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

गाजीपुर लैंडफिल को दूसरी जगह पर ले जाना

गाजीपुर लैंडफिल को लेकर पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में आज, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने लोकसभा में दिल्ली नगर निगम द्वारा दी गई जानकारी का हवाला दिया।

जिसमें कहा गया है कि गाजीपुर डंपसाइट 1984 से संचालित है और 70 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। 2019 में ठोस अपशिष्ट की मात्रा 140 लाख मीट्रिक टन थी। डंपसाइट पर मौजूद पुराने कचरे के लिए जैव-खनन या जैव-उपचार कार्य 2019 में शुरू हुआ। वर्तमान में डंपसाइट पर लगभग 82 लाख मीट्रिक टन ठोस कचरा मौजूद है।

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