दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण प्रबंधन के लिए होगा कमीशन, केंद्र ने जारी किया अध्यादेश

अब कमीशन के सदस्य ही दिल्ली-एनसीआर और आस-पास शहरों की वायु गुणवत्ता से संबंधित कार्रवाई के फैसले लेंगे। इन्हें सिविल कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकेगी।
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण प्रबंधन के लिए होगा कमीशन, केंद्र ने जारी किया अध्यादेश
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दिल्ली-एनसीआर और आस-पास शहरों में वायु प्रदूषण प्रबंधन के लिए करीब 26 सदस्यीय एक नया कमीशन बनाने की अधिसूचना केंद्र ने जारी कर दी है। केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय की ओर से जारी इस अध्यादेश को  "द कमशीन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट इन नेशनल कैपिटल रीजन एंड एडज्वाइनिंग एरियाज ऑर्डिनेंस 2020" कहा जाएगा। इसे 28 अक्तूबर,2020 को जारी किया गया है।

सोमवार को ही सुप्रीम कोर्ट में वायु प्रदूषण के मामले पर सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से यह कहा गया था कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए सरकार नए कानून पर काम कर रही है। अब यह एक कमीशन गठित करने के लिए अध्यादेश की शक्ल में जारी हुआ है। 

अध्यादेश की जल्दीबाजी को लेकर भी जारी अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है " संसद का सत्र नहीं चल रहा है और प्रेसीडेंट इस बात से संतुष्ट हैं कि मौजूदा परिस्थितियों में तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत है। इसलिए संविधान के अनुच्छेद 123 की धारा (1) की शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए यह ऑर्डिनेंस जारी किया जा रहा है।" 

वहीं, पूर्व में सुप्रीम कोर्ट के जरिए पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) समेत अन्य गठित समितियों के स्थान पर एनसीआर और आस-पास क्षेत्रों में वायु प्रदूषण प्रबंधन के स्थान पर यह नया कमीशन ही अब काम करेगा। 

इस बारे में अध्यादेश की अधिसूचना में कहा गया है " एनसीआर और आस-पास क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के स्थायी समाधान के लिए पूर्व में उठाए गए अतिरिक्त कदमों के बजाए एक स्व-विनियमित, लोकतांत्रिक तरीके से निगरानी के लिए कमीशन बनाया जा रहा है। यह कमीशन सभी पूर्व की समितियों को रिप्लेस करेगा। इसमें जनभागीदारी, अंतरर्राज्यीय सहयोग, विशेषज्ञों का साथ और शोध व अन्वेषण होगा।"

इस कमीशन के लिए एक स्थायी चेयरमैन नियुक्त होगा जो कि केंद्रीय स्तर का सचिव या फिर राज्य स्तर का मुख्य सचिव हो सकता है। इस शर्त में वायु प्रदूषण की विशेषज्ञता का हवाला नहीं है। हालांकि कमीशन का एक प्रतिनिधि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय का सचिव होगा जिसकी पदवी संयुक्त सचिव से नीचे की नहीं होगी। साथ में एक्स ऑफिसियो यानी सेवामुक्त भी यह पद ले सकता है। 

कमीशन में पांच ऐसे कार्यमुक्त सदस्य होंगे जो पूर्व में मुख्य सचिव या दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के पर्यावरण संबंधी किसी विभाग के सचिव रह चुके हों। संयुक्त सचिव स्तर के दो स्थायी सदस्य भी इसमें शामिल होंगे। 

इसके अलावा वायु प्रदूषण की गहरी जानकारी रखने वाले तीन स्वतंत्र तकनीकी विशेषज्ञों को भी कमीशन का सदस्य बनाया जाएगा।  एक तकनीकी विशेषज्ञ केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) का भी होगा, वह एक्स ऑफिसियो भी हो सकता है।

वायु प्रदूषण नियंत्रण का अनुभव रखने वाले तीन सदस्य गैर सरकारी संस्थानों से होंगे।  एक सदस्य इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन का भी होगा। एक प्रतिनिधि नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफार्मिंग इंडिया का भी होगा जिसकी पदवी संयुक्त सचिव या एडवाइजर की होगी।

इसके अलावा कमीशन में केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग परिवहन मंत्रालय, केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय, केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मामलों के मंत्रालय, केंद्रीय पेट्रोलियम एंड नेचुरल गैस मंत्रालय, केंद्रीय कृषि मंत्रालय, केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय से  एक-एक प्रतिनिधि भी कमीशन का हिस्सा होंगे। इसके अलावा वाणिज्य या उद्योग से जुड़ा कोई व्यक्ति भी इस कमीशन का हिस्सा होगा। कोई सहायक सदस्य भी होगा जिसकी अनुशंसा की जाए। इसके अलावा एक चीफ कोऑर्डिनेटिंग ऑफिसर भी होगा जो स्थायी तौर पर सचिव होगा।  

चेयरमैन समेत इन 26 सदस्यों का कार्यालय दिल्ली ही होगा। वहीं, कमीशन के निर्णय और न्यायाधिकार क्षेत्र काफी व्यापक होंगे। इन्हें सिविल कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकेगी।  

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