ग्रेटर मुंबई और महाराष्ट्र के दस शहरों में वायु प्रदूषण मानक से अधिक

ग्रेटर मुंबई और महाराष्ट्र के दस शहरों में वायु प्रदूषण मानक से अधिक

सर्दियों में ग्रेटर मुंबई क्षेत्र और महाराष्ट्र के बाकी हिस्सों में पीएम 2.5 का स्तर मानक से अधिक पहुंच गया है
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ग्रेटर मुंबई और महाराष्ट्र के अन्य प्रमुख दस शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष अधिक रहा है। जबकि यह उम्मीद की जा रही थी कि लॉकडाउन के कारण वायु प्रदूषण में कमी दर्ज होगी। लेकिन आंकड़ों के विश्लेषण के बाद यह बात सामने आई है। यह विश्लेषण केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों को आधार बना कर किया गया है।  

ग्रेटर मुंबई क्षेत्र के साथ-साथ महाराष्ट्र के अन्य प्रमुख दस शहर के प्रदूषण निगरानी स्टेशनों के रियल टाइम के प्रदूषण आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि इस साल सर्दियों के प्रदूषण में बदलाव दर्ज किए गए हैं। यह विश्लेषण नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) द्वारा इस साल दिसंबर के पहले सप्ताह के बीच किया गया। शीतकालीन प्रदूषण के नए विश्लेषण से पता चलता है कि लॉकडाउन और मानसून की अवधि में स्वच्छ हवा का लाभ कैसे खत्म हो गया। अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने और सर्दियों के मौसम  के कारण यह हुआ। 

सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी कहती हैं, “भले ही ग्रेटर मुंबई क्षेत्र में सर्दियों के प्रदूषण का जाल समुद्र और बेहतर वेंटिलेशन के कारण अधिक नहीं है, लेकिन भौगोलिक लाभ और अनुकूल मौसम विज्ञान के बावजूद सर्दियों के स्तर में वृद्धि हुई है। यह उच्च स्थानीय प्रदूषण और मजबूत क्षेत्रीय प्रभावों को इंगित करता है।” विश्लेषण से पता चलता है कि भले ही 2020 में 11 महीनों के लिए पीएम 2.5 का औसत स्तर पिछले साल की तुलना में काफी कम हो, लेकिन गर्मियों में तालाबंदी से संबंधित महामारी के कारण सर्दियों में मुंबई क्षेत्र और शेष महाराष्ट्र में पीएम 2.5 का स्तर मानक से अधिक हो गया।

मुंबई में साप्ताहिक रूप से वायु प्रदूषण 10 गुना, नवी मुंबई में 16 गुना, कल्याण में आठ गुना और पुणे में पांच गुना बढ़ गया। शीतकालीन हवा अधिक विषाक्त हो गई क्योंकि पूरे अक्टूबर में पीएम 2.5 की हिस्सेदारी बढ़कर 40 प्रतिशत हो जाती है और नवंबर के दौरान औसतन 46 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। पीएम 10 में पीएम 2.5 का हिस्सा इस साल दिवाली के दिन 60 फीसदी तक पहुंच गया था। वर्ली, विले पार्ले, कुर्ला और सीएसआईए स्टेशनों ने इस नवंबर में कई दिनों तक “बहुत खराब” श्रेणी दर्ज की है जबकि भले ही शहरऔसतन रूप से कम ही प्रदूषित रहा हो। इस सर्दियों में अच्छी वायु गुणवत्ता वाले दिनों की संख्या बहुत कम है। सीएसई का कहना है कि वर्ष के दौरान शीतकालीन प्रदूषण को परिवहन उद्योग में स्वच्छ ईंधन, स्वच्छ बिजली संयंत्र, अपशिष्ट प्रबंधन और बायोमास को नियंत्रित कर कम किया जा सकता है।

रॉयचौधरी कहती हैं, “यह एक विशिष्ट और पूर्वानुमानित सर्दियों की प्रवृत्तियां हैं, जब वाहन, उद्योग, निर्माण सहित स्थानीय स्रोतों से लगातार उत्सर्जन और बायोमास जलने से होने वाला प्रदूषण मौसम संबंधी परिवर्तनों के कारण फंस जाता है, लेकिन इस साल अक्टूबर और नवंबर में औसत पीएम 2.5 का स्तर पिछले अक्टूबर और नवंबर की तुलना में ग्रेटर मुंबई क्षेत्र में 25-30 प्रतिशत अधिक रहा। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि यह क्षेत्र केवल समुद्र के निकटता के अपने स्थानीय लाभ पर भरोसा नहीं कर सकता है।”

सस्टेनेबल सिटीज प्रोग्राम की सीएसई की अर्बन लैब टीम में प्रोग्राम मैनेजर अविकाल सोमवंशी का कहना है कि “यह विस्तृत डेटा विश्लेषण इस बात की ओर इशारा करता है कि वायु प्रदूषण मुंबई क्षेत्र और उसके बाहर एक अधिक व्यापक समस्या है और इसके लिए प्रमुख सुधारों की आवश्यकता है।

यह विश्लेषण केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आधिकारिक ऑनलाइन पोर्टल पर उपल्बध आंकड़ों से किया गया है। विश्लेषण में महाराष्ट्र के दस शहरों- मुंबई, नवी मुंबई, ठाणे, कल्याण, पुणे, नागपुर, नासिक, औरंगाबाद, सोलापुर और चंद्रपुर को शामिल किया गया है। विश्लेषण 10 वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों में दर्ज आंकड़ों  के आधार पर किया गया है। नवी मुंबई में तीन, चंद्रपुर में दो, ठाणे, कल्याण, पुणे, नागपुर, नासिक, औरंगाबाद और सोलापुर में एक-एक स्टेशन।

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