पंजाब-हरियाणा की पराली में आग, दिल्ली-एनसीआर में हवा होने लगी खराब

मानसून की देरी से विदाई और हवा की मौजूदा स्थितियां अगले सप्ताह तक वायु प्रदूषण की स्थिति और अधिक बिगाड़ सकते हैं।
Nasa Fire Satalite Image Data
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कोविड-19 के दौरान लगाए गए लंबे लॉकडाउन के खत्म होने के कुछ ही दिन बाद  सिंधु-गंगा के मैदानी भागों की हवा एक बार फिर से बोझिल हो गई है। हरियाणा-पंजाब और उत्तर प्रदेश के खेतों में खरीफ फसल की तैयारी के लिए अब कुछ दिन शेष बचे हैं और उन्हें अपने खेतों से फसल अवशेषों की सफाई करनी है। लिहाजा हर बार की तरह पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की शुरुआत हो गई है। नासा के सेटेलाइट इमेज इस बात की पुष्टि करते हैं। वहीं, पराली जलाने की शुरुआत के कारण दिल्ली-एनसीआर के शहरों की वायु गुणवत्ता का सूचकांक भी डगमगाने लगा है।

 केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के जरिए दिल्ली-एनसीआर में पार्टिकुलेट मैटर स्तर की 24घंटे निगरानी रखी जाती है। ऐसा कई वर्षों से जांचा-परखा गया है कि 20 सितंबर के बाद नवंबर महीने तक दिल्ली-एनसीआर की हवा में आंखों से न दिखाई देने वाले खतरनाक महीन प्रदूषित कणों (पीएम 2.5 और पीएम 10) का स्तर काफी बढ़ जाता है। क्योंकि पंजाब-हरियाणा और उत्तर प्रदेश में इसी समान अवधि (20 सितंबर- 15 नवंबर) तक किसानों को जल्द से जल्द खेतों में रबी सीजन के फसल अवशेषों को नष्ट करके आलू और गेहूं की खेती करनी होती है।

सीपीसीबी के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर की हवा में पीएम 10 और पीएम 2.5 के स्तर में 20 सितंबर के बाद से बढोत्तरी देखी जा रही है। 24 घंटे के आधार पर पीएम 2.5 का अधिकतम औसत सामान्य स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर होता है और पीएम 10 का अधिकतम औसत सामान्य स्तर 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर होता है। जबकि दोनों ही पीएम का ग्राफ बढ़ना शुरु हो चुका है।

20 सितंबर से लेकर 30 सितंबर तक सीपीसीबी की ओर से जारी की जाने वाली वायु गुणवत्ता सूचंकाक रिपोर्ट में दिल्ली और एनसीआर के शहरों की हवा का एक्यूआई खराब श्रेणी से एक पायदान पहले मॉडरेट स्तर पर पहुंच गया है।

पंजाब और हरियाणा में पराली जलाए जाने के कारण पश्चिम से आने वाली हवा अपने साथ धूल और धुएं को ला रही हैं जो दिल्ली-एनसीआर के शहरों की हवा को लॉकडाउन से पहले के स्तर पर पहुंचा रही है। खासतौर से दिल्ली के बवाना, मथुरा रोड, द्वारका सेक्टर-8 जैसे इलाकों की हवा खराब श्रेणी में है और इस हवा में पीएम 10 प्रभावी तौर पर मौजूद है।

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट, नई दिल्ली के कार्यक्रम समन्वयक विवेक चटोपाध्याय बताते हैं कि अर्थव्यवस्था करीब-करीब ठहरी हुई है। सड़कों पर इस वक्त वाहन कम हैं। इंजन स्रोतों से उठने वाला प्रदूषण खासतौर से पीएम 2.5 हवा में पीएम 10 के मुकाबले कम है। पीएम 10 पश्चिम से आने वाली प्रदूषित हवा के के कारण बढ़ रहा है।  

नासा के यूनिवर्सिटीज स्पेस रिसर्च एसोसिएशन के वरिष्ठ वैज्ञानिक पवन गुप्ता ने ट्विटर पर साझा किए गए फायर काउंट सेटेलाइट डाटा में बताया है कि 25 सितंबर को 240 और 26 सितंबर को 280 आग लगने की घटनाएं पंजाब में हुईं हैं। वहीं, हरियाणा के भी करनाल और कैथल जैसे जिलों में आग लगने की घटनाएं दर्ज हुई हैं। 

फसल अवशेष जलाने के मामले में एक याचिका पर विचार के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने 28 सितंबर, 2020 को केंद्र और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व सीपीसीबी को नोटिस जारी कर तत्काल कदम उठाने के निर्देश भी दिए हैं। एजेंसियों का अनुमान है कि अगले सप्ताह तक हवा की गुणवत्ता में और ज्यादा गिरावट दर्ज हो सकती है।

पृथ्वी मंत्रालय के तहत हवा गुणवत्ता पर निगरानी रखने वाले सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च के मुताबिक मानसून की देरी से होने वाली विदाई और उच्चदाब का बनना व हवा की मौजूदा स्थितियां दिल्ली की वायु गुणवत्ता को अगले सप्ताह तक खराब कर सकती हैं।

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