वर्तमान में प्लास्टिक प्रदूषण का पर्यावरण पर लगातार दबाव बढ़ रहा है। अब इससे छुटकारा पाने के लिए इसके विकल्प के तौर पर जैव आधारित पॉलिमर का उत्पादन किया जा सकता है, जिसे बायोपॉलिमर के रूप में जाना जाता है। जो प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त होता है। बायोपॉलिमर के उपयोग से गलने वाला (बायोडिग्रेडेबल) प्लास्टिक बनाया जा सकता है। अब वैज्ञानिकों ने पाम ऑयल के कचरे से गलने वाला प्लास्टिक बनाया है।
पाम ऑयल उद्योग का विकास व्यापक वनों की कटाई और जीवों के आवासों को तोड़ने से जुड़ा हुआ है। एक शोध जो दोनों मुद्दों को सुलझाने में मदद कर सकता है, जिसमें पाम ऑयल के उत्पादन में बचे कचरे से एक बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक बनाया जा सकता है। पाम ऑयल के कचरे से बने इस बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक का उपयोग खाद्य पैकेजिंग के लिए किया जा सकता है।
जो बायोडिग्रेडेबल नहीं है उनमें एक बार उपयोग होने वाले प्लास्टिक, प्लास्टिक बैग और खाद्य रैपर आदि शामिल है। हर साल उत्पादित होने वाले प्लास्टिक के कचरे का 40 फीसदी के लिए जिम्मेदार हैं। यूनिवर्सिटी सेन्स, मलेशिया के शोधकर्ताओं का कहना है कि हेमीसेलुलोज एक प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले बायोपॉलिमर है, जो पॉलीसैकराइड्स और प्रोटीन जैसे नए पदार्थों से प्राप्त होता है। यह कम लागत, वर्तमान में उपयोग होने वाले प्लास्टिक और पेट्रोलियम आधारित पॉलिमर की जगह ले सकता है। यह शोध करंट रिसर्च के ग्रीन एंड सस्टेनेबल केमिस्ट्री में प्रकाशित हुआ है।
प्लास्टिक कचरे के अलावा, केवल मलेशिया में हर साल 1.98 करोड़ (19.8 मिलियन) टन अपशिष्ट पाम ऑयल के फल शेष बच जाते है। कचरे के इस रूप से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने के लिए, शोधकर्ताओं ने अपशिष्ट पाम के फलों को हेमिसेल्युलोज में बदल दिया, जिसका उपयोग ग्रीन पैकेजिंग के लिए कर सकते है अर्थात ऐसी पैकेजिंग जिसे उपयोग के बाद नष्ट किया जा सकता है।
प्लास्टिक पैकेजिंग
एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में उत्पादित प्लास्टिक का लगभग एक-तिहाई (128.8 टन) पैकेजिंग के लिए उपयोग किया जाता है। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में लगभग 30 फीसदी प्लास्टिक पैकेजिंग का दुबारा उपयोग नहीं किया जाता है। अनुमानित 10 करोड़ समुद्री जानवर हर साल समुद्र में फैके गए प्लास्टिक के कारण मर जाते हैं। अनुमान लगाया गया है कि 2050 तक, दुनिया के महासागरों में मछली की तुलना में प्लास्टिक अधिक होगा।
कृषि और बायोमास कचरे में हेमिसेल्युलोज प्रचुर मात्रा में होता है। यह प्लास्टिक बनाने के लिए एक आशाजनक बायोपॉलिमर है क्योंकि यह लचीला है और पानी को रोक सकता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि पाम ऑयल के फलों की पहचान कच्चे माल के रूप में की जा सकती है, जिसका उपयोग ग्रीन पैकेजिंग के लिए किया जा सकता है।
इसमें कई गुण हैं जो इसे अन्य बायोपॉलिमरों के लिए एक संभावित विकल्प बनते हैं। इनके कुछ गुण-जैसे इसका आसानी से नष्ट हो जाना।
टीम ने सीएमसी के साथ पाम ऑयल के फलों के रस से विभिन्न मात्रा में हेमिसेल्युलोज को मिलाया। यह तब अलग-अलग मोटाई (सभी एक मिलीमीटर के दसवें भाग के बराबर थे) की बायोपॉलिमर प्लास्टिक बनाया गया। प्लास्टिक की भौतिक और रासायनिक विशेषताओं की व्यापक जांच से पता चला है कि इसमें 60 फीसदी प्लास्टिक बनाने के गुण पाए गए जो बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग सामग्री बनाने के लिए सबसे अच्छा है।
इस नई सामग्री का एक सस्ते और प्रचुर मात्रा में आसानी से नष्ट हो जाने वाली प्लास्टिक बनाने के लिए उपयोग किया जा सकता है। यह प्रदूषित करने वाले प्लास्टिक का एक सबसे अच्छा विकल्प है। यद्यपि पाम ऑयल के उद्योग के कचरे से बायोपॉलिमर्स का उत्पादन करना उद्योग-संबंधी वनों की कटाई को नहीं रोकता है, इससे बने उत्पाद का उपयोग प्लास्टिक प्रदूषण को रोक सकता है। नतीजतन पर्यावरणीय प्रभावों को काफी कम किया जा सकता है।