
हिमालय के बादलों के बारे में माना जाता था कि वे सबसे शुद्ध पीने का पानी प्रदान करते हैं, लेकिन अब वे जहरीले भारी धातुओं को अपने साथ ले जा रहे हैं। बादलों में जहरीली धातुओं की मौजूदगी एक बड़ी चिंता का विषय है। इसकी वजह से कैंसर जैसी बीमारी होने का खतरा पैदा हो सकता हैं। एक नए अध्ययन में इस बात का पता चला है कि पूर्वी हिमालय के बादलों में पश्चिमी घाटों की तुलना में प्रदूषण का स्तर 1.5 गुना अधिक है।
साइंस एडवांसेज पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में पश्चिमी घाटों और पूर्वी हिमालय में मानसून के शुरुआती मौसम के दौरान बादलों में कैडमियम (सीडी), तांबा (सीयू) और जस्ता (जेडएन) जैसी जहरीली धातुओं के भारी स्तर का पता चला है। अध्ययन में कहा गया है कि बादलों में इन जहरीली धातुओं का स्तर 40 से 60 फीसदी तक बढ़ गया है।
जहरीली धातुओं के बादलों तक पहुंचना अपने आप में पर्यावरणीय स्थायित्व तथा स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों के कारण दुनिया भर में एक भारी चिंता का विषय बन गया है।
वैज्ञानिकों ने अध्ययन के लिए साल 2022 में पश्चिमी घाट स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) और पूर्वी हिमालय के दार्जिलिंग स्थित बोस संस्थान परिसर की छत पर एकत्रित बिना-बारिश वाले निचले स्तर पर छाए बादलों में भारी धातुओं की संरचना की जांच-पड़ताल की।
अध्ययन में कहा गया है कि भारत में वयस्कों की तुलना में बच्चों में ऐसी जहरीली धातुओं का 30 प्रतिशत अधिक खतरा है। पूर्वी हिमालय के ऊपर जहरीली धातुओं की भारी मात्रा वाले प्रदूषित बादलों के सांस के माध्यम से शरीर के अंदर पहुंचने से कई तरह की बीमारियों, यहां तक की कैंसर का सबसे बड़ा खतरा होने के आसार हैं।
अध्ययन के मुताबिक, बादलों में घुले क्रोमियम के सांस के द्वारा शरीर में जाने से कैंसरकारी रोगों के होने का खतरा बढ़ गया है। वैज्ञानिकों ने बताया कि पूर्वी हिमालय के ऊपर प्रदूषित बादलों के सांस के जरिए शरीर में जाने से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं।
अध्ययन वाले इलाके के बादलों में कैडमियम, क्रोमियम, तांबा और जस्ता के भारी स्तर के पीछे तलहटी से निकलने वाले वाहनों और औद्योगिक उत्सर्जन को जिम्मेवार ठहराया गया है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि बादल भारी धातुओं को ले जाने का काम करते हैं, जो सांस लेने, त्वचा के संपर्क में आने और ऊंचाई वाले इलाकों में बारिश के पानी पीने से शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।
हालांकि इन खतरनाक निष्कर्षों के बावजूद, अध्ययन में कहा गया है कि चीन, पाकिस्तान, इटली और अमेरिका जैसे देशों की तुलना में भारतीय बादल अपेक्षाकृत कम प्रदूषित हैं।