दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण गंभीर श्रेणी में पहुंचा, ग्रेप का 'आपातकाल' लागू

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सब कमेटी ने 12 नवंबर से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के तहत "आपातकालीन" व्यवस्था लागू करने का निर्णय लिया
दिल्ली-एनसीआर में 12 नवंबर 2021 को प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच गया। फोटो: विकास चौधरी
दिल्ली-एनसीआर में 12 नवंबर 2021 को प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच गया। फोटो: विकास चौधरी
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12 नवंबर को दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में प्रदूषण इस कदर बढ़ गया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सलाह जारी करनी पड़ी कि घर से बाहर न निकलें। बोर्ड ने सभी सरकारी व निजी कंपनियों से भी कहा है कि वे अपने कार्यालयों में इस्तेमाल होने वाले वाहनों के इस्तेमाल में कम से कम 30 प्रतिशत कमी लाएं।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (ग्रेप) को लागू करते हुए कहा है कि 12 नवंबर 2021 को ग्रेप सब कमेटी की बैठक हुई, जिसमें दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता की स्थिति की समीक्षा की गई। बताया गया कि दिल्ली-एनसीआर में एयर क्वालिटी इंडेक्स गंभीर श्रेणी में पहुंच गया है और 12 नवंबर को 3 बजे पीएम10 अपनी अंतिम सीमा (500 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) पार कर गया, जबकि 12 नवंबर को ही 1 बजे पीएम2.5 अपनी सीमा (300 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) को पार कर चुका था।

सीपीसीबी के मुताबिक, इसके साथ-साथ 18 नवंबर तक मौसम की स्थिति भी प्रदूषण को बढ़ाने में मददगार होगी। खासकर रात को हवाओं का दबाव काफी कम रहेगा। इसलिए सब कमेटी ने निर्णय लिया कि क्षेत्र में ग्रेप की "आपातकालीन" श्रेणी के तहत उठाए जाने वाले कदमों को लागू किया जाए।

सीपीसीबी के सदस्य सचिव और सब कमेटी के अध्यक्ष प्रशांत गारगावा की ओर से जारी इस आदेश के मुताबिक, आपातकालीन श्रेणी के तहत तत्काल प्रभाव से राज्यों से कहा गया है कि सभी सरकारी, निजी कार्यालयों व अन्य संस्थानों को सलाह दी जाती है कि वे अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम, कार पूलिंग या फील्ड की गतिविधियों को कम करें, ताकि वाहनों के इस्तेमाल में कम से कम 30 प्रतिशत की कमी लाई जा सके। लोगों को सलाह दी गई है कि वे बाहरी गतिविधियां सीमित करें। यानी कि वे घर से बाहर कम से कम निकलें। सभी एजेंसियों से कहा गया है कि वे इन निर्णयों को हर हाल में लागू कराएं और रोजाना रिपोर्ट दें, ताकि अगली बैठक में समीक्षा की जा सके।

गौरतलब है कि इससे एक दिन पहले 11 नवंबर को सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरेंट ने एक बयान जारी कर कहा था कि दिल्ली में प्रदूषण के लिए पटाखों के अलावा पराली व मौसम की गतिविधियां भी जिम्मेवार हैं। प्रदूषण की वजह से दिल्ली-एनसीआर पर स्मॉग (धुंध) छा गई है, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन गया है। पढ़ें, क्या था सीएसई का विश्लेषण

12 नवंबर 2021 को शाम चार बजे जारी सीपीसीबी के एयर क्वालिटी इंडेक्स रिपोर्ट के मुताबिक प्रमुख शहरों का एक्यूआई इतना था- 

दिल्ली 471
चरखी दादरी 470
फरीदाबाद 460
बल्लभगढ़ 445
बहादुरगढ़ 439
भिवाड़ी 469
बुलंदशहर 488
गाजियाबाद 486
नोएडा 488
ग्रेटर नोएडा 478
गुरुग्राम 448
हिसार 486
 

क्या है ग्रेप का आपातकाल

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत बनाए गए ग्रेप नियम बनाए गए थे, जिसमें यह तय किया गया था कि पीएम 2.5 का स्तर यदि हवा में 300 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर या पीएम 10 का स्तर 500 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक लगातार 48 घंटे तक बना रहता है तो आधिकारिक तौर पर एयर इमरजेंसी घोषित कर दिया जाएगा।

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