कोविड-19 महामारी के दौरान प्रमुख बंदरगाहों में प्रदूषण का स्तर 123 फीसदी तक बढ़ा

कोविड-19 महामारी से पहले की तुलना में कंटेनर जहाजों में 94 फीसदी और ड्राई बल्क कैरियर में 142 फीसदी उत्सर्जन में वृद्धि दर्ज की गई
 फोटो : विकिमीडिया कॉमन्स
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शोधकर्ताओं ने मॉडल के आधार पर पता लगाया कि कोविड-19 के दौरान प्रमुख अंतरराष्ट्रीय बंदरगाहों में शिपिंग क्षेत्र से उत्सर्जन में काफी वृद्धि हुई है। शोध के निष्कर्ष नासा अर्थ ऑब्जर्वेटरी के निष्कर्षों के विपरीत हैं। जिसमें कहा गया था कि औद्योगिक प्रक्रियाओं पर रोक लगने और महामारी के दौरान मानव गतिविधि में कमी से आम तौर पर वायु प्रदूषण कम होता है।

यह शोध सिंगापुर की नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (एनटीयू) की अगुवाई में किया गया है।

सिंगापुर की एनटीयू शोध टीम ने पाया कि महामारी के दौरान उत्सर्जन दोगुना यानी 123 फीसदी से अधिक था। जबकि लॉस एंजिल्स में दो गुना 100 फीसदी, लॉन्ग बीच में उत्सर्जन लगभग दो-तिहाई यानी 65 फीसदी तक बढ़ गया था। वहीं कैलिफ़ोर्निया और जर्मनी के हैम्बर्ग में एक चौथाई यानी 27 फीसदी से अधिक पाया गया।  

कोविड-19 महामारी से पहले की तुलना में कंटेनर जहाजों और ड्राई बल्क कैरियर सभी के कुल उत्सर्जन में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की। जिसमें क्रमशः 94 फीसदी और 142 फीसदी की औसत वृद्धि देखी गई।

कोविड-19 का शिपिंग उद्योग पर काफी प्रभाव पड़ा है। व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन ने पाया कि कई बंदरगाहों में जहाजों और चालक दल पर कोविड-19 से संबंधित बाधाओं ने कार्यबल की कमी और परिचालन चुनौतियों और उत्पादकता को प्रभावित किया। जबकि ग्लोबल शिपिंग इंटेलिजेंस प्रोवाइडर एसएंडपी ग्लोबल प्लैट्स के मुताबिक कोविड-19 की पहली लहर के बाद कार्गो मांग में अभूतपूर्व और अस्थिर उछाल आया। इस दौरान दुनिया भर में लगभग हर बंदरगाह पर और देरी हुई।

एनटीयू के अध्ययन ने मॉडल के आधार पर पता लगाया कि बंदरगाह में लंबे समय तक बदलाव में लगने वाले समय के कारण सभी चार बंदरगाहों में जहाज के उत्सर्जन में औसतन 79 फीसदी की वृद्धि हुई। 

उत्सर्जन की यह गणना जुलाई 2020 से जुलाई 2021 तक की गई है, जब महामारी चरम पर थी। निष्कर्षों की तुलना साल 2019 से की गई, जिसे व्यापार सामान्य उत्सर्जन के साथ आधारभूत वर्ष के रूप में लिया गया है।

शोध में जिन प्रदूषकों का अध्ययन किया गया उनमें कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, पार्टिकुलेट मैटर, कार्बन मोनोऑक्साइड और मीथेन शामिल थे।

एनटीयू की टीम ने खाली टैंकर और लाइनर चार्टरिंग के वैश्विक प्रदाता, एएक्सएसएमरीन के माध्यम से प्राप्त वास्तविक जहाज के यात्रा के आंकड़ों का उपयोग किया। जिसमें जहाजों के ईंधन की खपत और प्रदूषक उत्सर्जन की गणना की गई। इसने जहाजों की जानकारी प्रदान की, जिसमें उनकी नौकायन गति, समय अवधि, निर्देशांक, नौवहन स्थिति आदि। जहाज से संबंधित विशिष्ट जानकारी जैसे नाम, वाहक का प्रकार, भार भी इसमें शामिल है। अतिरिक्त जानकारी विभिन्न बंदरगाह प्रशासनिक प्राधिकरणों से भी प्राप्त की गई।

एनटीयू के स्कूल ऑफ सिविल एंड एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर लॉ विंग केउंग, एड्रियन ने कहा हमारा अध्ययन महामारी अनिश्चितता के बीच जहाजों के उत्सर्जन की समीक्षा प्रस्तुत करता है। लॉकडाउन के उपाय और मानव गतिविधि पर अन्य कोविड-19 प्रतिबंध ने शिपिंग क्षेत्र के लिए परिदृश्य में सुधार किया है। जिसने समुद्री और व्यापार के संचालन पैटर्न को काफी प्रभावित किया है, जिससे हमारे अध्ययन में बंदरगाहों में प्रदूषक उत्सर्जन में उल्लेखनीय वृद्धि का पता चलता है।

अध्ययन में अगस्त 2021 से अगस्त 2022 तक भविष्य के दो कोविड-19 परिदृश्यों के लिए जहाज उत्सर्जन सिमुलेशन का पता लगाया है।

परिदृश्य 1 के मुताबिक कोविड-19 के कारण बंदरगाह की भीड़ का समाधान हो गया है और बंदरगाह का टर्नअराउंड समय 2019 में महामारी से पहले के स्तर पर लौट आया है।

परिदृश्य 2 मानता है कि कोविड-19 के कारण बंदरगाह की भीड़ अगले साल भी उसी तरह जारी रहेगी जैसे कि चार प्रमुख बंदरगाहों में वर्तमान में है। यह अध्ययन साइंस डायरेक्ट में प्रकाशित  हुआ है।  

परिदृश्य 1 के आधार पर शोधकर्ताओं का अनुमान है कि उत्सर्जन के 50 फीसदी से अधिक होने के आसार हैं। वहीं जुलाई 2020 से जुलाई 2021 महामारी की अवधि की तुलना में जहाज उत्सर्जन में कम से कम 34 फीसदी की कमी आएगी।

हालांकि परिदृश्य 2 में जहाजों के प्रदूषक उत्सर्जन जारी रहने के आसार हैं। इसकी सिंगापुर में सबसे अधिक लगभग 90 फीसदी के साथ उत्सर्जन में लगभग 6 फीसदी अधिक वृद्धि होने की आशंका है। यह 2019 के स्तर से 137 फीसदी की संचयी वृद्धि के बराबर है। हैम्बर्ग, लॉन्ग बीच और लॉस एंजिल्स के बंदरगाहों में भी मामूली उत्सर्जन के साथ वृद्धि जारी रहने के आसार हैं।

शोधकर्ताओं ने इस परिणाम को जहाज यातायात में वृद्धि के प्रभावों और लंगर क्षेत्रों में लंबे समय तक बंदरगाह के बदलाव के लिए जिम्मेदार ठहराया।

भविष्य का अनुमान लगाने वाले परिणामों के बारे में बताते हुए प्रो लॉ ने कहा हमारे परिदृश्यों ने महामारी के पूर्व स्तर की तुलना में महामारी की अवधि के दौरान पुरे उत्सर्जन पैटर्न में बदलाव पर ध्यान आकर्षित किया है। दुनिया भर में कोविड के बाद के भविष्य में शिपिंग उद्योग के प्रभावों को कम करना जरूरी है।

लंबे समय में इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए जहाज के इंजन और ईंधन तकनीक में आमूल-चूल परिवर्तन की आवश्यकता होगी। कम कार्बन या शून्य उत्सर्जन ऊर्जा स्रोत और एक जहाज के आने और जाने में लगने वाले समय को कम करने के लिए तट पर तकनीक को अपडेट करना इसमें शामिल है। 

लियू ने कहा हमें उम्मीद है कि हमारा अध्ययन नीति निर्माताओं को महामारी की अवधि के दौरान प्रमुख बंदरगाहों पर उत्सर्जन दृष्टिकोण प्रदान करता है। अध्ययन पर प्रकाश डाला गया है कि जहाज इंतजार करने के  दौरान सबसे अधिक उत्सर्जन करते हैं। वह तब होता है जब वे कार्गो लोड की प्रतीक्षा करते हैं, कार्गो से निकासी या उनकी अगली यात्रा तक इसमें शामिल है। यह उपयुक्त नीति प्रतिक्रियाओं और वायु गुणवत्ता पर जहाजों के प्रभावों को कम करने के उपायों की आवश्यकता का सुझाव देगा।

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